समस्या/टिड्डियों के आक्रमण से मध्यप्रदेश सहित भारत के किसानो में ख्वाब का मंजर

◆ ढोल और बैंड आ रहा आज टिड्डियों को भगाने के काम 


◆ कमलनाथ सरकार ने दिया था प्रस्ताव बैंड वालो को माना जाए बैंड कलाकार


◆ बैंड ट्रेनिंग स्कूल खोलने का था प्रस्ताव 



युवा काफिला, भोपाल- 


मध्यप्रदेश में पूर्ववर्ती कमलनाथ सरकार ने प्रदेश के बेरोजगार युवाओं को रोजगार देने की दिशा में एक महत्वपूर्ण निर्णय लिया था। जिसमें उन्होंने बैंड बाजा और ढोल बजाने को मुख्य रोज़गार माना और उसे ट्रेनिंग में शामिल किया।


मुख्यमंत्री कमलनाथ का यह निर्णय आज एक दूरदर्शी निर्णय साबित हो रहा है क्योंकि आज देश के अलग-अलग राज्यों में टिड्डी दल का आक्रमण हो रहा है। किसान अपनी फसल के बचाव के लिए बैंड-बाजे और ढोल का उपयोग कर टिड्डियों के झुण्ड को भगाने में सफल होता जा रहा है। कहते हैं कि तेज ध्वनि से टिड्डीयो को आसानी से खदेड़ा जा सकता है। चाहे तो ढोल बजाएं, बैंड बजाएं या तेज आवाज वाले जो भी ध्वनियंत्र हो उनका उपयोग करें। 


बैंड बाजा बजाने की ट्रेनिंग का निर्णय तत्कालीन कांग्रेस सरकार ने रोजगार से जोड़ा था। जिसका मजाक भाजपा ने जमकर उड़ाया था। लेकिन आज वही ध्वनि यंत्र बैंड बाजे टिड्डी दल को भगाने औऱ उनके आक्रमण से बचने में काम आ रहा हैं। पूर्व मुख्यमन्त्री कमलनाथ के अलावा हाल ही में कोरोना आपत्कालीन को देखते हुए देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 22 मार्च को जनता कर्फ्यू के दौरान पुलिसकर्मियो एवं स्वास्थ्यकर्मी के स्वागत में देशवासियों से थाली, घंटी, शंख आदि बजाने की अपील की थी। जिससे वास्तविक कोई निर्णय निकलकर नही आया लेकिन जैसे ही भारत के राज्यो में टिड्डियों के आक्रमण को भगाने में सफलता दिखाई दे रही है।प्रधानमन्त्री के आह्वान पर देश एक साथ उठ खड़ा हुआ और घंटी,थाली और शंख बजाए। टिड्डी दल किसी एक देश की समस्या नहीं हैं। ये एक ग्लोबल समस्या है। अरब सागर के तीन तरफ यानी अफ्रीका, अरब और भारतीय उप महाद्वीप के देश इसके हमलों से प्रभावित होते रहे हैं। माना जाता है कि क्लाईमेट क्राइसिस के चलते वर्ष 2018 में कुछ असामान्य चक्रवाती तूफान आए हैं। इनके चलते खासतौर पर अरब क्षेत्र में बरसात हुई। जिससे रेत वाली जमीन में ज्यादा नमी बनी। इसके चलते टिड्डी दलों की भयंकर पैदावार हुई है। जैसे ही भारत के राज्यो में टिड्डियों के आक्रमण को भगाने में सफलता दिखाई दे रही है।प्रधानमन्त्री के आह्वान पर देश एक साथ उठ खड़ा हुआ और घंटी,थाली और शंख बजाए। टिड्डी दल किसी एक देश की समस्या नहीं हैं। ये एक ग्लोबल समस्या है। अरब सागर के तीन तरफ यानी अफ्रीका, अरब और भारतीय उप महाद्वीप के देश इसके हमलों से प्रभावित होते रहे हैं। माना जाता है कि क्लाईमेट क्राइसिस के चलते वर्ष 2018 में कुछ असामान्य चक्रवाती तूफान आए हैं। इनके चलते खासतौर पर अरब क्षेत्र में बरसात हुई। जिससे रेत वाली जमीन में ज्यादा नमी बनी। इसके चलते टिड्डी दलों की भयंकर पैदावार हुई है।