◆ कार्ल मार्क्स का पथ और दलित
युवा काफिला, भोपाल-
मनुष्य मात्र की उन्नति के लिए धर्म की आवश्यकता है। मैं यहां अच्छी तरह जानता हूं कि कार्ल मार्क्स के सिद्धांतों से एक नया मत निकला है। उनके कथानुसार धर्म में कुछ भी नहीं है। उनके लिए धर्म का कोई महत्व नहीं है। उनका धर्म केवल एक यह है कि उन्हें प्रात:काल मक्खन लगे हुए टोस्ट, दोपहर को खाने के लिए स्वादिष्ट भोजन, सोने के लिए अच्छा बिस्तर और देखने के लिए सिनेमा चाहिए । यही उनका दर्शन है । मैं ऐसे दर्शन का हम ही नहीं हूं । मेरे पिता की निर्धनता के कारण मुझे ऐसा कोई सुख नहीं मिला । अपने जीवन में जितना कष्ट मैंने सहन किया है उतना किसी ने नहीं किया होगा । इसलिए गरीबों का जीवन किस प्रकार कष्टमय होता है मैं इसे भली भांति जानता हूं । आर्थिक दृष्टिकोण को सामने रखकर हमारा आंदोलन चलना चाहिए और मैं भी इस बात का विरोधी नहीं हूं कि हमारी आर्थिक उन्नति होनी चाहिए । इसीलिए मैं आज तक लोगों की आर्थिक और मानसिक उन्नति के लिए संघर्ष करता रहा हूं। यही नहीं बल्कि मानव मात्र की आर्थिक उन्नति होनी ही चाहिए ऐसी मेरी निश्चित मान्यता है।
- डॉ बाबा साहेब आंबेडकर