◆एक सौ करोड़ रुपए जुटाने का था लक्ष्य, एकत्र हुए हजारों करोड़
◆ प्रधानमंत्री राहत कोष से अलग है पीएम केयर फंड
◆ पीएमओ में कितना आया फंड, पीएमओ की वेबसाइट पर नहीं हैं जानकारी
युवा काफिला, भोपाल-
प्रवासी मजदूरों को उनके घर तक पहुंचाने के लिए भारतीय रेल हर एक से 50 रुपए अतिरिक्त शुल्क वसूल रही है। कर्नाटक की भाजपा सरकार ने घर लौटने वाले प्रवासी मजदूरों से दोगुना किराया लेने का ऐलान किया है। उसके पीछे तर्क है कि जिन वाहन से ये लोग भेजे जाएंगे वे खाली लौटेंगे। इस ‘आर्थिक समझदारी’ की गुत्थी अभी सुलझ नहीं पाई थी कि पीएम केयर्स फंड की भी ‘पहेली’ उलझती दिख रही है।
यही नहीं, पीएम केयर्स फंड की वेबसाइट पर भी इस बात की कोई जानकारी है कि कितना पैसा इकट्ठा किया गया है या पैसे का कहां इस्तेमाल किया गया है। प्रधानमंत्री इस पीएम केयर्स फंड के पदेन अध्यक्ष हैं। वहीं, रक्षा मंत्री और गृह मंत्री इसके पदेन ट्रस्टी हैं। बता दें कि कई कॉरपोरेट समूहों ने सार्वजनिक रूप से घोषणा की है कि वे पीएम केयर्स फंड में करोड़ों रुपए दान दे रहे हैं।
पीएमएनआरएफ का इस्तेमाल बाढ़, चक्रवात, भूकंप, बड़ी दुर्घटनाओं और दंगों के शिकार जैसी प्राकृतिक आपदाओं में मारे गए लोगों के परिजनों को तत्काल राहत देने के लिए किया जाता है। पीएमएनआरएफ की स्थापना 1948 में हुई थी। इसका कुल समग्र कोष 3,800 करोड़ रुपये है।
राहत कोष से हटकर है पीएम केयर फंड
सबसे पहली बात तो लोग दोनों में कंफ्यूज हो रहे हैं उन्हें बता दें कि दोनों फंड एक-दूसरे से अलग हैं। पीएम द्वारा बनाया गया केयर फंड जहां खास कोरोना के लिए बनाया गया है वहीं प्रधानमंत्री राहत कोष एक स्थाई फंड है जो सबसे पहली बार 1948 में बनाया गया था और ये तब से लगातार चला आ रहा है। इसमें दान की गई राशि का उपयोग भी देश की समस्याओं से निपटने के लिए ही किया जाता है लेकिन यह किसी एक विशेष समस्या के लिए नहीं होता है। और इसमें आप कभी भी दान कर सकते हैं।