खुलासा/ राजर्षि शाहूजी महाराज पर बड़े खुलासे

◆छत्रपति शाहूजी महाराज
◆ शाहूजी महाराज ने ब्राह्मणवाद को खत्म करने के लिऐ नीति निर्धारित कानून बनाए


युवा काफिला, भोपाल-
छत्रपति शाहूजी महाराज ने कोल्हापुर संस्थान में  जाति आधारित गिनती कराने के आदेश पारित किऐ थे (ओबीसी जाती आधारित गिनती का मुद्दा संसद और राज्यसभा के अंदर उठाने कि आज के तारीख में किसी भी ओबीसी नेता सांसद कि औकात नहीं है)। शाहूजी महाराज ने अपनी शिक्षा लंदन में ली। इसी कारण उनका दृष्टिकोण वैश्विक एवं प्रगतिशील बना था वो जानते थे कि अच्छी  शिक्षा से ही समाज में बदलाव आ सकता है। इसलिए जोतीराव फुलेजी के बाद शुद्र-अतिशूद्रों को शिक्षा के दरवाजे खोलने वाले शाहूजी महाराज ही थे।



1) उन्होंने शुद्र-अतिशूद्रों को शिक्षा प्राप्त हो इसलिए कोल्हापुर संस्थानों में आनेवाले सभी गांव देहात में स्कूल खोलने का आदेश पारित किया और 1 लाख रुपये का आर्थिक बजेट का भी प्रावधान किया।
                    
2) छात्रवास कि स्थापना-गांव देहात के छात्र कोल्हापुर में आकर शिक्षा लेते है तो आगे बढ सकते है।लेकिन गांव देहात से शहरों तक आनेजाने के लिऐ साधनों कि व्यवस्था को लेकर शाहूजी महाराज चिंतित थे।अगर उन्हें साधनों कि जगह छात्रवास (Hostel) कि व्यवस्था होती है तो छात्रों का आने जाने में जो समय लगता है।उस समय कि बचत होगी और बचत किया हुआ समय पढाई में लग जाऐग़ा।यह सोचकर शाहूजी महाराज ने शुद्र-अतिशूद्रों के छात्रों के लिऐ छात्रवास का निर्माण कर दिया।


3) आरक्षण मेनोफेस्टो 
जोतीराव फुले ने 1882 में हंटर कमीशन को साक्ष देते हुऐ कहा था कि इस देश में शुद्रअतिशूद्रों का बहुत बडा तबखा है।इस तबखे को सरकारी नोकरी में आरक्षण मिलना चाहिऐ।इसी आरक्षण संकल्पना को आधार बनाकर शाहूजी महाराज ने कोल्हापुर संस्थान में आरक्षण मेनोफेस्टो 26 जुलाई 1902 निकाल कर आरक्षण लागू किया।और शाहूजी महाराज के कोल्हापुर स्टेट के आरक्षण पॉलिसी को डॉ बाबासाहब आंबेडकर ने भारतीय संविधान के जरीए विकेंद्रीकरण किया।


4) निःशुल्क अनिवार्य शिक्षा का कानून
8 सितंबर 1913 को छत्रपति शाहूजी महाराज ने मोफत एवं अनिवार्य शिक्षा का आदेश निकाला और शूद्र अतिशूद्रों को शिक्षा लेने का अवसर प्रदान किया। 


5) विधवा पुनर्विवाह कानून 1917
ब्राह्मण धर्म ने और ब्राह्मणों ने विधवा पुनर्विवाह पर पाबंदी लगा कर सती प्रथा को जन्म दिया था।छत्रपति शाहूजी महाराज ने कोल्हापुर स्टेट के अंदर 1917 को विधवा पुनर्विवाह का कानून बनाकर ब्राह्मणों के धर्मग्रन्थ एवं ब्राह्मणों को बहुत बडी चुनौती दियी थी।और यह निर्णय उस समय कोई साधारण निर्णय नहीं थी बल्कि आसाधारण निर्णय था। 



6) हजेरी प्रथा पर पाबंदी


1918  में Criminal Tribe के लोगों को एक दिन में तीन बार हजेरी देनी पड़ती थी।अगर कोई बीमार है तो वो हजेरी नहीं दे पाता था।तो ऐसे लोगों को हजेरी का डर दिखाकर अधिकारी उनका आर्थिक एवं शाररीक शोषण करते थे। Criminal Tribe का शोषण रोखने के लिऐ ही शाहूजी महाराज ने 3 अगस्त 1918 को हजेरी प्रथा पर कानून बनाकर पाबंदी लायी। 


7) छुआछूत उन्मूलन कानून
6 #सितंबर 1919 को शाहूजी महाराज ने कोल्हापुर स्टेट के अंदर कानून बनाकरह आदेशीत किया कि कोई भी सार्वजनिक जगह पर हॉस्पिटल, धार्मिक स्थलों पर, स्कूलों में छुआछूत का व्यवहार नहीं करेगा। गंगाधर कांबले को चाय कि हॉटेल खडी करके देना और मिटिंग आदेश कांबले के हॉटेल से पारित करना इसका उद्देश्य मन मस्तिक में बैठे हुऐ छुआ छूत कि जो व्यवस्था जो ब्राह्मणों ने बनायी थी जिसे छुआछूत ( Untouchability) कहते है यह छुआछूत को खत्म करने का यह कार्यक्रम था जो कोल्हापुर स्टेट के अंदर शाहू महाराज ने बनाया था।इसी कोल्हापुर  स्टेट के पॉलिसी को डॉ बाबासाहब आंबेडकरने संविधान के 17 वे अर्टिकल ने छुआछूत खत्म करने का संविधान में प्रावधान किया इस कानून से कोई भी किसी के साथ छुआछूत का व्यवहार नहीं कर सकता।


8) अंतरजातीय विवाह कानून 1919
 जाति अंताक क्रांती भाषण देनेसे अथवा केवल बोलने से होती नहीं बल्कि उसके लिऐ कानून बनाना पड़ता है।इसलिऐ शाहूजी महाराज ने 1919 को अन्तर्जातीय विवाह को मान्यता दियी। अगस्त 1919 को महिलाओं को #Divorce लेने का कानूनी Right दिया।जो बाद में डॉ बाबासाहब आंबेडकर ने हिन्दू कोड़ बिल का प्रपोजल बनाया नेहरू कांग्रेस द्वारा इसका विरोध हुआ। 


9) देवदासी प्रथा का अंत 1920
शाहूजी महाराजने 1920को देवदासी प्रथा का उन्मूलन किया। जो छोटी-छोटी लड़कियां और महिलाओं का देवदासी प्रथा द्वारा शाररीक शोषण किया जाता था।


10)  जनव प्रथा पर पाबंदी


शाहूजी महाराज ने 17 जनवरी 1920 को  जनव प्रथा पर कानून बनाकर पाबंदी लायी। जो जनव प्रथा उच्च निच्च के आधार पर होतात उसको खत्म किया।


11) बंदुवा व्यवस्था


3 मई 1920 को बंदूवा (वेठबिग़ार) व्यवस्था को विनामूल्य श्रमिकों से काम करवाना इस शोषण के व्यवस्था को नष्ट किया। राष्ट्रपति जोतीराव फुले द्वारा स्थापन किए सत्यशोधक समाज कि गतिविधियों को तेज करने हेतु शाहूजी महाराज ने कोल्हापुर स्टेट के गांव देहात में सरकारी मकान खुलवाऐ।12) नेतृत्व प्रदान दिन


21,22 मार्च  19 20 के मानगांव परिषद में शाहूजी महाराज ने डॉ बाबासाहब आंबेडकर का नेतृत्व समाज को प्रदान किया जिसे नेतृत्व प्रदान दिन कहा जाता है। ब्राह्मणों द्वारा स्थापन कियी गयी कांग्रेस को खत्म करने के लिऐ ही छत्रपति शाहूजी महाराज और डॉ बाबासाहब आंबेडकर मिलकर एक राजनैतिक दल का निर्माण करनेवाले थे।


13) शाहूजी महाराज कि हत्या


6 मई 1922 को छत्रपति शाहूजी महाराज कि हत्या कियी गयी और छत्रपति शाहूजी महाराज कि हत्या हुई ऐसा रिपोर्ट अंग्रेज डॉ बेनेलेस ने दिया।शाहूजी महाराज के हत्या के बाद ब्राह्मणों के विरोध में गैरब्राह्मणों को जो आंदोलन चल रहा था। उस आंदोलन को ब्राह्मण कांग्रेस गांधी ने खत्म किया।
             आज शाहूजी महाराज का स्मृति दिन है उनके कार्यसे प्रेरणा लेकर हमे आगे बढ़ना होगा और भविष्य में लोकहित में कानून बनाने दृष्टिसे निरंतर संघर्ष करना होगा इस संघर्ष से ही बहुजनों के मुक्ति का आंदोलन जो छत्रपति शाहूजी महाराज को अपेक्षित था वो सफल होगा। छत्रपति शाहूजी महाराज के स्मृति दिन पर विनम्र अभिवादन..


संकलन- व्ही. एल. मातंग