उज्जैन जयभीम मामला/ उज्जैन एसपी ने दी सफाई कहा - मैं राजनीति विज्ञान का विद्यार्थी रहा हूं और भारतीय संविधान की अहमियत को समझता हूं

◆ ट्विटर पर हैशटैग जयभीम हुआ था ट्रेंड


◆ उज्जैन एसपी हुए थे ट्रोल


◆ भारत सहित विदेशों के लोगों ने ट्विटर पर ट्रेंड किया जय भीम



युवा काफिला, भोपाल-


संपूर्ण देश कोरोना महामारी के चपेट में हैं वहीं दूसरी ओर मध्यप्रदेश की राजनीति जो कोविड-19 संक्रमण के पहले ही करवट ले चुकी है ऐसे में सोशल मीडिया से प्राप्त जानकारी के अनुसार सूबे की धार्मिक एवं संस्कृतिक नगरी के एसपी द्वारा जयभीम को लेकर वायरलेस पर निर्देश देना महंगा पड़ गया ।


कैसे हुई जय भीम की शुरुआत- 


“जय भीम” आज बहुजन अस्मिता और एकता का प्रतीक बन चुका है। प्रत्येक वंचित और बहुजन युवा उत्साह से “जय भीम” के साथ एक-दूसरे का अभिवादन करते हैं। “जय भीम” शब्द की उत्पत्ति महाराष्ट्र के विदर्भ से हुई। इस “जय भीम” शब्द के जनक बाबू हरदास एल. एन. थे, जो 1921 में बाबासाहेेब डाॅ आंबेडकर के साथ सामाजिक आंदोलन में उतरे। बाबू हरदास शिक्षित परिवार से थे। उनके पिता लक्ष्मण उरकुडा नगराले रेलवे विभाग में बाबू थे। उस समय देश में वर्णभेद और जाति भेद के कारण भीषण सामाजिक और आर्थिक विषमता फैली हुई थी। सन 1922 में महाराष्ट्र के अछूत संत चोखामेला के नाम पर उन्होंने एक छात्रावास शुरू किया। 1924 में उन्होंने एक प्रिंटिंग प्रेस खरीदी और सामाजिक जागृति के लिये “मंडई महात्म्य” नामक किताब सामाजिक जागृति के लिये लिखी थी, साथ ही “चोखामेला विशेषांक” भी निकाला ।
बाबासाहेब के आंदोलनों में उन्होंने बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया।1930 के नासिक कालाराम मंदिर सत्याग्रह तथा 1932 में पूना पैक्ट के दौरान उन्होंने बाबासाहेब के साथ महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।


“जय भीम” का संबोधन पहली बार उनके मन में एक मुस्लिम व्यक्ति को देखकर आया। उस समय बाबूजी ने कार्यकर्त्ताओं के साथ घूमते हुये रास्ते में एक मुस्लिम को दूसरे मुस्लिम से “अस्सलाम-अलेकुम” कहते हुये सुना। जवाब में दूसरे व्यक्ति ने भी “अलेकुम-सलाम” कहा। तब बाबू हरदास ने सोचा कि हमें एक दूसरे से क्या कहना चाहिये? उन्होंने कार्यकर्त्ताओं से कहा, “मैं ‘जय भीम’ कहूँगा और आप ‘बल भीम’ कहिये। उस समय से ये अभिवादन शुरू हो गया, पर बाद में ‘बल भीम’ प्रचलन से गायब हो गया, केवल ‘जय भीम’ ही प्रचलन में रहा। 1933-34 में बाबू हरदास ने समता सैनिक दल को ‘जय भीम’ का नारा नागपुर में दिया। इस तरह ‘जय भीम’ हर जगह छा गया. बाद में डाॅ अम्बेडकर ने खुद भी 1949 में अपने पत्रों में जय भीम लिखना और कहना शुरू कर दिया था। 12 जनवरी 1939 को उनका परिनिर्वाण हो गया था। उस दिन उनको श्रद्धांजलि देते समय बाबासाहेेब ने कहा था, “बाबू हरदास के रूप में मेरा दाहिना हाथ चला गया ।"


जय भीम के प्रति कृतज्ञता-


कुछ मित्र सवाल करते हैं "जय भीम क्यों बोलते हो ? " मैं
बताना चाहता हूँ, जय भीम बोलने से कोई पूजा करने या भक्ति करने से नहीं है । जय भीम बोलकर हम कृतज्ञता ज्ञापित करते हैं, उस महामानव के प्रति जिसने वंचितों को सही मायनों में इंसान बनाया और इंसानी अधिकार दिलाये वर्ना उससे पहले
हमारा जीवन क्या था ? पशुओ के समान जीवन व्यतीत करते थे हम । हमको पानी नहीं पीने दिया जाता था । हम उस
पानी को भी नहीं पी सकते थे जिसको पशु पक्षी पी सकते थे । बहुत से लोग पानी के अभाव में तड़प तड़पकर दम तोड़ देते होंगे और बहुत से गन्दा अशुद्ध पानी पीकर अपने जीवन के लिए संघर्ष करते होंगे । इस स्थिति में उन पशुओं और इंसानों में क्या फर्क रह गया था ? बाबा साहेब ने हमको पानी दिलाने के लिए संघर्ष किया इसलिए हम जय भीम बोलते हैं ।
हमको अछूत बनाया गया । सोचो अगर कोई अछूत
बीमार होता होगा तो वो बिना इलाज के ही दम तोड़
देता होगा क्योंकि कोई भी वैद्य उसका इलाज करने
नहीं जाता होगा । अगर कोई वैद्य उसको स्पर्श
करेगा तो वो अपवित्र हो जायेगा । इस प्रकार इलाज के
अभाव में मरीज तड़प तड़पकर मरेगा ही । इस स्थिति से
हमको बाबा साहब ने उबारा और इस अमानवीय व्यवहार
को गैरकानूनी घोषित किया । बाबा साहेब के इन्ही उपकारो से कृतज्ञ होकर हम जय भीम बोलते है। 


उज्जैन एसपी का जयभीम मामला- 


सोशल मीडिया से प्राप्त जानकारी के अनुसार मध्यप्रदेश के उज्जैन शहर में नियुक्त एसपी मनोज सिंह ने वायरलेस सेट पर जय भीम बोलने वाले पुलिस कर्मियों पर कारवाई की बात की ।


मध्यप्रदेश स्थित अख़बार पत्रिका के अनुसार कई दिनों से पुलिस कर्मी राजनीती का शिकार होकर वायरलेस सेट पर जयभीम से सम्बोधन कर रहे थे जिसपर एसपी मनोज सिंह ने तीखे तेवर दिखाते हुए कहा कि जो भी पुलिसकर्मी ऐसा करता हुआ पाया गया तो उसपर क़ानूनी प्रक्रिया के तहत कार्यवाई की जाएगी।


ज्ञात हो कि उज्जैन में वायरलेस सेट पर कोई भी सन्देश भेजने से पहले जय हिन्द या जय महाकाल बोला जाता है परन्तु बीते कुछ दिनों से कुछ पुलिस वालो ने जय भीम बोलना शुरू कर दिया था।


वही इस बात की खबर लगते ही भारत के सभी दलित और वंचित वर्ग के संगठनों ने विवाद शुरू कर दिया था व ट्वीटर पर #जयभीम_उज्जैन_पुलिस ट्रेंड कराने लग गए है। 


उज्जैन एसपी ने बोला जयभीम-



आईपीएस अधिकारी व उज्जैन एसपी मनोज कुमार सिंह कोरोना ड्यूटी में सुबह 6:00 बजे से रात 1:00 बजे तक फील्ड में सेवाएं दे रहे हैं । वह कोरोना को लेकर पुलिस द्वारा उठाए जा रहे कदमों की मॉनिटरिंग भी कर रहे हैं। ऐसे समय में पुलिस अधीक्षक मनोज कुमार सिंह पर सोशल मीडिया के जरिए के द्वारा आरोप लगाए गए हैं । इस मामले को लेकर भीम आर्मी के वरिष्ठ कार्यकर्ता राहुल वाल्मीकि द्वारा उज्जैन पुलिस अधीक्षक मनोज कुमार सिंह को फोन लगाकर जय भीम बोला।  इसके प्रत्युत्तर में आईपीएस अधिकारी मनोज कुमार सिंह ने जय भीम बोल कर उनका अभिवादन किया। पुलिस कप्तान ने भीम आर्मी के वरिष्ठ कार्यकर्ता से फोन पर बातचीत करते हुए जवाब दिया और इस बात का खंडन किया कि जय भीम बोलने पर किसी भी प्रकार की कानूनी कार्रवाई नहीं होगी । इस दौरान उन्होंने कहा कि भारतीय पुलिस सेवा में चयन होने से पहले मैं  राजनीति विज्ञान विषय का छात्र रहा हूं, इसीलिए उन्होंने भारतीय संविधान को खूब पढ़ा है । इसी कड़ी में संविधान निर्माता को बिना पढ़े किसी भी पाठ्यक्रम को पूरा करना असंभव है। कुल मिलाकर मनोज कुमार सिंह ने जय भीम बोल कर पूरे मामले का पटाक्षेप कर दिया है ।