बौध्द विरासत / गिलगित-बाल्टिस्तान में बौध्द धरोहरों में तोड़फोड़

◆ गिलगित-बाल्टिस्तान में बौद्ध धरोहरों में तोड़फोड़


◆ पाकिस्तान के कब्जे वाले पीओके में हैं यह स्थल


◆ भारत सहित बौद्ध राष्ट्रों ने चिंता व्यक्त की


◆ भारत ने पाकिस्तान को दी कड़ी चेतावनी


◆ स्तूप सहित बुध्द के बने हैं चित्र



युवा काफिला, भोपाल-


पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर (पीओके) के गिलगित-बाल्टिस्तान में बौद्ध धरोहर में तोड़फोड़ की खबर मीडिया रिपोर्ट्स के द्वारा बाहर आ रहीं हैं। 


भारतीय विदेश मंत्रालय ने आज पाकिस्तान के कब्जे वाले गिलगित-बाल्टिस्तान में बौद्ध स्मारकों को तोड़े जाने की कड़ी निंदा की। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अनुराग श्रीवास्तव ने कहा 'हमने भारत के हिस्से 'गिलगित-बाल्टिस्तान' में स्थित एक अमूल्य भारतीय बौद्ध स्थल के अपमान और तोड़फोड़ को लेकर कड़ी आपत्ति और चिंता जताई है। यह क्षेत्र भारत के हिस्से में आता है लेकिन पाकिस्तान ने इस पर अवैध रूप से कब्जा कर रखा है।'



विदेश मंत्रालय ने कहा कि यह गंभीर चिंता का विषय है कि भारत में आने वाले उन हिस्सों में, जहां पाकिस्तान का अवैध कब्जा है, बौद्ध स्मारकों को नष्ट किया जा रहा है और धार्मिक और सांस्कृतिक अधिकारों और स्वतंत्रता का हनन किया जा रहा है। 


जानकारी के अनुसार गिलगित-बाल्टिस्तान के चिलास इलाके में 800 ईसवी की बौद्ध शिलाओं और कलाकृतियों को नुकसान पहुंचाया गया है और उन पर पाकिस्तानी झंडे के चित्र उकेरे गए हैं। ये नक्काशियां और कलाकृतियां पुरातत्व की दृष्टि से बहुत अहम हैं। 



श्रीवास्तव ने कहा कि प्राचीन सभ्यता और सांस्कृतिक विरासतों का अपमान करने वाली ऐसी घटनाएं निंदनीय हैं। हमने इस अमूल्य पुरातात्विक धरोहर को दोबारा स्थापित करने के लिए और इसे संरक्षित करने के लिए विशेषज्ञों से मांग की है कि वह तत्काल वहां पहुंचें। साथ ही  उन्होंने कहा है कि पाकिस्तान वहां रह रहे लोगों के राजनीतिक, आर्थिक और सांस्कृतिक अधिकारों का गंभीर उल्लंघन बंद करे। 



अनुराग श्रीवास्तव यहीं नहीं रुके उन्होंने कहा कि इस अमूल्य पुरातात्विक धरोहर के जीर्णोद्धार और संरक्षण के लिए भारत तुरंत वहां अपने विशेषज्ञ भेजने की मांग करता रहा है। ज्ञात हो कि गिलगित-बाल्टिस्तान के चिलास क्षेत्र में नष्ट की हुई बौद्ध शिला मिली है। ऑनलाइन प्रसारित हो रही तस्वीरों के मुताबिक उस पर नारे और पाकिस्तानी झंडा पेंट कर दिया गया है।



अभी कुछ ही दिन हुए पाकिस्तान के राष्ट्रपति आरिफ अल्वी ने गिलगिट-बाल्टिस्तान में कार्यवाहक सरकार के गठन का निर्देश दिया था। इससे पहले पाकिस्‍तानी सुप्रीम कोर्ट ने 30 अप्रैल को संघीय सरकार को क्षेत्र में आम चुनाव कराने के लिए 2018 के एक प्रशासनिक आदेश में संशोधन करने की मंजूरी दी थी। सुप्रीम कोर्ट द्वारा गिलगिट-बाल्टिस्तान में चुनाव कराने की मंजूरी देने के बाद भारत ने पाकिस्‍तान की नापाक कोशिशों के लिए कड़ा विरोध दर्ज कराया था।
पाकिस्तान ने चीन संचालित फर्म के संयुक्त उद्यम के तहत डायमर-भाषा बांध (diamer bhasha dam) के निर्माण के लिए 442 अरब रुपये के अनुबंध पर हस्ताक्षर किया था। भारत ने गिलगित-बाल्टिस्तान में बांध बनाने के लिए पाकिस्तान द्वारा मेगा कांट्रैक्ट दिए जाने पर भी कड़ा रुख अपनाते हुए कहा था कि अवैध कब्जे वाले क्षेत्रों में ऐसी परियोजना को अंजाम देना उचित नहीं है। भारत ने साफ तौर पर यह कहा था कि गिलगिट-बाल्टिस्तान के इलाकों समेत जम्मू-कश्मीर और लद्दाख जैसे केंद्र शासित प्रदेश भारत का अभिन्न हिस्सा हैं।



चिलास या चलास (उर्दू: چلاس), पाक-अधिकृत कश्मीर के गिलगित-बलतिस्तान क्षेत्र के दिआमेर ज़िले में स्थित एक छोटा-सा क़्स्बा है जो उस ज़िले की राजधानी भी है। यह काराकोरम राजमार्ग के द्वारा रेशम मार्ग से जुड़ता है साथ ही यह राजमार्ग इसे दक्षिण मे इस्लामाबाद से जोड़ता है। काराकोरम राजमार्ग पर चिलास से इस्लामाबाद के रास्ते में दासु, मनसेहरा, ऐबटाबाद और हरिपुर नगर आते हैं जबकि, इसके उत्तर में यह गिलगित और सोस्त के रास्ते चीनी शहरों कशगार और ताशकुरगन से जुड़ता है।


चिलास की प्रचीन शिलाएँ 
शाहराह-ए-काराकोरम के साथ-साथ अब तक तक़रीबन 20,000 से ज़्यादा ऐसी चट्टानें और स्थान मिले हैं जो प्राचीन संस्कृति के चिह्न देते हैं। गिलगित-बल्तिस्तान में हुन्ज़ा और हरिबन की जानिब दस बड़े ऐसे स्थान हैं जिनकी वजह से यह जगह ऐतिहासिक बनी हुई हैं। यह उन गुज़रे हुए हमलावरों, व्यापारियों और यात्रियों की यादगार हैं जिन्होनें प्राचीनकाल में यहाँ सफ़र किया। 5000 से 1000 ईसा पूर्व के दौर की यहाँ शिलाएँ तराशी हुई हैं । जिनमें जानवर, तिकोने मनुष्य और शिकार करते लोग दिखाए गए हैं। जानवरों का आकार मनुष्यों से बड़ा दर्शाया गया है। यह चट्टानों पर पत्थर के औज़ारों से बनाए गए थे और उन औज़ारों की चोटें भी आज तक दिखाई देती हैं।