◆ लॉक डाउन के दौरान बढ़ी दलितों पर हिंसा
◆ अपराधी खुलेआम घूम रहे
◆ दलितों में भरा आक्रोश
युवा काफिला,छतरपुर-
जहां एक ओर विश्व कोरोना महामारी से लड़ रहा है और समाज के एक बड़ा तमका आज भी जातीय हिंसा का शिकार हो रहे हैं। अपने ही समान इंसान के साथ जानवरो से ज्यादा दुर्व्यवहार किया जा रहा हैं। दलित हिंसा का शिकार बन रहे है सरकार और विपक्ष दोनों शांत बैठे हुये हैं । मध्यप्रदेश में आगामी विधानसभा के उपचुनाव की तैयारी कर रहे हैं लेकिन दलितों को अपना वोट बैंक बनाने के लिये लच्छेदार भाषण दिए जाते हैं बाद में उन्हें उनके हाल पर जीने मरने को छोड़ दिया जाता है ऐसे यह समाज जाए भी तो कहा जाय ।
क्या हैं मामला
दरअसल , पूरा मामला छतरपुर जिले के जुझारनगर थाना अन्तर्गरत (बारीगढ़ )रामपुर गांव का हैं जहां एक दलित वृद्ध को गांव के दबंगो में बुरी तरह पीटा लेकिन पुलिस ने एक आरोपी पर एफआईआर दर्ज की जबकि दो आरोपी को छोड़ दिया जिससे यह साबित होता है कि दलित की रक्षा के लिये छतरपुर जिले की पुलिस कितनी सतर्क हैं। मुख्य आरोपी वीरेंद्र सिंह , घन्ना सिंह एवं राजेन्द ठाकुर ने वृद्ध पर जान लेवा हमला किया तथा उसके हाथ को तोड़ दिया है। जिससे जुझार नगर थाना प्रभारी ने एक आरोपी वीरेंद्र सिंह पर एफआईआर दर्ज की जबकि उसके दो लोगो के नाम काट दिया जिससे फरयादी के कहने के अनुसार आज भी पुलिस दबंगो के साथ है । अपराधी खुलेआम घूम रहे हैं। भाजपा शासन में दलितों पर हर रोज अपराध हो रहे हैं ।
छतरपुर जिले में दलितों पर हो रहे अत्याचार पर पुलिस प्रशासन की नाकामी इस ओर इशारा कर रही हैं पुलिस आज भी सामान्त साहियो के गुलाम हैं ।यहां पर सामान्त वाद बहुत पनप रहा जबकि एक समाज आज भी आज़ाद भारत मे गुलामी की जंजीरों में जकड़ा हुआ है। देश को आज़ाद हुये 70 साल हो गए है लेकिन यहाँ आज भी सार्वजनिक नल से पानी भरने के लिय दलितों को रोका जा रहा है। समाज मे अपनी बात रखने तक अधिकार नही है।
दलितों को भेड़ बकरी समझ कर काटा जा रहा है ऐसे में दलित समाज हिन्दू होते हुये भी हिन्दू समाज के अत्याचारों से परेसान हो चुके हैं। मिडिया , पुलिस , थाना, यहां तक कि आदालतों में भी दलित वर्ग के साथ शोषण हो रहा है। सामान्त वादी हर जगह से दलितों पर कुठाराघात कर रहे हैं ।आज समाज का एक बड़ा हिस्सा दलित समाज अपने देश मे भी पराया महसूस कर रहे हैं।
ऐसे में दलितों के प्रति हो रहे दुराचार से दलित समाज मे बेहद ही गुस्सा भरा हुआ । आज दलितों को एक नीति नियम में बांध कर उन्हें उनके अधिकारों से बन्छित कर दिया जा रहा है।