मुख्यमंत्री के बयान से नाराज हुए नाकेदार और रेंजर, स्टेट फॉरेस्ट रेंज ऑफिसर्स एसोसिएशन ने की ये मांग

 


◆ वन महोत्सव के दौरान सीएम की फिसली जुबान


◆ स्टेट फॉरेस्ट रेंज ऑफिसर्स एसोसिएशन ने जताई कड़ी नाराजगी


◆ नाराज नाकेदार और रेंजर के बीच कैसे लगेगी नैया पार 


◆ 28 सीटों पर होने हैं उपचुनाव



युवा काफिला, भोपाल-


सीएम शिवराज सिंह चौहान द्वारा नाकेदार और रेंजर को लेकर दिए एक बयान पर बवाल मच गया है। इस बयान पर स्टेट फॉरेस्ट रेंज ऑफिसर्स एसोसिएशन ने कड़ी नाराजगी जताते हुए मांग की है कि सरकार वन विभाग के मैदानी अमले पर दिए गए बयान को लेकर सफाई दे।
दरअसल 19 सितंबर को मनाए गए वनाधिकार महोत्सव के दौरान सीएम शिवराज सिंह चौहान ने भोपाल के जनजातीय संग्रहालय में अपने वक्तव्य में कहा था कि नाकेदार और रेंजर वनों में रहने वाले आदिवासी/ग्रामीणों पर अन्याय करते हैं और जबरदस्ती उनके बकरे-मुर्गी उठा लेते हैं। उन्हें प्रताड़ित करते हैं, रेंजर डेंजर हैं। ऐसा सीएम ने अपने जीवन के किसी वृतांत का उद्धरण देते हुए कहा था। लेकिन इस बयान ने नाकेदार और रेंजर को नाराज कर दिया है और स्टेट फॉरेस्ट रेंज ऑफिसर्स एसोसिएशन ने सीएम शिवराज से सवाल किया है कि यदि मुख्यमंत्री स्पष्ट करें कि उनके बयान का आधार क्या है। उन्होने कहा कि आपके पिछले 15 साल के कार्यकाल में क्या ऐसा कोई प्रकरण सामने आया है और अगर ऐसा प्रकरण हुआ है तो उसपर कार्रवाई क्यों नहीं की गई। एसोसिएशन ने कहा है कि वनाधिकार उत्सव में मुख्यमंत्री द्वारा ऐसा कहे जाने से आदिवासियों के मन में वनविभाग के मैदानी अमले के प्रति नफरत की भावना पैदा होगी। इससे वन एवं वन्यप्राणी सुरक्षा भी प्रभावित होगी। इन्होने कहा है कि रेंजर अपने परिवारों से दूर धूप-छांव, बारिश व सर्दी की परवाह न करते हुए वनों की सेवा करते हैं, इस दौरान कई रेंजरों ने अपनी जान भी गंवाई है। मध्यप्रदेश ने एक बार फिर से टाइगर स्टेट का दर्जा प्राप्त किया है और इसके पीछे भी वनविभाग के मैदानी अमले की मेहनत का बड़ा योगदान है।


स्टेट फॉरेस्ट रेंज ऑफिसर्स एसोसिएशन ने कहा है कि विपरित मौसम और हालात में अपनी जान जोखिम में डाल वनों की सेवा करने वाले रेंजर को लेकर सीएम ने जो बयान दिया है, वो उन्हें दुखी करने वाला है। उन्होने सरकार से मांग की है कि वन विभाग के इस मैदानी अमले के प्रति संवेदना बरतकर उन्हें उत्साहित करने वाला वक्तव्य जारी किया जाए ताकि वे वनवासियों के बीच भयमुक्त होकर अपनी ड्यूटी निभा सकें।