ईद मुबारक/ईद पर इस बार गले नहीं, दिल से दिल मिले

◆ कोरोना के कारण फिजिकल डिस्टेंसिंग का रख रहें हैं ध्यान


◆ सम्पूर्ण विश्व हैं कोरोना महामारी से परेशान



युवा काफिला, भोपाल-


ईद पर इस बार गले नहीं मिलेंगे, पर दिल से दिल को मिलायेंगे । मिलकर होती थीं ईद और अब कोरोना के दौर में यह हालत है कि डर के दूर-दूर से मिलेंगे । अब कोरोना की मार तो औरों पर भी पड़ने लगी है । मंदिर बंद,मस्जिद बंद सुनी-सुनी लगने लगी है यह गलियां, वीरान से चौराहे, लगता है जैसे बस्तियों में कोई नहीं रहता। पहले त्यौहारों में रोशन रहता था मेरा शहर न जाने किसकी नजर लग गई, रमजान के रोजे के बाद जो ईद आती तो गजब की रौनक के साथ हर शख्स ईद की तैयारी में लग जाता था। रात से ही कपड़ों पर प्रेस करना, जूते-चप्पलों को चमकाना, सुबह जल्दी उठने की फिक्र में कहीं ईद की नमाज न छूट जाए रात में उठ-उठ कर घड़ी को देखना। इस बार भी ईद का सुबह का सूरज तो निकलेगा और चिड़िया भी चहकाहेगी और हवा के झोंके तुमको बुलाएंगे पर, इस बार हम अपने उलेमाओं की बात मान कर, घर पर ही ईद मनाएंगे और घर पर ही ईद की नमाज भी पड़ेंगे और दुनिया को दिखा देंगे कि देश के लिए हम अपनी ईद घर पर ही मनाएंगे । आखिर इस महामारी ने इंसानियत को जो जगा दिया है । लोगों ने त्यौहार को सादगी से मनाने का मन बना लिया है और जो पैसा नए कपड़े जूतों और घर के नए सामानों को खरीदने पर खर्च होना था, उस पैसे से गरीबों की मदद की जा रही है इसीलिए मैं यह कहता हूं कि मेरा देश महान है, यहां की मिट्टी महान है और यहां की जनता बलवान है। 



                      एक छोटी सी घटना जो बिल्कुल सत्य है याद आ रही है, आपको बताना चाहता हूं-


"रफीक भाई जिनका बेटा जिसकी उम्र 10 वर्ष बड़ा ही गुमसुम घर में बैठा हुआ है। उसकी अम्मी ने पूछा - क्या हो गया सैफ तुम्हारी आंखों में आंसू क्यों है? बच्चे ने बड़े मासूमियत से बोला - अम्मी इस बार अब्बा मेरे नए कपड़े लाना भूल गए। मम्मी ने उसके सिर पर हाथ फेरा और उसे समझाया बेटा - अपने मोहल्ले में शास्त्री अंकल है ना,शोएब चाचा, अवस्थी अंकल,सिंह भाई कोरोना की बीमारी की वजह से अल्लाह के घर चले गए हैं । अगर हम नए कपड़े पहनेंगे और जोर शोर से त्यौहार मनाएंगे तो शास्त्री अंकल के घर वालों को कितना अफसोस होगा, उनके बच्चों को उनके पापा याद आएंगे, शास्त्री अंकल, शोएब चाचा और सिंह भाई इस बार तो तुमको ईदी देने को भी नहीं आएंगे, क्योंकि यह लोग अल्लाह के घर चले गए हैं । अपने घर सलमा बाजी है जो बर्तन धोती है, गुड्डू भाई जो तुम्हें रोज अपने ऑटो में स्कूल छोड़ कर आते हैं। इन सब लोगों का काम धंधा बंद हो गया है और हमारे धोबी भैया बीमारी की वजह से बहुत परेशान है इस बार हम सब लोग मिलकर इन सब की मदद करेंगे और अगली ईद में हम फिर से जोर-शोर के साथ ईद मनाएंगे और तुम्हारे लिए बहुत सारे नए कपड़े और जूते लेंगे यह सब बातें सुनकर सैफ अपनी कमरे से अपनी गुल्लक ले आया और अपने मम्मी के हाथ में गुल्लक रखकर बोला इसमें पिछले साल की ईद के पैसे रखे हैं जितने भी पैसे हैं इन सब को ले लो इससे सलमा बाजी, गुड्डू भाई और धोबी भैया की ईद मन जाएगी । इस बार हम सब इन पैसों से ईद की खरीदारी नहीं करेंगे, इन पैसों से हम सबकी मदद करेंगे हो सकता है हमारी मदद ऊपर वाले को पसंद आ जाए और ऊपर वाला जिंदगी भर हमारी मदद करते रहे।


रखते हैं जो औरों के लिए प्यार का जज़्बा, लोग कभी टूट कर बिखरा नहीं करते । 


           ईद पर दिल को छूने वाली संपादकीय 




                           मोहम्मद जावेद खान
                                संपादक 
                   भोपाल मेट्रो न्यूज़ 9009626191
                               न्यूज़ एंकर
                               नसीम खान


                भोपाल मेट्रो न्यूज़ के साथ मुबारक