आज 24 अप्रैल को क्या हैं खास ???

◆ संविधान निर्माण करते हुए बाबा साहेब डॉ भीमराव आंबेडकर ने संविधान में पंचायतीराज व्यवस्था का प्रावधान किया था।


◆ आधुनिक भारत में प्रथम बार तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू द्वारा पंचायती राज व्यवस्था लागू की गई।


◆ ग्राम सभा को ग्राम पंचायत के अधीन किसी भी समिति की जाँच करने का अधिकार ।


 


युवा काफिला, विशेष- 


24 अप्रैल को पंचायती राज दिवस मनाया जाता है। पंचायती राज में गांव के स्तर पर ग्राम सभा, ब्लॉक स्तर पर मंडल परिषद और जिला स्तर पर जिला परिषद होता है। इन संस्थानों के लिए सदस्यों का चुनाव होता है जो जमीनी स्तर पर शासन की बागडोर संभालते हैं।
भारत में प्राचीनकाल से ही पंचायती राज व्यवस्था आस्तित्व में रही हैं। आधुनिक भारत में प्रथम बार तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू द्वारा राजस्थान के नागौर जिले के बगदरी गाँव में 2 अक्टूबर 1959 को पंचायती राज व्यवस्था लागू की गई।


सिर्फ केंद्र या राज्य सरकार ही पूरे देश को चलाने में सक्षम नहीं हो सकती है। इसके लिए स्थानीय स्तर पर भी प्रशासन की व्यवस्था की गई । इसी व्यवस्था को पंचायती राज का नाम दिया गया है। 
सत्ता के विकेंद्रीकरण के लिए संविधान निर्माण करते हुए बाबा साहेब डॉ भीमराव आंबेडकर ने संविधान में पंचायतीराज व्यवस्था का प्रावधान किया था।


लेकिन आजादी के 10 साल बाद ही देश का समुचित विकास नहीं होने के कारण 1957 में तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ने बलवंत राय मेहता कमेटी (1957) का गठन किया। कमेटी की अनुशंसा पर उन्होंने पंचायतीराज व्यवस्था की सिफारिश की। जब राजीव गांधी प्रधानमंत्री बने, तो उन्होंने महसूस किया कि सासंद व विधायकों के माध्यम से जनआकांक्षाओं की पूर्ति नहीं की जा सकती। ग्रामीणों को सशक्त बनाने व सामाजिक न्याय दिलाने के लिए पंचायतीराज व्यवस्था लागू करना ही होगा। उन्होंने प्रयास किया, लेकिन राज्यसभा में विधेयक पास नहीं हो सका। 1992 में संविधान में 73 वां संशोधन किया गया और पंचायती राज संस्थान का कॉन्सेप्ट पेश किया गया।
24 अप्रैल 1993 से लागू होने वाले संविधान (73 वें संशोधन) अधिनियम 1992, ने पंचायती राज के माध्यम से गांव, इंटरमीडिएट और जिला स्तर पंचायतों को संस्थागत बनाया गया । ग्रामीण भारत में 73 वें संशोधन का प्रभाव बहुत दिखाई देता है क्योंकि इसमें शक्तियों का अपरिवर्तनीय रूप से बदलाव देखा गया है। तदनुसार, भारत सरकार ने राज्यों के परामर्श के साथ 24 अप्रैल को राष्ट्रीय पंचायती राज दिवस के रूप में मनाने का निर्णय लिया। पंचायती राज मंत्रालय राष्ट्रीय पंचायती राज दिवस का जश्न मनाने के लिए हर साल 24 अप्रैल को राष्ट्रीय सम्मेलन का आयोजन करता है।
हालांकि, बाद में विधेयक पास होने के बाद बिहार में पहला पंचायत चुनाव वर्ष 2001 में हुआ। तब, अध्यक्ष पद का आरक्षण नहीं हो सका था। 2006 में अध्यक्ष पद के साथ-साथ महिलाओं को 50 प्रतिशत आरक्षण दिया गया, लेकिन अब तक सभी 29 विभागों का हस्तानांतरण पंचायतीराज व्यवस्था में नहीं हो सका है।  यह आम लोगों के पंचायतीराज व्यवस्था के प्रति जिम्मेवार व जागरूक होने के बाद ही संभव है। इसके माध्यम से तेजी से ही राष्ट्र निर्माण के साथ-साथ गांवों में पंचायती राज को पूर्ण रूप से स्थापित किया जा सकता है।
इस कानून की मदद से स्थानीय निकायों को ज्यादा से ज्यादा शक्तियां दी गईं। उनको आर्थिक विकास और सामाजिक न्याय की शक्ति और जिम्मेदारियां दी गईं।



पंचायती राज कैसे चलता है?


शुरुआती दिनों में एक सरपंच गांव का सर्वाधिक सम्मानित व्यक्ति होता था। हर कोई उसकी बात सुनता था। यानी गांव के स्तर पर सरपंच में ही सारी शक्तियां होती थीं। लेकिन अब ग्राम, ब्लॉक और जिला स्तरों पर चुनाव होता है और प्रतिनिधियों को चुना जाता है। अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति एवं महिलाओं के लिए पंचायत में आरक्षण होता है। पंचायती राज संस्थानों को कई तरह की शक्तियां दी गई हैं ताकि वे सक्षम तरीके से काम कर सकें।
पंचायती राज की भूमिका में महात्मा गांधी कहते थे कि अगर देश के गांवों को खतरा पैदा हुआ तो भारत को खतरा पैदा हो जाएगा। उन्होंने मजबूत और सशक्त गांवों का सपना देखा था जो भारत के रीढ़ की हड्डी होती।  उन्होंने कहा था कि पंचायतों के पास सभी अधिकार होने चाहिए।   


राष्ट्रीय पंचायती राज दिवस
24 अप्रैल, 1993 को 73 वां संशोधन किया गया। तब से उस दिन को राष्ट्रीय पंचायती राज दिवस के तौर पर मनाया जाता है।


73वें संशोधन अधिनियम, 1992 में निम्नलिखित प्रावधान किये गये हैं:



  • एक त्रि-स्तरीय ढांचे की स्थापना (ग्राम पंचायत, पंचायत समिति या मध्यवर्ती पंचायत तथा जिला पंचायत।

  • ग्राम स्तर पर ग्राम सभा की स्थापना।

  • हर पांच साल में पंचायतों के नियमित चुनाव।

  • अनुसूचित जातियों/जनजातियों के लिए उनकी ।जनसंख्या के अनुपात में सीटों का आरक्षण।

  • महिलाओं के लिए एक तिहाई सीटों का आरक्षण।

  • पंचायतों की निधियों में सुधार के लिए उपाय सुझाने

  • हेतु राज्य वित्त आयोगों का गठन ।

  • राज्य चुनाव आयोग का गठन ।

  • 73वां संशोधन अधिनियम पंचायतों को स्वशासन की संस्थाओं के रूप में काम करने हेतु आवश्यक


शक्तियां और अधिकार प्रदान करने के लिए राज्य सरकार को अधिकार प्रदान करता है। ये शक्तियां और अधिकार इस प्रकार हो सकते हैं:


◆ संविधान की गयारहवीं अनुसूची में सूचीबध्द 29 विषयों के संबंध में आर्थिक विकास और सामाजिक न्याय के लिए योजनाएं तैयार करना और उनका निष्पादन करना


◆ कर, डयूटीज, टॉल, शुल्क आदि लगाने और उसे वसूल करने का पंचायतों को अधिकार


◆ राज्यों द्वारा एकत्र करों, डयूटियों, टॉल और शुल्कों का पंचायतों को हस्तांतरण