दलबदल / अब सांची विधानसभा क्षेत्र के रसूखदार आए कांग्रेस में

◆ सांची सीट पर उपचुनाव से पहले भाजपा को लगा बड़ा झटका


◆ भाजपा के पूर्व ग्रामीण मंडल अध्यक्ष प्रेमनारायण मीना सहित दो दर्जन भाजपा कार्यकर्ता कांग्रेस में शामिल


◆ अब सवाल यह हैं कि विधानसभा चुनाव 2018 में भाजपा प्रत्याशी मुदित शेजवार क्या रुख करते हैं



युवा काफिला भोपाल- 


कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष और पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ के समक्ष भाजपा के पूर्व  ग्रामीण मंडल अध्यक्ष प्रेमनारायण मीना सहित दो दर्जन भाजपा कार्यकर्ता कांग्रेस में शामिल हुए। 
प्रेम नारायण मीणा क्षेत्र के प्रभावशाली नेता माने जाते हैै। वेे पूर्व ग्रामीण मंडल अध्यक्ष रहे हैं और मीणा समाज में खासा दखल रखते हैं।
बम्होरी के भाजपा समर्थित सरपंच दर्शन पटेल और गैरतगंज क्षेत्र में बड़ा नाम जितेंद्र राय भी कांग्रेस में शामिल हो गए हैं ऐसे में प्रेमनारायण मीना का कांग्रेस में जाना भाजपा के लिये बड़ा नुकसान माना जा रहा है। सनद रहे कि उनका 169 मतदान केंद्रों और 77 ग्राम पंचायतों के कार्यकर्ताओं से सीधा संपर्क रहा है।



सांची के लिये कांग्रेस के मीडिया प्रभारी भूपेन्द्र गुप्ता ने बताया कि भाजपा  के संभावित प्रत्याशी प्रभुराम चौधरी से सामंजस्य न.बैठने के कारण भाजपा के और भी नेता भाजपा छोड़ने का मन बना रहे हैं। 


छह चुनाव में एक-दूसरे के खिलाफ लड़े डॉ. गौरीशंकर शेजवार और डॉ. चौधरी के एक ही पार्टी में आने से असमंजस


सांची विधानसभा क्षेत्र में भाजपा के डॉ.गौरीशंकर शेजवार और कांग्रेस के डॉ. प्रभुराम चौधरी परंपरागत प्रतिद्वंद्वी रहे हैं। पिछले विधानसभा चुनाव में डॉ. शेजवार के पुत्र भाजपा के मुदित शेजवार को डॉ. चौधरी ने ही हराया था। इसके बाद कांग्रेस की प्रदेश सरकार में उन्हें स्कूल शिक्षा मंत्री बनाया गया था। वे जिले से एक मात्र मंत्री थे। उनके इस्तीफे के बाद अब जिले में कांग्रेस के एक मात्र विधायक उदयपुरा से देवेंद्र गड़रवास ही रह गए हैं। एक ओर डॉ. प्रभुराम चौधरी ने सिंधिया के साथ रहने की बात कही है वहीं, भाजपा नेता डॉ. गौरीशंकर शेजवार पार्टी हाईकमान के आदेश का पालन करने की बात कह रहे हैं। इस सब के बावजूद जमीनी स्थिति आसान नहीं रहने वाली है। दोनों नेता आपस में कैसे तालमेल बैठाएंगे, यह बड़ा सवाल खड़ा हो गया।


टकराव, चिंता और चुनौती साथ लाया बदलाव



  • टकराव: कांग्रेसियों के पार्टी में आने का भाजपाई समर्थन कर रहे हैं, लेकिन स्वीकार्यता को लेकर टकराव हो सकता है। चुनाव के समय टिकट को लेकरटकराव के हालात बनेंगे।

  • चिंता: भाजपाइयों को चिंता है कि कांग्रेसियों से आने वाले चुनावों में टिकट कटने का खतरा रहेगा। बड़े नेताओं को अपनी जमीन की चिंता है कि कहीं उनके पद न छिन जाएं।

  • चुनौती: इस बदलाव के बाद नगरीय निकाय और पंचायत के चुनावों का सामना करना होगा। इन चुनावों के नतीजों से स्पष्ट होगा कि यह बदलाव सही रहा या गलत।


माधवराव ने कराई थी राजनीतिक शुरुआत, बेटे के लिए छोड़ी चौधरी ने कांग्रेस


बेगमगंज के सुमेर गांव में 15 जुलाई 1958 को जन्मे प्रभुराम ने बीएससी और एमबीबीएस की डिग्री ली है। वे जब मेडिकल के फाइनल इयर में पढ़ाई कर रहे थे तब माधवराव सिंधिया ने पहली बार 1985 में डॉ प्रभुराम चौधरी को सांची विधानसभा से टिकट दिलाया था। इंदिरा लहर के चलते वे चुनाव भी जीत गए। तब उन्होंने डॉ गौरीशंकर शेजवार को यह चुनाव हराया था। तत्कालीन मुख्यमंत्री मोतीलाल वोरा की सरकार में डॉ. चौधरी को 1989 में 9 महीने के लिए संसदीय सचिव भी बनाया गया था। अपने राजनीतिक जीवन की शुरुआत माधवराव सिंधिया के साथ करने वाले डॉ. प्रभुराम चौधरी उनके निधन के बाद ज्योतिरादित्य सिंधिया के साथ बने रहे और अब कांग्रेस छोड़ दी थीं।