◆ 24 मार्च से जनता के बीच जाकर सम्पूर्ण टीम के साथ बाट रहे हैं राशन
◆ मास्क और सेनिटाइजर के लिए लोगों को कर रहे हैं जागृत
◆ आगरा से प्रारंभ कर सम्पूर्ण भारत मे पहुँचा रहे है मदद
◆ परम श्रद्धेय भन्ते डॉ करुणाशील राहुल जी हैं बौद्ध भिक्खु
युवा काफिला, भोपाल-
भारतीयों के धम्म गुरु और बौद्ध धम्म के भिक्खु लगातार जन सेवा में लगे हैं। 24 मार्च के बाद से लगातार आज तक दानम अभियान के माध्यम से वें कच्चा व पका भोजन जरूरतमंद जनता तक पहुँचा रहे है । भिक्खु डॉ करुणाशील राहुल जी स्वयं लोगों के बीच जाकर उनका हालचाल ले रहे हैं। वे जनसामान्य को उनकी भाषा में फिजिकल डिस्टेंसिंग सहित मास्क व सैनिटाइजर की जानकारी पहुँचा रहे हैं। इस कार्य में उनकी टीम साथ होती हैं जिसमें फिजिकल डिस्टेंसिंग का विशेष ध्यान रखा जाता हैं।
आख़िर क्यो हो रहे बौद्ध भिक्खु भारत में लोकप्रिय-
भिक्खु का जीवन - पारिवारिक (गृहस्थों) जीवन को त्यागकर परिव्राजक का जीवन ग्रहण करना ही भिक्खु का जीवन हैं।
इनका जीवन कार्य - बहुत जनों के कल्याण के लिए कार्य करना। इनका जीवन मानवता को समर्पित रहता हैं।
पहचान
कषाय वस्त्र, मूढा हुवा सर से भी कही अधिक है, एक बौद्ध भिक्खु होने की पहचान हैं। कोरोना काल मे जहां सभी कामकाज प्रभावित हुए ,वही सरकार ने एक तरफा निर्णय लेकर एक विशेष समुदाय के गुरुजनों को निश्चित राशि प्रदान की गई , यह सरकार की ओर से किया जाने वाला बेशक एक सराहनीय कदम रहा वहीं सरकार के संविधान के अनुरूप अनुच्छेद 14 में व्याप्त समता के सिद्धांत पर कठोराघात हैं।भिक्षुओं के संगठन के संबंध में जो सर्वाधिक मौलिक और अनुपम संस्था बुद्ध ने आरंभ की वह अपराध स्वीकार करने की प्रथा थी । भिक्खुओं और गृहस्थों में धर्म के लिए कोई अंतर नहीं था, किंतु भिक्खुओं के लिए अनुशासन प्रमुखता से रखी गई शर्त थीं जिसका पालन करना उनके लिए अनिवार्य नियम था भिक्खुओं और गृहस्थों के बीच में धम्म एक मात्र रिश्ता हैं।
बुध्द की शिक्षा
बुद्ध ने स्वयं ही भिक्खुओ को बताया हैं, कि वे उनसे भिक्खु के रूप में क्या अपेक्षा रखते हैं, एक आदमी केवल इसीलिए भिक्खु नहीं कहलाता कि वह दूसरों से भिक्षा मांगकर खाता है ,जो धम्म को पूर्ण रूप से ग्रहण करता है वही भिक्खु है । वह नहीं जो केवल भिक्षा मांगता है, जो बुराइयों से परे हैं, जो निर्मल है, जो सावधानीपूर्वक संसार में रहता है, बुध्द के बताए धम्म अनुसार आचरण कर अनुशासन में रहता हैं ।
धम्म के कार्य को निरंतर गतिमान कर बुध्द की शिक्षा को सामान्य जन मानस तक पहुचना तथा भारत को बौद्धमय बनाना के एक मात्र उद्देश्य लिए परम श्रध्देय भिक्खु डॉ करुणाशील राहुल जी प्रयत्नशील हैं।
वे इसके लिए निरंतर गांवों से शहरों तक जाकर सभाओं के माध्यम से कार्य कर रहे हैं।
कोरोना काल में अचानक लॉक डाउन लगने के कारण एक धर्मगुरु के साथ ही मानवता की शिक्षा को अंगीकार करते हुए भन्ते जी समाज कल्याण में लग गए।
आगरा से संपूर्ण भारत मे हैं कार्य
सर्वप्रथम 24 मार्च से उत्तर प्रदेश में आगरा की बस्तियों से जरूरतमन्दों को मास्क बाटे और उन्हें कोविड-19 के बचाव के उपाय समझाए। यह पुनीत कार्य उनके और साथी भन्ते आदित्य, भन्ते धम्मशील और धम्मभूमि के श्रद्धावान उपासको के सहयोग से किया।
आगरा में यह कार्य श्रद्धावान उपासक-उपासिकाओं द्वारा निरंतर रखने के पश्चात हरियाणा के पलवल में बने महाविहार में सेवाएं प्रदान की और फिर वहां के श्रद्धावान उपासको को संकट की घड़ी में जनकल्याण के लिए पुनः एकजुट किया। उस समय मजदूर वर्ग पूरे भारत मे पलायन कर रहे थे, मीलो का सफर भूख प्यास पैरो में छाले और थकान भरा हुआ वो दौर बहुत पीड़ादायक रहा, तभी श्रद्धेय भन्ते जी ने अपने श्रद्धावान उपासको को एकजुट कर उनके साथ मिलकर हाईवे से गुजर रहे मजदूरों को खाना-पानी, सफर के लिए फल और बिस्किट और केले उपलब्ध कराने के साथ ही उनके लिए चप्पल की भी व्यवस्था करवाई। फिर इस कार्य की जिम्मेदार वहीं के धम्म उपासको को सौप दिया और वे अलीगढ़ जो आगरा के पास स्थित है वहाँ धम्मशीला धम्मभूमि विहार में पूरे सुनियोजित रूपरेखा के साथ पुनः मजदूर जो रास्ते से पलायन कर रहे थे उनके लिए और जरूरतमन्द को खाना-पानी और अनाज की व्यवस्था निरन्तर जारी रखने गए।
बहुजन हिताय- बहुजन सुखाय की भावना को साकार करने की भावना से संकट की घड़ी में लोगो को सहायता पहुँचा रहे हैं।
भोपाल दमोह मध्यप्रदेश, गुजरात, उत्तरप्रदेश, राजस्थान और महाराष्ट्र समेत कई अन्य राज्यो में यह कार्य भन्ते जी के कुशल मार्गदर्शन में जारी रहा।