◆ समय निकालकर एक बार पूरा पोस्ट अवश्य पढ़े
◆ 28 मई विश्व मासिक धर्म दिवस
◆ Menstrual Hygiene Day
युवा काफिला, भोपाल-
ऐसे विषयों पर कभी कोई बात नहीं करना चाहता हैं क्यों सभी कतराते हैं लेकिन मैं पूछना चाहती हूँ कि जब परिवार के साथ बैठकर टीवी पर गर्भनिरोधक गोली, कंडोम, डियो, यहाँ तक की बनियान और अंडर वियर इत्यादि के एड मे महिलाओं को उपभोग की वस्तु बताकर दिखाते हैं,तो क्या महिला का स्तर इतना नीचे हैं कि इस सबके उपयोग करने से आकर गले पड़ जाएगी औरत..
वाहीयात वेबसीरीज सिनेमा फिल्मे एलबम फिल्में बन रही हैं उसके सीन तो पूछना ही नहीं सिनेमा के नाम पर अश्लीलता, दिखाते हैं उसे जब हम देख रहे हैं तो पीरियडस पर दो बाते कर ही सकते हैं ना?
जर्मनी देश ने मासिकधर्म स्वच्छता दिवस मनाने का अधिकार पूरी दुनिया को दिया है तो अपने घर की माँ बहन बेटी भाभी चाची के बारे में भी एक बार सोचिए और अपने कर्तव्यों और जिम्मेदारियों का बोझ उठाए आप इतना तो कर ही सकते हैं कि पिरियड्स के 4-5 दिन जिस दर्द से गुजरती हैं महिला उसमें उसका हमदर्द बनिए कुछ काम खुद से भी कर लीजिए 2 ही 4 दिनों की तो बात हैं।
दर्द कम तो नहीं होता लेकिन खुशी जरूर मिलती हैं ये जानकर की कोई तो हैं ख्याल रखने वाला जब आप उनके दर्द को बाटने की कोशिश करते हैं । उन्हें उनकी जरूरी चीजों (वाईपस कॉटन, सेनेटरी नैपकिन, टिश्यू पेपर) की याद दिलाते हैं तो सच मानिए सही मायनों मे आप एक अच्छे हमदर्द बनते हैं
माहवारी क्या हैं ये भी जान लेते हैं
माहवारी (पीरियड्स)चक्र
10 से 15 साल की आयु की लड़की के अंडाशय हर महीने एक विकसित डिम्ब (अण्डा) उत्पन्न करना शुरू कर देते हैं। वह अण्डा अण्डवाहिका नली (फैलोपियन ट्यूव) के द्वारा नीचे जाता है जो कि अंडाशय को गर्भाशय से जोड़ती है। जब अण्डा गर्भाशय में पहुंचता है, उसका अस्तर रक्त और तरल पदार्थ से गाढ़ा हो जाता है। ऐसा इसलिए होता है कि यदि अण्डा उर्वरित हो जाए, तो वह बढ़ सके और शिशु के जन्म के लिए उसके स्तर में विकसित हो सके। यदि उस डिम्ब का पुरूष के शुक्राणु से सम्मिलन न हो तो वह स्राव बन जाता है जो कि योनि से निष्कासित हो जाता है। इसी स्राव को मासिक धर्म, पीरियड्स या रजोधर्म या माहवारी (Menstural Cycle or MC) कहते हैं।
पीरियड्स सम्बन्धी समस्याए
ज्यादातर महिलाएं माहवारी (पीरियड्स) की समस्याओं से परेशान रहती है लेकिन अज्ञानतावश या फिर शर्म या झिझक के कारण लगातार इस समस्या से जूझती रहती है दरअसल दस से पन्द्रह साल की लड़की के अण्डाशय हर महीने एक परिपक्व अण्डा या अण्डाणु पैदा करने लगता है। वह अण्डा डिम्बवाही थैली (फेलोपियन ट्यूब) में संचरण करता है जो कि अण्डाशय को गर्भाशय से जोड़ती है। जब अण्डा गर्भाशय में पहुंचता है तो रक्त एवं तरल पदाथॅ से मिलकर उसका अस्तर गाढ़ा होने लगता है। यह तभी होता है जब कि अण्डा उपजाऊ हो, वह बढ़ता है, अस्तर के अन्दर विकसित होकर बच्चा बन जाता है। गाढ़ा अस्तर उतर जाता है और वह माहवारी का रूधिर स्राव बन जाता है, जो कि योनि द्वारा शरीर से बाहर निकल जाता है। जिस दौरान रूधिर स्राव होता रहता है उसे माहवारी अवधि/पीरियड कहते हैं। औरत के प्रजनन अंगों में होने वाले बदलावों के आवर्तन चक्र को माहवारी चक्र कहते हैं। यह हॉरमोन तन्त्र के नियन्त्रण में रहता है एवं प्रजनन के लिए जरूरी है। माहवारी चक्र की गिनती रूधिर स्राव के पहले दिन से की जाती है क्योंकि रजोधर्म प्रारम्भ का हॉरमोन चक्र से घनिष्ट तालमेल रहता है। माहवारी का रूधिर स्राव हर महीने में एक बार 28 से 32 दिनों के अन्तराल पर होता है। परन्तु महिलाओं को यह याद करना चाहिए कि माहवारी चक्र के किसी भी समय गर्भ होने की सम्भावना है।
पीड़ा दायक पीरियड्स क्या होती है?
पीड़ा दायक पीरियड्स में निचले उदर में ऐंठनभरी पीड़ा होती है। किसी औरत को तेज दर्द हो सकता है जो आता और जाता है या मन्द चुभने वाला दर्द हो सकता है। इन से पीठ में दर्द हो सकता है। दर्द कई दिन पहले भी शुरू हो सकता है और माहवारी के एकदम पहले भी हो सकता है। माहवारी का रक्त स्राव कम होते ही सामान्यतः यह खत्म हो जाता है।
पीड़ादायक पीरियड्स का आप घर पर क्या उपचार कर सकते हैं?
निम्नलिखित उपचार हो सकता है कि आपको पर्चे पर लिखी दवाओं से बचा सकें।
(1) अपने उदर के निचले भाग (नाभि से नीचे) गर्म सेक करें। ध्यान रखें कि सेंकने वाले पैड को रखे-रखे सो मत जाएं।
(2) गर्म जल से स्नान करें।
(3) गर्म पेय ही पियें।
(4) निचले उदर के आसपास अपनी अंगुलियों के पोरों से गोल गोल हल्की मालिश करें।
(5) सैर करें या नियमित रूप से व्यायाम करें और उसमें श्रोणी को घुमाने वाले व्यायाम भी करें।
(6) साबुत अनाज, फल और सब्जियों जैसे मिश्रित कार्बोहाइड्रेटस से भरपूर आहार लें पर उसमें नमक, चीनी, मदिरा एवं कैफीन की मात्रा कम हो।
(7) हल्के परन्तु थोड़े-थोड़े अन्तराल पर भोजन करें।
(8) ध्यान अथवा योग जैसी विश्राम परक तकनीकों का प्रयोग करें।
(9) नीचे लेटने पर अपनी टांगे ऊंची करके रखें या घुटनों को मोड़कर किसी एक ओर सोयें।
पीड़ादायक पीरियड्स के लिए डाक्टर से कब परामर्श लेना चाहिए?
यदि स्व-उपचार से लगातार तीन महीने में दर्द ठीक न हो या रक्त के बड़े-बड़े थक्के निकलते हों तो डाक्टर से परामर्श लेना चाहिए। यदि माहवारी होने के पांच से अधिक दिन पहले से दर्द होने लगे और माहवारी के बाद भी होती रहे तब भी डाक्टर के पास जाना जाहिए।
पीरियड्स से पहले की स्थिति के क्या लक्षण हैं?
माहवारी होने से पहले (पीएमएस) के लक्षणों का नाता माहवारी चक्र से ही होता है। सामान्यतः ये लक्षण माहवारी शुरू होने के 5 से 11 दिन पहले शुरू हो जाते हैं। माहवारी शुरू हो जाने पर सामान्यतः लक्षण बन्द हो जाते हैं या फिर कुछ समय बाद बन्द हो जाते हैं। इन लक्षणों में सिर दर्द, पैरों में सूजन, पीठ दर्द, पेट में मरोड़, आदि होते हैं।
जानकारी- प्रियंका गौतम