मैं प्रवासी नहीं, मूलनिवासी हूं
मैं प्रवासी नहीं |
मैं मूलनिवासी हूं |
मैं इस पृथ्वी जगत का पहला इंसान हूं
मैं किसी का वंशज नहीं बल्कि सब का पूर्वज हूं |
मैं प्रवासी नहीं |
मैं मूल निवासी हूं |
प्रकृति को समझने वाला अपने पुरखों के बताए राह में चलने वाला हूं |
पक्षियों की चहचहाहट को पढ़ने वाला हूं|
मैं प्रवासी नहीं |
मैं मूलनिवासी हूं |
वनांचल गांव में रहता हूं पर गवार नहीं हूं ना अनपढ़ हूं
नदी नाले पहाड़ों से परिचित
पशुओं के दर्द समझने वाला हूं
मैं प्रवासी नहीं |
मैं मूल निवासी हूं |
जल - जंगल का अधिकारी हूं
हां मैं प्रकृति का पुजारी हूं
प्रकृति के बारे में सोचने वाला एक विचारधारी है
मैं प्रवासी नहीं |
मैं मूल निवासी हूं |
ना मैं जानता पाप पुण्य
ना होता कर्मकांड का मुझ पर असर
ना जाता में स्वर्ग ना जाता नर्क
मैं तो प्रकृति का पुत्र हूं
वापस प्रकृति और पुरखों में जुड़कर में *पुरखा देव* बन जाता हूं
मैं प्रवासी नहीं |
मैं मूल निवासी हूं |
✍✍✍ कवि - हेमंत कुमार परते
मो. - 9340271170.