◆ विचित्र बातों से हम कैसे जुड़ सकते हैं
◆ लुभावने नारों पर अमल में कोताही
◆ क्या वर्चुअल हैं आत्मनिर्भरता
◆ भारत का स्टेटस सिंबल हैं यह बयान
◆ भारत का नया अध्याय: आत्मनिर्भरता
युवा काफ़िला, भोपाल-
“वक्त चाहे कितना भी अंधकारमय क्यों न लगे, बस प्रेम और उम्मीद हमेशा जिन्दा रखे”
आत्मनिर्भर भारत का अध्याय व सोच कुछ इस प्रकार प्रतीत होता है से अंधकार से प्रकाश की ओर स्वयं को ले जाना। आज पूरा विश्व जिस संकट की स्थिति में है उससे हम सब भलिभांति परिचित है। इस कोरोना वायरस महामारी का असर हमारी सेहत, आजीविका, पर्यावरण, सामाजिक संबंधो, अर्थव्यवस्था, प्रौद्योगिकी आर्थिक गतिविधियां ठप्प रहने के चलते अर्थव्यवस्था में भारी गिरावट देखने को मिली जिससे व्यापार व बाजार में मुद्रा का चलन मंद सा हो गया है।परिणामस्वरूप बाजार में निवेश भी घटा, जिससे वित्तीय संकट जैसी स्थिति उत्पन्न हो गई है।
अगर हम इसे दूसरे परिप्रेक्ष्य में देखकर विचार करें तो यह हमारे देश के लिए एक बेहतर आर्थिक बदलाव सिद्ध हो सकता है और भारत को आत्मनिर्भर बनाने की राह पर ले जाया जा सकता है।
कोविड-19 का अर्थव्यवस्था पर प्रभाव
मेरे अनुमान के आधार पर आंकड़ों का संक्षिप्त विवरण कुछ इस प्रकार है-
हाल ही में FCCI और टेक्स कंसल्टेंसी ध्रुवा एडवाइज़र द्वारा किए गए एक सर्वे में 400 कंपनियों का रिसपान्स लिया गया और उसमें यह कहा गया कि व्यापार बहुत अनिश्चित तरीके से गिरता जा रहा है। सर्वे के अनुसार कोविड-19 के प्रभाव से नौकरियों और रोजगार का स्तर तेजी से घट रहा है तथा अर्थव्यवस्था भी पिछले कुछ हफ्तों से निचले स्तर पर आ गई है।
इस महामारी ने जैसे जनजीवन अस्त कर दिया है और ग्लोबल सप्लाई चेन भी प्रभावित हुई है । जिसके चलते 2019 व 2020 के शुरुआत में अर्थव्यवस्था के जो आकडे लगाए जा रहे थे वह गलत साबित हुए। विश्व बैंक के आकलन के अनुसार भारत की विकास दर 1.5% से 2.8 % तक बढ़ने की उम्मीद है और आईएमएफ ने अनुमान लगाया है कि वर्ष 2020 में भारत का जीडीपी ग्रोथ 1.9 प्रतिशत तक बढेंगा । भारत के लिए संशोधित जीडीपी का अनुमान वित्तवर्ष 2020 में 0.2% की दर से घटकर 4.8 % व वित्तवर्ष 2021 में 0.5% से 6% होगी क्योंकि वैश्विक अर्थव्यवस्था कोरोना से प्रभावित होने के कारण निवेश चीन से भारत की ओर बढ़ने की संभावना है।
कोरोना संकटकाल में अर्थव्यवस्था में कई बड़े बदलाव की आशंकाएँ लगाई जा रही है । जो स्पष्ट दिखाई दे रहा है कि महामारी की वजह से इस समय पूरी दुनिया भारत की नई पीढ़ी के तकनीकी और प्रबंधकीय कौशल के बल पर चीन के बाद भारत को नये निवेश और कारोबार के लिए उपयुक्त देश के रूप में देख रही हैं। जिससे यह बहुत ही कल्याणकारी और विशाल अवसरों को निमंत्रित करेगा।
अत: पुराने दौर की अच्छी बातो के साथ नए देश को आकार देने का यह सही मौका है।
आत्मनिर्भर भारत अभियान
जैसे कि हम सब जानते है कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने 12 मई 2020 को आत्मनिर्भर भारत अभियान की घोषणा की थी। जिसे हम मेक इन इंडिया 2.0 का मिशन भी कह सकते है। जिसमें कहा गया है कि हमें अपने लोकल प्रोडक्ट को ग्लोबल करना है । जिसे हम ट्रैडिशनल ग्लोबलाइज़ेशन या परंपरागत वैश्वीकरण कहते है।
कोरोना के वजह से जो अर्थव्यवस्था का स्तर गिरा है। उसे पुनः परिवर्तित करने के लिए निवेश की आवश्यकता होगी ताकि अर्थव्यवस्था को तेजी मिल सके। हम इसे अर्थशास्त्र के एक सिद्धांत से बताते हैं जो कि “द बिग पुश थ्योरी” जो कि पी॰ एन॰ रोसेनस्टीन रोडन द्वारा दिया गया है। जिसमें यह है कि अर्थव्यवस्था में कई तरह के उतार चढ़ाव आते है। जिसकी वजह से अर्थव्यवस्था में मंदी आती है। एमएसएमई उद्योगों में निवेश की कमी, उत्पादन में कमी आदि। इन से उभरने के लिए एक कुछ निवेश की जरूरत होती है । जिससे इस अंतराल या उतार चढ़ाव से उभर सकते है।
यह सत्य कथित है डॉ एपीजे अब्दुल कलाम की आटोबायोग्राफी : विंग्स ऑफ फायर में “प्रतिकूलता हमेशा आत्मनिरीक्षण के अवसर प्रस्तुत करती है" इसी प्रकार वर्तमान परिस्थिति भी, खुद की पहचान कर आगे बढ़ने का अच्छा अवसर है।
जैसे कि हाल ही में भारत ने दो लाख से अधिक पीपीई किट बनाए । इसके पूर्व भारत के पास पीपीई किट की कमी थी। यह कहा जा रहा है कि जून महिने के अन्त तक भारत 2 करोड़ पीपीई किट बना चुका होगा। अन्य उदाहरण के तौर पर स्वाब किट जो यूएस, चीन से आयात किये जाते थे।जिनकी कीमत रुपये 20-30 थे। वह आज भारत में ही बनाये जा रहे है। अब भारत के पास कम लागत वाला स्वदेशी स्वाब किट है। इसका उत्पादन करने के लिए ट्यूलिप नामक एक फर्म और मुम्बई स्थित एमएसएमई फर्म को आई सीएम आर द्वारा ग्रीन सिग्नल मिला। कुछ अन्य कम्पनियों जैसे सुपार्श्व ने अपनी कम्पनी का थोड़ा हिस्सा स्वाब किट बनाने हेतु दिया है। आदि इंटरप्राइजेज और रिलायंस कम्पनियों को कच्चा माल उपलब्ध कराता है और जॉनसन एण्ड जॉनसन इंडिया प्रोरो-बोनो सांइटिफिक एक्सपर्टाइज उत्पादन के लिए देता है।
हम यह भी जानते है कि कोविड-19 के बीच दवाईयां 90 देशों में निर्यात की गई है । जिसमें है हाइड्रोक्सी क्लोरोक्वीन जो कि एंटीमलेरियल दवाई है।
सबसे बड़ा उदाहरण है दलित औरतों का जिन्होंने तेलांगना में भूखमरी से सामना करते हुए वह आज महामारी के दौरान अनाज का उत्पादन कर रहें है। तमिलनाडु, कर्नाटक के किसानों ने बोर्डर से ओर्गेनिक प्रोडक्ट बैंगलोर को लॉकडाउन में भेजे है। मध्य भारत के जनजाति क्षेत्रों में कम्यूनिटी फंड के उपयोग से प्रवासी मज़दूरों का ध्यान रखा जा रहा है। यह कुछ झलकें है जो बताती है कि हम अकाल व महामारी के समय में बहुत अच्छे से उभर रहे हैं।
आत्मनिर्भरता का मतलब सशक्त व आत्मनिर्भर अर्थव्यवस्था है जो कि कुशलता से ग्लोबल सप्लाई चेन से लाभ मिल सके। अब वह दिन गये जब अंधि वैश्विकरण कि जाती थी। अब हमें होशियारी से श्रेष्ठ बनने की जरूरत है।
इसलिए आत्मनिर्भरता वैश्विक परिप्रेक्ष्य के साथ एक लंबी नीति बन सकती है । सरकार के लिए यह कोविड-19 का प्रतिक्रियात्मक उपाय भी है।
करें नई शुरुआत
एक विचार सब के मन में उत्पन्न होता होगा कि क्या प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) का अंत हो जाएगा ? तो उत्तर है नहीं। घरेलू क्षमता को बढ़ाने के लिए विदेशी पूंजी और टेक्नोलॉजी की आवश्यकता होती है।
यह राय है कि बाहरी निवेश को आमंत्रित कर तकनीकी सहायता के लिये भारत का ध्यान, नौकरी, वस्र उद्योग (जो कि हमारे लिए और विश्व में भी अधिक उत्पादन कर
सकता है) लैदर और फुटवियर (उसमे छोटे उद्योग आते है) किसानी, समुद्री उत्पाद , इलेक्ट्रॉनिक्स ( जिसका अधिक आयात होता है) आदि। इस कोरोना महामारी के कारण हम नई शुरुआत कर सकते हैं। चीन के साथ अपना व्यापार कम कर तथा दूसरे संबंधो को बढ़ा कर निर्भरता कम करके भारतीय बाजार की शक्तियों को अधिक मजबूत व अर्थव्यवस्था को सशक्त बना सकते हैं।
ऊपर दिये गये उदाहरण से आत्मनिर्भरता का सही अर्थ प्रस्तुत होता है। अतः मेरा यही मानना है कि शहरी व ग्रामीण आजीविका दोनों को एक नई दिशा मिले केवल औद्यौगिकरण करना अर्थव्यवस्था में बदलाव नहीं ला सकता पर देश के और भी सेक्टर को ध्यान में रखना होगा। सबको साथ लेकर चलना जरूरी है न कि किसी एक को पीछे छोडकर।
ग्रामीण लोगो को उनकी जमीन व आजीविका को वापस करना न कि उन्हें शहर की ओर भेजना समाधान है। मैं आशा करती हूं कि इस समय हमारी अर्थव्यवस्था जब बहुत बुरी तरह नीचे आई है वहां हमारी आत्मनिर्भरता हमारे देश में अर्थव्यवस्था को सशक्त बनाए।
विचारक - भानु प्रिया सैयाम
छात्रा - बी.ए. ऑनर्स ( द्वितीय वर्ष )