◆ 24 सीटों पर उपचुनाव होना है
◆ 2018 में 24 सीटों में से 2 सीटों पर बीएसपी दूसरे नंबर पर रही
◆ 12 सीटों पर बीएसपी तीसरे नंबर पर रही
◆ 24 में से 8 सीटों पर हार-जीत के अंतर से ज्यादा वोट बसपा उम्मीदवार को मिले
◆ बसपा के कारण बीजेपी के उम्मीदवारों को हार का सामना करना पड़ा
◆ उम्मीदवारों पर अंतिम मुहर लगाएगी बसपा सुप्रीमो मायावती
◆ ग्वालियर-चंबल की 6 सीटों पर बीएसपी का प्रभाव
युवा काफिला,भोपाल-
मध्यप्रदेश में 24 विधानसभा सीटों पर होने वाले उपचुनाव को लेकर बसपा के फैसले से कांग्रेस-भाजपा दोनों ही दल सकते में हैं,क्योंकि आमतौर पर बसपा उपचुनाव नहीं लड़ती हैं। इसी बीच चुनावी नुकसान की आशंका में कांग्रेस की नींद उड़ी हुई है। खासतौर पर ग्वालियर-चंबल संभाग में कांग्रेस और बसपा दोनों के ही जातीय समीकरण एक जैसे हैं। बसपा के पूर्व प्रदेशाध्यक्ष फूलसिंह बरैया को कांग्रेस ने राज्यसभा का झुनझुना जो पकड़ा दिया हैं । वहीं ज्यादा सीटें जीतकर बसपा में भी सत्ता की चाबी हथियाने की उम्मीद जग गई है। बसपा का अब तक का रिकॉर्ड रहा है कि वह अमूमन उपचुनाव से दूरी बनाकर चलती है, लेकिन सूबे में दो महीने पूर्व 22 कांग्रेस विधायकों के इस्तीफे और सत्ता परिवर्तन के बाद उसने उपचुनाव वाली सीटों पर पूरी ताकत से चुनाव लड़ने का एलान कर दिया है।
बसपा का दावा है कि डेढ़ साल पहले हुए आम चुनाव में ग्वालियर-चंबल संभाग की 13 सीटों पर उसे निर्णायक वोट मिले थे। दो सीटों पर उसके प्रत्याशी दूसरे क्रम पर रहे, जबकि 13 सीटें ऐसी थीं, जहां बसपा प्रत्याशियों को 15 हजार से लेकर 40 हजार तक वोट मिले थे।
त्रिकोणीय संघर्ष
विधानसभा में बसपा के अभी दो विधायक हैं। बसपा सुप्रीमो मायावती को उम्मीद है कि उपचुनाव में उसे और सीटें मिल सकती हैं। इस भरोसे का कारण यह है कि ग्वालियर-चंबल की जिन सीटों पर उपचुनाव होने वाले हैं, उनमें से मेहगांव, जौरा, सुमावली, मुरैना, दिमनी, अंबाह, भांडेर, करैरा और अशोकनगर में पूर्व में बसपा जीत दर्ज करा चुकी है। गोहद, डबरा और पोहरी में बसपा दूसरा दल रहा, जबकि ग्वालियर, ग्वालियर पूर्व और मुंगावली में उसकी मौजूदगी नतीजों को प्रभावित करने वाली साबित हुई।
इसलिए उपचुनाव में कई सीटों पर बसपा की मौजूदगी से त्रिकोणीय संघर्ष के आसार हैं।डेढ़ साल पहले मुरैना में भाजपा की पराजय में बसपा की मौजूदगी प्रमुख कारण था। इसके अलावा पोहरी, जौरा, अंबाह में बसपा के चलते भाजपा तीसरे नंबर पर पहुंच गई थी।
16 सीटों पर मिले वोट
डेढ़ साल पहले विधानसभा आम चुनाव में बसपा ने ग्वालियर-चंबल की 16 सीटों पर निर्णायक वोट हासिल किए थे। इनमें अंबाह 22179, अशोकनगर 9559, करैरा 40026, ग्वालियर 4596, ग्वालियर पूर्व 5446, गोहद 15477, डबरा 13155, दिमनी 14458, पोहरी 52736, भांडेर 2634, मुंगावली 14202, मुरैना 21149, मेहगांव 7579, बमोरी 7176, सुमावली 31331 एवं जौरा में बसपा प्रत्याशी को 41014 वोट मिले थे।
कांग्रेस थी 23 सीटों पर काबिज
कांग्रेस और भाजपा दोनों ही उपचुनाव में पूरी ताकत झोंकने की तैयारी में हैं। दोनों ही दलों के टिकट से वंचित दावेदारों के सामने बसपा का दामन थामने का विकल्प भी रहेगा। 24 में से 23 सीटों पर कांग्रेस काबिज थी, यदि वह अपनी स्थिति बरकरार रख पाई तो संख्या बल के हिसाब से प्रदेश की सत्ता में उसकी फिर वापसी हो जाएगी।
यही स्थिति भाजपा की है, वह सत्ता बचाने के लिए ज्यादा से ज्यादा सीटें जीतने के लिए ऐड़ी-चोटी का जोर लगाएगी।