श्रम कानून/ सप्ताह भर भी नहीं टिक सका,उत्तर प्रदेश सरकार का श्रम कानून में बदलाव

◆ श्रम कानून को लेकर पीछे हटी योगी सरकार


◆ अब श्रमिक 12 नहीं बल्कि 8 घंटे ही करेंगे काम


◆ BMC ने किया था विरोध


◆ विपक्ष ने भी साधा था निशाना


◆ 8 मई को श्रम कानूनों को लेकर जारी अधिसूचना को 15 मई 20 को ही निरस्त कर दिया



युवा काफिला,लखनऊ -


उत्‍तर प्रदेश सरकार ने श्रम कानूनो के तहत रजिस्टर्ड कारखानों को युवा श्रमिकों से कुछ शर्तों के साथ एक दिन में 12 घंटे तक काम कराने संबंधी छूट की अधिसूचना को हफ्ते भर बाद ही निरस्त कर दिया है। साफ है कि योगी सरकार द्वारा फैक्ट्री एक्ट में किए गए इस संशोधन की अधिसूचना को वापस लिए जाने के बाद प्रदेश में अब फिर श्रमिकों से काम कराने की अवधि अधिकतम आठ घंटे हो गई है। ज्ञात हो कि कुछ दिन पहले यूपी सरकार की इस अधिसूचना को लेकर हाईकोर्ट में याचिका दाखिल हुई थी, जिस पर 18 मई को अगली सुनवाई होनी है।


प्रमुख सचिव (श्रम) ने दी ये जानकारी


संशोधन की अधिसूचना को खत्म किए जाने की जानकारी प्रमुख सचिव (श्रम) सुरेश चंद्रा ने शुक्रवार को पत्र के जरिए इलाहाबाद हाईकोर्ट के मुख्य स्थायी अधिवक्ता को दे दी है। पत्र के अनुसार 8 मई को श्रम कानूनों को लेकर जारी अधिसूचना को 15 मई 20 को निरस्त कर दिया गया है।


अब एक दिन में 8 घंटे ही काम करना होगा


8 मई को उत्‍तर प्रदेश के श्रम विभाग की ओर से जारी अधिसूचना में रजिस्टर्ड कारखानों में श्रमिकों के काम करने के घंटे बढ़ाए गए थे। इस अधिसूचना के मुताबिक कारखाने में युवा श्रमिक से एक दिन में अधिकतम 12 घंटे और एक हफ्ते में 72 घंटे से अधिक काम नहीं लिया जाएगा। हालांकि इसके निरस्त किए जाने के बाद अब एक दिन में अधिकतम आठ घंटे और एक हफ्ते में 48 घंटे काम कराने का पुराना नियम फिर प्रभावी हो गया।