उपचुनाव / कोरोना के साए में हैं मध्यप्रदेश उपचुनाव

◆ मध्यप्रदेश में अब कोरोना का ईवीएम पर साया


◆ कांग्रेस की मांग - ईवीएम से ना हो उपचुनाव


◆ क्या कहता हैं भारतीय संविधान का अनुच्छेद 324 



युवा काफिला,भोपाल-


क्या ईवीएम से कोरोना फैल सकता है? दरअसल ये सवाल इसलिए क्योंकि 2014 के बाद से ईवीएम का विरोध करने वाली कांग्रेस पार्टी ने अब कोरोना के रास्ते एक बार फिर ईवीएम पर निशाना साधा है। मध्यप्रदेश में होने वाले उपचुनाव में कांग्रेस ने ईवीएम की जगह मतपत्रों (बैलेट पेपर) के इस्तेमाल की मांग की है। अब कांग्रेस इसके पीछे कोरोना को वजह बता रही है तो बीजेपी इसे बहानेबाजी।


मध्यप्रदेश में एक तरफ कोरोना संकट तो दूसरी तरफ चुनावी संघर्ष। जी हां, जिस ईवीएम के ज़रिए 2018 में विधानसभा चुनाव जीतकर मध्यप्रदेश में 15 साल के सत्ता का वनवास खत्म करने वाली कांग्रेस ने उसके बाद से लगातार ईवीएम पर सवाल खड़े किए हैं। अब कोरोना काल में मध्यप्रदेश में उपचुनाव की आहट के बीच ईवीएम एक बार फिर कांग्रेस के निशाने पर है। कांग्रेस को पहले ईवीएम में गड़बड़ी होने का शक था और अब ईवीएम से कोरोना फैलने का डर कांग्रेस को सता रहा है। इसलिए कांग्रेस ने मांग की है कि मध्यप्रदेश में आगामी उपचुनाव ईवीएम नहीं बल्कि मतपत्र यानी बैलेट पेपर से हो।
दरअसल, कांग्रेस ने चुनाव आयोग को इसके चलते जो पत्र लिखा है। उसमें ईवीएम से उपचुनाव न कराने को लेकर वजह बताई है कि हर मतदान केंद्र पर औसतन 1,000 से 1,200 मतदाता वोट डालते हैं। इसके लिए मतदाताओं को बार-बार ईवीएम मशीन के बटन दबाने होंगे। ऐसे में ईवीएम के जरिए कोरोना वायरस के संक्रमण के प्रसार की संभावना से इंकार नहीं किया जा सकता है। ऐसे में बीजेपी ने कांग्रेस की ईवीएम से उपचुनाव कराने की मांग पर तंज कसा है। गृहमंत्री नरोत्तम मिश्रा ने कहा है कि कांग्रेस जनता के बीच कभी जाती नहीं इसलिए खुद की हार का ठीकरा ईवीएम पर फोड़ती है।


बहरहाल, आपको याद होगा कि कोरोना संकट में कांग्रेस सत्ता के संकट में आई थी। इस दौरान सिंधिया समर्थक कांग्रेस के 22 बागी विधायकों के त्यागपत्र दिया था। इसके अलावा दो विधायकों के निधन के कारण रिक्त हुई 24 विधानसभा सीटों के लिए प्रदेश में उपचुनाव होने हैं। हालांकि अभी इसकी तारीख की ऐलान नहीं हुआ है, लेकिन कोरोना संकट के बीच मध्यप्रदेश में इसकी सरगर्मी तो शुरू हो ही गयी है।


चुनाव कब टाले या रद्द किए जा सकते हैं? इसके नियम क्या होते हैं?


कब चुनाव टाल सकता है आयोग


सुप्रीम कोर्ट के वकील अनस तनवीर ने बताया कि अनुच्छेद 324 के बूते चुनाव आयोग अपने हिसाब से चुनाव कराने को स्वतंत्र है। इसके अलावा लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम 1951 की धारा 52, 57 और 153 चुनाव रद्द करने या टाले जाने के बारे में बताती हैं।


1. कैंडिडेट की मौत


2. दंगा-फसाद, प्राकृतिक आपदा जैसी इमरजेंसी में


3. ईवीएम या मतपेटी से गड़बड़ी


4. पैसों के दुरुपयोग या मतदाताओं को घूस देने का मामला


5. बूथ कैप्चरिंग


6. सुरक्षा कारणों से