◆ जाने प्राचीन स्मारकों का वर्गीकरण और कानून
◆ 98% प्राचीन बौद्ध धरोहर हैं भारतीय पुरातात्विक विभाग के अधीन
◆ जाने क्या हैं नियम और कानून
युवा काफिला, भोपाल-
जानकारी उन स्मारक मित्रो के लिए है जो प्राचीन स्मारकों के संरक्षण में लगे है
1. Category A : -
ऐसे प्राचीन स्मारक जो आंतराष्ट्रीय तथा राष्ट्रीय महत्व है यह स्मारक भारत सरकार के अधीन है। भारत में अधिकत्तम प्राचीन बौद्ध धरोहर (98%) यह भारत सरकार के Archeological Survey of India के अधीन है। इसका कारण यह है की बौद्ध धरोहर यह पर्यटन के दरवाजे से भारत सरकार को विदेशी मुद्रा देती है (7.25 Total Contribution in GDP by the Door of Tourism and creating Jobs in rural areas) तथा दक्षिण पूर्व एशिया तथा पूर्व एशिया की अंतर्राष्ट्रिय कुटनिती का (International Diplomacy) आधार है।
2. Category B : -
जो प्राचीन स्मारक राज्य द्वारा संरक्षित किये गये वे State Archeological Department के अधीन होंगे। इनके रखरखाव की जिम्मेदारी राज्य की होंगी। इसमें Archeological Survey of India हस्तक्षेप नही करती।
3. Category C : -
ऐसे प्राचीन स्मारक/धरोहर जिसका उत्खनन हुवा है किन्तु उसे नाही Archeological Survey of India और नही State Archeological Department ने राष्ट्रीय महत्व संरक्षित स्मारक के रूप में घोषित नही किया अर्थात नही वे केंद्र के अधीन है और नही वे राज्य के अधीन है। ऐसे प्राचीन स्थलों को पुनर्जीवित करने के लिए स्वयंसेवी संस्था केंद्र या राज्य को प्रस्ताव जिलाधिकारी द्वारा भेज सकती है। जहा तक ऐसे स्मारक का प्रस्ताव राज्य के पास ही भेजे। Category C में प्राचीन बौद्ध स्थल की भरमार है।
Category C प्रस्ताव भेजते समय
(1) Category C के प्राचीन धरोहर को विकसित करने का प्रस्ताव भेजते समय सर्वप्रथम यह जाच पड़ताल करना होंगा की क्या उस प्राचीन स्थल का उत्खनन हुवा है या नही ? अगर उत्खनन नही हुवा हो तो इसकी जानकारी सर्वप्रथम स्थानीय जिलाधिकारी को दी जाए ताकि जिलाधिकारी उस स्मारक को अतिक्रम से बचाया सके या अतिक्रमण हटा सके एव 7/12 (खसरा/खतवनी) बनाने के निर्देश सबंधित तहसीलदार को दे सके।
(2) अगर उत्खनन हुवा है तो स्मारक की भूमि पर मालकिना हक किसका है ? सरकार का या निजी व्यक्ति का ? अगर निजी व्यक्ति का हक है तो सर्व प्रथम उस स्मारक को खतवनी (खसरा/7/12) पर वर्णित करने हेतु तहसीलदार को निवेदन देना होंगा।
(3) भारत में अधिकतम प्राचीन बौद्ध स्थल खतवनी (खसरा/7/12) पर वर्णित नही है. भारतीय संविधान के प्रान्तों के नीति निर्देश अनुच्छेद 49 के तहत सभी प्राचीन स्थल यह सरकारी सम्पति है इसलिए प्राचीन स्मारक की भूमि स्मारक के नाम से होनी चाहिए उसका रिकार्ड होना चाहिए।
(4) खतवनी (खसरा/7/12) पर बौद्ध स्थल वर्णित करते समय अधिभार इस Column में तहसीलदार को यह लिखने के लिए कहना होंगा की स्मारके चारो दिशा में 300 मीटर तक किस प्रकार का कोई निर्माण कार्य ASI के पूर्ण अनुमति से नही होंगा।
(5) प्रस्ताव यह जनहित में होना चाहिए, जिससे राज्य सरकार को राजस्व, बेरोजगारों रोजगार उपलब्ध हो सके........
Category C स्मारक से संस्था को लाभ
1. स्मारक का दायरा 300 मीटर इसमें 100 मीटर का दायरा पुरात्विक विभाग का इसमें आप कुछ नही कर सकते। किन्तु 200 मीटर में आप अपनी संस्था द्वारा गतिविधिया चला सकते है।
2. बौद्ध स्मारक होने से विदेशी बौध्दो का झुकाव इन्ही स्थलों की ओर सबसे ज्यादा होता है। इससे आपकी संस्था विदेशी बौद्ध संस्था के साथ सबंध बना सकती है इससे संस्कृति और ज्ञान का आदान प्रदान होंगा और दान का एक बेहतर स्त्रोत बन सकता है।
3. प्राचीन बौद्ध स्थल के 200 मीटर में आप होटल, रेस्ट्रोरेंट, अन्य दूकान खोलकर स्थानिक बेरोजगारों को रोजगार दे सकते है। इससे राज्य सरकार को राजस्व मिलेंगा और केंद्र को विदेशी मुद्रा।
4. इससे स्थानिक उद्योग को बढ़ावा मिलेंगा ।
5. प्राचीन बौद्ध स्थल संरक्षित होकर बेहतर रखरखाव किया जा सकता है।
जानकार - सत्यजित चन्द्रिकापुरे