◆ लगातार बढ़ते जातिगत मामले
◆ आए दिन आंगनवाड़ियों में सामने आते हैं ऐसे मामले
◆ आखिर कब बदलेगी इनकी मानसिक दशा
◆ सरकार कब तक रहेगी ऐसे मामलों में चुप
युवा काफिला, नैनीताल-
आज पूरा देश एकजुट होकर कोरोना के खिलाफ जंग लड़ रहा है और जब हमें मिलकर एक-दूसरे का हौसला बढ़ाना चाहिए । ऐसे में उत्तराखंड से एक हैरान कर देने वाली खबर सामने आ रही है। उत्तराखंड के नैनीताल जिले के ओखलाकांडा ब्लॉक के गांव में क्वॉरेंटाइन किए गए 2 दबंगों ने गांव के ही रहने वाली दलित महिला के हाथ से बना भोजन करने से इनकार कर दिया । मामला ग्राम ग्राम प्रधान तक पहुंचा दो पहले दोनों को समझाइश दी गई, लेकिन फिर भी नहीं माने तो पटवारी चौकी में शिकायत दर्ज कर दी गई।
कुछ ऐसा है मामला
हिमाचल प्रदेश और हल्द्वानी से आए हुए चाचा-भतीजे को ओखलाकांडा ब्लॉक के भूमका गांव के स्कूल में बने क्वॉरेंटाइन सेंटर में रखा गया है । ऐसे में वहां रह रहे लोगों का खाना-पीना बनाने की जिम्मेदारी स्कूल में मध्यान्ह भोजन बनाने का काम करने वाली एक दलित महिला को मिला है ।क्वॉरेंटाइन किए गए दोनों युवकों ने इस महिला के हाथ से बना हुआ भोजन खाने से इंकार कर दिया। इन दोनों के लिए घर से खाना मंगाया जा रहा है। गांव के प्रधान मुकेश चंद्र बुद्ध ने नई पट्टी के पटवारी को इस मामले की शिकायत की है।
उन्होंने बताया कि गांव में बाहर से आए 5 प्रवासियों को क्वॉरेंटाइन किया गया। जिसमें 3 दलित और 2 सवर्ण शामिल है । उन्होंने क्वॉरेंटाइन में मिल रहे भोजन को खाने से इंकार कर दिया। दोनों की दलील है कि भोजन बनाने वाली महिला दलित है, इसलिए हम उसके हाथ का भोजन खाना स्वीकार नहीं कर सकते हैं । हमें घर का बना भोज दिया जाए, तब प्रधान ने दोनों सवर्णो के खिलाफ एस.सी.-एस.टी. एक्ट के तहत मामला दर्ज करवाया है और पटवारी ने ग्राम प्रधान को कार्रवाई का आश्वासन भी दिया है।