सुको का ऐतिहासिक फैसला/ हिंदुस्तान नहीं इंडिया रहेगा मान्य,संविधान से नहीं हटेगा इंडिया : सुको

◆ सुप्रीम कोर्ट ने भारत को हिंदुस्तान करार देने वाली याचिका को खारिज किया।
◆ देश का नाम इंडिया अर्थात भारत संविधान प्रदत्त है - सुको


◆ सुको ने कहा - हम इसमें कोई दखल नहीं दे सकते।


◆ हुई लोकतंत्र की जीत 


◆ हमारे देश का संविधान है महान


◆ भारत को हिंदुस्तान कहना बंद करो, अब सुप्रीम कोर्ट ने भी भारत को हिंदुस्तान नहीं माना है ।



नई दिल्ली: देश की शीर्ष अदालत में देश के मुख्य नाम को लेकर जबरदस्त बहस हुई। शानदार तर्कों और तथ्यों के बीच सुप्रीम कोर्ट ने याचिकाकर्ता की अपील को खारिज कर दिया।याचिकाकर्ता ने अपील की थी कि देश को केवल भारत या हिंदुस्तान नाम से पहचान मिले और इंडिया शब्द संविधान से हटा दिया जाए। सुप्रीम कोर्ट ने इस मुद्दे पर सुनवाई करते हुए कहा कि हम ये नहीं कर सकते क्योंकि पहले ही संविधान में भारत नाम ही कहा गया है। इस याचिका को केंद्र सरकार के सम्मुख एक ज्ञापन माना जाए।




इंडिया शब्द हटाने के पीछे की दलील


याचिकाकर्ता ने दलील दी थी कि संविधान के अनुच्छेद 1 में संशोधन कर इंडिया शब्द हटा दिया जाए। अभी अनुच्छेद 1 कहता है कि भारत अर्थात इंडिया राज्यों का संघ होगा। इसकी जगह संशोधन करके इंडिया शब्द हटा दिया जाए और भारत या हिन्दुस्तान कर दिया जाए। देश को मूल और प्रमाणिक नाम भारत से ही मान्यता दी जानी चाहिए। 



क्या हैं इंडिया की कहानी


India - Indica -Indus


INDIA शब्द अंग्रेजी शब्द नहीं है। 


महान मौर्य सम्राट चंद्रगुप्त मौर्य के समय उनके राज्य में एक ग्रीक अधिकारी मैगस्थनीज़ सेल्युकस निकेटर ने मौर्य साम्राज्य के शासन, प्रशासन, लोगों के व्यवहार तथा सभ्यता संस्कृती पर एक किताब लिखी इंडिका। 


इंडिका में मैगस्थनीज ने चंद्रगुप्त के राजप्रासाद का बड़ा ही सजीव वर्णन किया है। उस समय कोई जाति व्यवस्था नहीं थीं अर्थात समता थीं। सम्राट चंद्रगुप्त समता, समानता, न्याय और बन्धुत्वता के सिद्धांत पर कार्य करता था । उस समय सिंधू नदी को ग्रीक भाषा में इंडिका वैली (सिंधु घाटी) कहा जाता है। अतः इंंडिया ग्रीक शब्द हैं।