◆ रोज मिलने वाले जेब खर्चे के पैसों को रोज गुल्लक में जमा करती थीं नन्हीं आस्था
◆ दो साल से पैसे गुल्लक में जमा कर रही थीं नन्हीं आस्था
◆ गुल्लक के पैसों को नन्ही आस्था बौद्ध ने किया एसपी के सुपुर्द
युवा काफिला, दमोह-
कोरोना संक्रमण के मामले अब दिन-ब-दिन बढ़ते ही जा रहे है। वहीं दूसरी ओर कई समाजसेवी संगठन व स्वयंसेवी संस्थाएं अपने-अपने स्तर पर मानवता की मिसाल पेश कर रही हैं। ऐसी ही एक नन्हीं-मुन्ही बच्ची आस्था बौद्ध हैं । बच्ची के चाचा योगेेेश बौद्ध ने बताया कि आस्था ने मोबाइल पर दो बच्चों को पुलिस की सहायता के लिए गुल्लक देते हुए देखा तब से ही प्रतिदिन बोलती रहती थी कि चाचू मुझे भी पुलिस को गुल्लक देने ले चलो। पर मैं उसे टाल देता था कि बच्चों को बाहर नहीं निकलना है। कुछ समय के लिए तो वह मान जाती थी पर अगले दिन फिर से वही बात बोलती।
एक वह एसपी ऑफिस गया और उनसे एसपी दमोह को सारी बात बताई तब उसने अपनी गुल्लक ही पुलिस अधीक्षक हेमंत कुमार चौहान एवं अति.पुलिस अधीक्षक विवेक कुमार लाल को सौंप दी और कहा कि यह गुल्लक उन गरीब, मजदूर, असहायों की मदद के लिए।
ज्ञात हो कि आज लाचार व मेहनतकश श्रमिक अपने आशियानों की ओर पैदल ही निकल पड़े हैं। नौतपे की धूप में न उन्हें पानी मिल रहा हैं और न भोजन । इन श्रमिकों के लिए इस नन्हीं आस्था बौद्ध की सोच काबिले तारीफ हैं। ग्राम इमलाई निवासी आस्था बौद्ध की उम्र मात्र 5 साल हैं और यूकेजी में पढ़ती है।
इसके लिए उन्होंने अपने पैसे से भरी गुल्लक पुलिस अधीक्षक एवं अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक को पुलिस अधीक्षक कार्यालय पहुंच कर सौंपी। आस्था बौद्ध पिछले दो वर्षों से गुल्लक में पैसे जमा कर रही थी। आस्था पिछले दो वर्षो से जो कुछ भी पैसे उसे अपने माता-पिता और करीबी रिश्तेदारों से मिलते उसे ही वह गुल्लक में रख लेती थीं।
आस्था बौद्ध के पिता अखिलेश बौद्ध एवं माता प्रियंका बौद्ध हैं। आस्था बौद्ध ने पुलिस अधीक्षक दमोह को बताया कि कोरोना महामारी से आए संकट के बारे में सुनने के बाद, उसने अपने गुल्लक में बचाए हुए पैसों को दान करने के बारे में सोचा। आस्था ने बताया कि वह ऐसा इसलिए कर रही है क्योंकि दमोह पुलिस शहर में हर जगह ड्यूटी पर है, और वे उन प्रवासी मजदूरों के लिए भोजन का इंतजाम भी करते रहते हैं। जो हजारों किलोमीटर दूर से पैदल चलकर अपने घर वापस आ रहे हैं। जो लोग शहर में रोजगार की तलाश में थे आज पलायन कर अपने शहरों-गांवो की ओर लौट रहे है। लाॅकडाउन ने अच्छे-अच्छे पढ़े- लिखे लोगों को बेरोजगार कर दिया हैं और उनके खाने तक के लाले पड़ चुके हैं। यह मेरी एक छोटी सी मदद ताकि उन्हें खाना उपलब्ध हो सके, इसीलिए मैंने गुल्लक में एकत्रित किए पैसे दमोह पुलिस अधीक्षक हेमंत चौहान को सौंपा हैं। इस मौके पर पुलिस अधीक्षक ने कहा कि आस्था बौद्ध ने सबके लिए एक मिसाल कायम की है । छोटी सी मदद के लिए उसकी करुणा और उत्साह के लिए उसे शाबासी भी दी, साथ ही बच्ची के उज्जवल भविष्य की कामना की।