निधन/बौद्ध साहित्य का सूर्य हुआ अस्त, नहीं रहे शांति स्वरूप बौद्ध जी

◆ बौद्ध साहित्य को संरक्षित करने का बड़ा कार्य


◆ वें बौध्द साहित्य के प्रति समर्पित थे


◆ बौद्ध साहित्य कोष कर रहे थे तैयार


◆ सम्यक प्रकाशन के व्यवस्थापक



युवा काफिला, भोपाल-


बौद्ध साहित्य का सूर्य अस्त हो गया । एक समय ऐसा लगा मानो यह खबर झूठ निकल जाए लेकिन ऐसा नहीं हुआ और आज हमारे बीच बौद्ध साहित्य के प्रति समर्पित और हम सबके प्रिय शांति स्वरूप बौद्ध जी अब नहीं रहे। युवा काफिला परिवार अपने नम आंखों से उन्हें अश्रुपूर्ण श्रद्धांजलि अर्पित करता है। 


शांति स्वरूप बौद्ध जी का संक्षिप्त जीवन परिचय
जन्म: शान्ति स्वरूप बौद्ध


(2.10.1949-6.5.2020)


शान्ति स्वरूप बौद्ध का जन्म 2 अक्टूबर 1949 को फराशखाना, पुरानी दिल्ली में हुआ।


◆ 2 अक्टूबर, 1949 
शिक्षा : स्नातक
जन्म स्थान: पुरानी दिल्ली
पिताजी: तत्वलीन लाला हरिश्चंद्र मौर्य


माताजी:  तत्वालीन भूरिया देवी
जीवनसाथी : प्रेमलता बौद्ध
पुत्र : संदीप बौद्ध, कपिल बौद्ध
पुत्रवधू : किरन बौद्ध, दीपशिखा बौद्ध
पूर्व का नाम : गुलाब सिंह
11 वर्ष की आयु पर डॉक्टर भीमराव अंबेडकर द्वारा इनका नाम गुलाब सिंह के स्थान पर शांति स्वरूप बौद्ध रखा।
इन्हें राष्ट्रीय अंतरराष्ट्रीय विभिन्न 48 पुरस्कारों से सम्मान मिला है।
बहुजन समाज के लिए विश्व का सबसे बड़ा बहुजन प्रकाशन जो सम्यक प्रकाशन के नाम से है इन्होंने स्थापित किया।


◆ 21 वर्ष भारत सरकार की राजपत्रित अधिकारी की नौकरी की उसके बाद डॉक्टर भीमराव आंबेडकर जी एवं भगवान बुद्ध का मिशन आगे बढ़ाने हेतु नौकरी से त्यागपत्र देकर अंत तक सामाजिक कार्य किया।
◆ 11 बौद्ध देशों की यात्राएं की।
◆ भारत के सभी बौद्ध तीर्थ स्थलों की यात्राएं की यहां तक कि अतरंजीखेङा मिरहची तक दो बार आए।
◆ मेरी पहली पुस्तक जानिए अपने बाबासाहेब को इन्हीं के हाथों से प्रकाशित हुई।


◆ बौद्ध साहित्य एवं डॉक्टर आंबेडकर साहित्य के महान ज्ञानी पंडित थे।


◆ निर्भीक, साहसी,सैकड़ो पुस्तकों के लेखक।
वर्तमान में पश्चिम पुरी नई दिल्ली मैं परिवार सहित रह रहे थे।


बौद्ध इतिहास से सम्बद्ध चित्रों का सृजन एवं प्रकाशन ; बौद्ध धम्म एवं इतिहास से संबद्ध बाल साहित्य का सचित्र प्रकाशन ; बौद्ध धम्म के प्रसिद्ध ग्रंथों का गौरवशाली प्रकाशन ; साहित्यिक प्रतिभा वाले बन्धुओं को प्रोत्साहन। बौद्ध धम्म के आधार स्तंभ माने जाने वाले साठ से अधिक पात्रों के जीवन दृत्तांत पर सचित्र पुस्तकें प्रकाशित।


धम्म यात्राएं : भारतवर्ष के लगभग सभी प्रमुख नगरों में धम्म प्रवचन एवं विशेष रूप से आस्ट्रेलिया, इंग्लैंड, फ्रांस, जर्मनी, हांगकांग, सिंगापुर एवं नेपाल आदि देशों की धम्मयात्राएं। 2006 में गोरखपुर से बौद्धाचार्य का प्रशिक्षण। 


व्यवसाय : 21 वर्ष के सेवाकाल के पश्चात केन्द्रीय सरकार के राजपत्रित पद को अस्वीकार कर सांस्कृतिक, कलात्मक, साहित्यिक-सामाजिक क्रांति के लिए समर्पित रहे।