◆ होगा नियमों में बदलाव चेक बाउंस या कर्ज भुगतान में देरी अब अपराध नहीं
◆ कोरोना काल के कारण बदलाव संभव
◆ चैक बाउंस में अभी हैं 2 साल की कैद
◆ मौजूदा अर्थव्यवस्था को देखते हुए सरकार ले रही है फैसला
युवा काफिला, भोपाल-
कोरोना में अर्थव्यवस्था संकट के बीच वित्त मंत्रालय चेक बाउंस या कर्ज भुगतान में देरी जैसे छोटे मोटे आर्थिक मामलों को अपराध की श्रेणी से बाहर करने का फैसला ले सकती है। मंत्रालय का मानना है कि कोरोना संकट बीच कारोबारी सुगमता बढ़ाने के लिए मौजूदा कानून में बदलाव किया जाना बेहतर हैं ।
वित्त मंत्रालय की ओर से पेश प्रस्ताव के मुताबिक, नेगोशिएबल इंस्ट्रूमेंट एक्ट (चेक बाउंस), सरफैसी एक्ट (बैंक कर्ज भुगतान) एलआईसी, आरपीएफआरडी एक्ट, आरबीआई एक्ट, एनएचबी एक्ट, बैंकिंग विनियमन एक्ट और चिट फंड एक्ट के प्रावधानों में बदलाव किया जाएगा।
इसके तहत आने वाले 19 कानूनों को खत्म करने के लिए हित धारको से 23 जून तक सुझाव का टिप्पणियां मांगी गई हैं। वित्त मंत्रालय का कहना है कि इस कदम से सबका साथ सबका विकास और सबका विश्वास की योजना को पूरा किया जा सकेगा।
चेक बाउंस पर अभी 2 साल कैद
वर्तमान में चेक बाउंस से जुड़ा कानून काफी सख्त है। जिसमें 2 साल की कैद का प्रावधान है। साथ ही जितने रुपए का चेक होगा। उसका दोगुना जुर्माना लगाया जा सकता है। चेक बाउंस से जुड़े नेगोशिएबल इंस्ट्रूमेंट्स एक्ट 1881 की धारा 138 में अगर कोई स्वीकार्य देनदारी हो जिसके भुगतान के लिए चेक जारी किया गया है। ऐसे में चेक बाउंस होने पर जारीकर्ता के खिलाफ मामला दर्ज किया जा सकता है।
फैसले से होगा यह असर
विदेशी निवेशकों को बड़ी राहत होगी जिनके लिए आर्थिक अपराध बहुत मायने रखता है।
कारोबारियों को अदालतों के चक्कर लगाने में छुटकारा मिलेगा वह सुगमता बनेगी।
छोटे-मोटे वित्तीय नियमों के पालन में चूक से व्यापारियों पर बढ़ने वाले बोझ में कमी आएगी।
कर्जधारक या चेक जारीकर्ता को जटिल कानूनी प्रक्रियाओं से भी छुटकारा मिलेगा।
इन नियमों में भी बदलाव
इंश्योरेंस एक्ट
पेमेंट एंड सेटेलमेंट सिस्टम
नाबार्ड एक्ट
राज्य वित्तीय निगम एक्ट
क्रेडिट इनफॉरमेशन कंपनीज (रेगुलेशन) एक्ट
दलाली नियंत्रण एक्ट
एक्चुअरीज (मुंशी) एक्ट
अनियमित जमा योजना पर प्रतिबंध एक्ट
डीआईसीजीसी एक्ट
पुरस्कार चिटफंड की और मुद्रा प्रसार (नियंत्रण) योजना से जुड़ा है।