कोरोना अलर्ट/ जाने कैसा होगा कोरोना के साथ बच्चों का जीवन


कोरोना के साथ बच्चों का जीवन कैसा होगा?


इस कोरोना बीमारी के डर से जिंदगी अचानक कितनी बदल गई है। हमें कभी कल्पना भी नहीं की थी  क्या अचानक जिंदगी में इतने बड़े बड़े बदलाव आ जाएंगे। अभी तक हम सिर्फ फिल्मों में एलियंस को या वायरस को अटैक करते हुए देखते थे।  लेकिन यह जो हमारी आंखों के सामने अब हो रहा है वह किसी हॉलीवुड थ्रीलर से कम नहीं है। जब को रोना के बारे में शुरुआती खबरें आ रही थी तब हमें नहीं पता था कि यह हमारी जिंदगी मे इस तरह से शामिल हो जाएगा। आज से सिर्फ तीन महीने पहले हमने कभी नही सोचा था की कोरोना वायरस हमारे शहर तक भी पहुच जाएगा। लेकिन धीरे-धीरे हवाई जहाज और रेलगाड़ियों  की पीठ पर सवार होकर यह वायरस चल पड़ा, और हमारे दरवाजे तक आ पहुंचा।



अब हमारे शहरों मे भी मरीजों की संख्या धीरे-धीरे बढ़ने लगी और इससे जुड़ा हुआ खौफ भी बढ़ गया। अब हालत यह है कि भारत भी  इटली और अमेरिका की तरह  वैसा ही खतरा महसूस कर रहा है। अभी हाल ही में भारत ने चीन को कोरोना के मरीजों की संख्या के मामले में पीछे छोड़ दिया है। जनवरी में फेसबुक, व्हाट्सएप्प द्वारा कई सारी बातें लोगों को बताई जा रही थी जो आज झूठी साबित हुईं। भारत में लगभग सभी लोग कोरोना वायरस को फ्लू की तरह समझ रहे थे। लोगों का मानना था की कोरोना वायरस ठंड के मौसम में ही फैलेगा और जब गर्मी का मौसम शुरू होगा तो यह वायरस खत्म होने लगेगा। अब हालात कुछ ऐसे हैं की तपती गर्मी में भी यह वायरस तेज़ी से फैल रहा है। सोच कर काफी डर भी लगता है की आने वाले कुछ महीनों मे हमारी क्या हालत होगी।



कोरोना बीमारी का खतरा सिर्फ इंसान को ही कमजोर नहीं कर रहा है, बल्कि यह आर्थिक प्रक्रियाओं को भी बुरी तरीके से बर्बाद कर रहा है। अब हमारी अर्थव्यवस्था भी लड़खड़ा रही है और मानव जाति पर खतरा बढ़ता जा रहा है। WHO के अनुसार कोरोना वायरस हमेशा के लिए समाप्त नही होगा। हाँ, लेकिन बहुत सावधानी बरतने पर इसका संक्रमण काबू में ज़रूर किया जा सकेगा। इस बीच हमारी जीवन शैली में जो परिवर्तन आएंगे वह काफी अलग होंगे हमारी उस रोज़मर्रा की दिनचर्या से जो 2019 तक हुआ करती थीं।


भविष्य मे इस आपदा को जब कुछ हद तक काबू में कर लिया जाएगा। लेकिन लोगों के जीवन में बहुत सा परिवर्तन आएगा, यह परिवर्तन हमारे लिए अटपटा होगा। हमारे जीवन का रंग ढंग ही बदल जाएगा। इस सारे बदलावों के बीच सबसे ज्यादा प्रभाव बच्चों पर पड़ेगा। हमारे बीच मे जो छोटे बच्चे हैं जिनकी उम्र एक से पांच साल के बीच में है जिन्हें पता ही नही है की उनके पैदा होने के पहले का जीवन कैसा था वह इस आपदा के बाद आने वाले परिवर्तन को काभी समझ ही नही पाएंगे। उन्हें वह सब साधारण ही लगेगा। वह उस प्रकार के माहौल से घुल-मिल जाएंगे। उन्हे लगेगा कि जिंदगी हमेशा से ऐसी ही रही है।



 


यह तो निश्चित है की पहले की तरह हम भीड़-भाड़ में शामिल नही हों सकेगे। शादी,पार्टी,कॉन्सर्ट या कोई समाजिक पर्व पर कम से कम लोग ही नज़र आएंगे। काफी सावधानी भी बरती जाएगी और यह सब बच्चों के दिमाग में इस तरह बैठ जाएगा की उन्हें ऐसा लगेगा की इस तरह से लोग पहले भी रहा करते होंगे ।उनके लिए इसमे कुछ नया नही होगा। लेकिन, उन्हें आश्चर्य तो तब होगा जब हम उन्हें कुछ ऐसी तस्वीरें दिखाएंगे जिसमे कई सारे लोग एक साथ हैं। मौज-मस्ती करते हुए नज़र आ रहे हैं। उस वक़्त बच्चों का यही सवाल होगा की "इतने सारे लोग एक जगह पर कैसे हो सकते हैं?" इस सवाल का जवाब देने के लिए हमे उन्हें उनकी समझ के अनुसार समझाना होगा।


हमारे लिए यह परिवर्तन अटपटा क्यों होगा?


इसका आसान सा उत्तर है की, कोरोना का संक्रमण काबू में करने बाद ऐसा नही है की हम पूरी तरह सुरक्षित होंगे। हमे बहुत सावधानिया बरतनी होंगी। सावधानिया बरतने के लिए जो कदम उठाये जाएंगे उनसे हमारा परिचित होंने में वक़्त लगेगा। जब तक हमे आदत नही हो जाएगी तब तक यह अटपटा ही लगेगा। मार्च के महीने में बच्चों के स्कूल बन्द हुए जिस कारण विद्यार्थीओं को अगली कक्षाओं में प्रमोट कर दिया गया। अब कुछ मल्टीमीडिया एप्स का इस्तेमाल करके विद्यार्थीओं को पढ़ाया जा रहा है। अब धीरे धीरे धीरे-धीरे ऑनलाइन क्लासेस का चलन बढ़ता जाएगा। इंटरनेट कंप्यूटर और मोबाइल के जरिए सीखने पर जोर दिया जाएगा। इस तरह पहले क्लास रूम में जिस तरीके से पढ़ाई होती थी वह बदल जाएगी।



वह स्कूल वाला माहौल बच्चों को अब नही मिल पा रहा है, जिसमे वह यूनिफार्म पहन कर कक्षा में बैठते थे, मस्ती करते थे,खेलते थे और लंच ब्रेक में साथ बैठकर एक दूसरे का खाना खाया करते थे। छुट्टी होने पर कोई साईकल से रेस लगाता हुआ घर जाता था कोई स्कूल की बस में अपने दोस्त को खिड़की से आइसक्रीम दे रहा होता था। लेकिन अब यह सब देखने को नहीं मिल रहा है। घर से निकल कर स्कूल तक जाने और, स्कूल से वापस घर आने के बीच में एसी बहुत सारी मजेदार गतिविधियां होती थी। एक दूसरे के साथ खेलना खाना खाना एक दूसरे को छूना यह सब अब मुश्किल होता जा रहा है। अब तो एक दूसरे को छूने या किसी के पास बैठने में भी डर लगने लगा है।



कल्पना करिए कि किसी बच्चे को सर्दी जुकाम हो रहा है, ऐसे मैं उसे सब से अलग कर दिया जाएगा। वह बच्चा अपने आपको किसी अपराधी की तरह महसूस करेगा। वहीं उसके दोस्त या दूसरे बच्चे और दूसरे लोग भी उसे किसी खतरनाक जानवर की तरह देखेंगे और उससे डरने लगेंगे। ऐसे में दोस्ती यारी की परिभाषाएं बदल जाएंगी। इस वातावरण में जो बच्चे बड़े होंगे उनके मन में दुनिया और जीवन के संबंधों की एकदम नई समझ पैदा होगी। उन्हें जब कहा जाएगा कि दो साल साल पहले हम बिना डरे एक दूसरे के साथ खाते और खेलते थे, तब ना यकीन ही नहीं होगा। सोचिए कि इस सब का कितना गहरा असर उनके मन पर होगा?


ऐसा नही है कि बच्चे दोबारा कभी भी स्कूल ही नही जा पाएंगे, आज नहीं तो कल स्कूल फिर खुलेंगे लेकिन इस तरह का माहौल बच्चों को दोबारा मिलना मुश्किल है। पहले की तरह बच्चों को उनके दोस्तों से मिलने नही दिया जाएगा। कक्षाओं मे दूरी बनाके बैठाया जाएगा। सब अपनी-अपनी बेंच पर बैठकर लंच करेंगे एक-दूसरे का खाना खाने नही दिया जाएगा। स्कूल के गेट के बाहर आइसक्रीम वाले के पास जाने को मना किया जाएगा। सुरक्षा के दायरे में बच्चों/विद्यार्थीयों पर रोक-टोक लगाई जाएगी।



स्कूल की क्लासेस में एक साथ पढ़ाई करते हुए, मैदानों में खेलते हुए और एक दूसरे के साथ टिफिन खाते हुए हम जो दोस्ती करते हैं वह दोस्ती बदल जाएगी। ऐसे में भविष्य में एक साथ टीम बनाकर काम करने का तरीका भी बदल जाएगा। इन सबके बीच बच्चे जिंदगी को नए ढंग से जीना सीखेंगे क्योंकि बच्चे ही असल मे समाज की जिंदगी हैं और जिंदगी कभी नहीं रुकती है।



 विचारक - वर्धमान जोठे