◆ लॉक डाउन के बीच सड़कों की बजाए घरों में गूंजा बुद्धम शरणम गच्छामि
◆ परिवारों में दिन भर चलती रहीं बौद्धिक चर्चाएं, शाम को रोशनी से जगमगा उठा देश ।
◆ भारत सहित संपूर्ण विश्व के 126 देशों ने मनाई बुद्ध पूर्णिमा
◆ सोशल मीडिया का किया जमकर उपयोग
◆खास बात यह रही कि बुद्ध पूर्णिमा पर पहली बार बड़ी संख्या में परिवारों में बौद्धिक चर्चाएं और विचार- विमर्श हुए, उनके व्यक्तित्व और कृतित्व पर चर्चा हुई और शाम को दीपों और मोमबत्तियों से पूरा देश जगमगा उठा।
युवा काफिला, भोपाल-
विश्वशांति के अग्रदूत महाकारुणिक गोतम बुध्द की पूर्णिमा इस बार कई मायनों में बहुत खास रही। अब तक उनके अनुयायी उन्हें याद करने के लिए उनसे जुड़े स्मारकों और बुध्द विहारो में इकट्ठा होकर दिन भर महोत्सव मनाते थे। नेपाल के लुम्बिनी में उनके जन्मस्थली से लेकर बोधगया स्थित महाबोधि महाविहार सहित कुशीनगर स्थित महापरिनिर्वाण स्तूप पर लाखों लोग देश-विदेश से उन्हें नमन करने पहुंचते थे। बड़ी संख्या में गांवों से लेकर शहरों और विदेशों में उनकी प्रतिमाओं पर दीप प्रज्वलित किए जाते थे, लेकिन इस बार उनकी पूर्णिमा मनाने का अंदाज कुछ अलग ही था।
प्रमोद कांबले, लेखाधिकारी
देश इस समय कोरोना महामारी से जूझ रहा है। लाॅकडाउन होने के कारण नियम सख्त हैं। डाॅ. आंबेडकर ने महाकारुणिक बुध्द से समता,स्वतंत्रता, न्याय और बन्धुत्वता के सिद्धांत को भारतीय संविधान के माध्यम से भारतीयों को समर्पित किया हैं। भगवान बुद्ध के अनुयायी कानून के मुताबिक तथा नियमों के अनुरूप लाॅकडाउन के उद्देश्यों का पूरी तरह पालन करते हुए पूरी तरह घरों में रहें। सुबह से लेकर रात तक भगवान बुध्द को अपने-अपने तरीके से याद करने का सिलसिला चलता रहा। खास बात यह रही कि बुध्द पूर्णिमा पर पहली बार बड़ी संख्या में परिवारों में बौद्धिक विचार विमर्श हुए, वर्चुअल रूप से उनके व्यक्तित्व और कृतित्व पर चर्चा हुई और शाम को दीपों और मोमबत्तियों से पूरा देश जगमगा गया। महाकरुणिक बुध्द के अनुयायी कहते हैं कि इस बार एक नई और क्रांतिकारी शुरूआत हुई है। रिपोर्ट के आधार पर भगवान बुध्द के अनुयायी बता रहे हैं कि इस बार का बुध्द पूर्णिमा महोत्सव कैसे अलग और यादगार रहा।
सदाचरण ही है बुद्ध की प्रमुख सीख
भिक्खु डॉ. करुणाशील राहुल (भारत)
भन्ते डॉ करुणाशील जी द्वारा फ़ेसबुक लाइव के माध्यम से सुजाता के खीर दान के महत्व पर प्रकाश डाला। बुध्द ने मन का सम्बंध किस प्रकार ज्ञान से हैं बताया । महाकारुणिक बुध्द ने चित्त एकाग्रता पर कार्य किया । भन्ते ने कहा कि बुध्द की शिक्षाए पढ़ने के लिए नहीं हैं ये सारी शिक्षाएं आचरण करने के लिए हैं इसलिए उन्होंने प्रत्युत्त समुत्पाद का सिद्धांत दिया । कोरोना के इस युग में अपने मन को सचेत रखे, एकाग्र रहें और एक मनुष्य का दूसरे मनुष्य के साथ अच्छा संबंध बनाए रखे तथा जरूरतमंदो की मदद करे यहीं बुध्द की शिक्षाएं हैं।
ज्ञान रूपी सागर से ली हमनें कुछ बूंदे सुनंदा गजभिये, भिलाई (छत्तीसगढ़)
2565 वीं जंयती की खास बात यह रही कि इस बार भगवान बुध्द के अनुयायियों ने बैनर, पोस्टर और दूसरी चीजों पर खर्च करने की बजाए लाॅकडाउन के दौरान जरूरतमंदों की मदद की। भगवान बुध्द ने कहा कि जब तक भूखे के पेट में अनाज नहीं जाता उसे किसी भी प्रकार के ज्ञान की बात नहीं समझायी जा सकती ।
इस बार जयंती पर ऐसा ही हुआ। बौद्धिक चर्चा का एक ऑनलाइन सत्र आयोजित किया गया जिसमें प्रत्येक परिवार को भगवान बुध्द द्वारा बताए गए मार्ग पर एक कहानी सुनानी थी। वहीं सोशल मीडिया पर लेख लिखे गए, निबंध प्रतियोगिताएं हुईं। इतने व्यापक स्तर पर ज्ञान आधारित ऐसी गतिविधियों की यह पूर्णिमा सही मायने में अनोखी पहल थीं। लाॅकडाउन के दौरान लोग घरों में रहे और उन्होंने अपने टेलेंट को दिखाया। भगवान बुध्द पर केंद्रित रंगोली, चित्रकला, पोस्टर, गायन, वादन दिन भर सोशल मीडिया पर चलते रहे। हमारे महापुरुषों को याद करने का यह नया तरीका है ।
इस बार पूरे परिवार के लिए यादगार रही पूर्णिमा
सावनेर (नागपुर) से संजय डहाट परिवार
इस बार पहली बार ऐसा हुआ है कि बुध्द पूर्णिमा के अवसर पर मैं पूरे परिवार के साथ घर पर था और पूर्णिमा धूमधाम से घर पर रहकर मनाई है। अब तक कार्यक्रमों की अधिकता के चलते मैं पूर्णिमा समारोह के दौरान पूरे परिवार के साथ भाग नहीं ले पाता था। लेकिन इस बार जीवनसंगिनी करुणा,बेटे सम्राट और बेटी संबोधि के साथ बौद्धिक विचारों पर चर्चा का एक अच्छा अनुभव रहा। परिवार के सभी सदस्यों ने बुध्द पूर्णिमा पर अपने-अपने स्तर पर कोई न कोई खास तैयारी कर रखी थी। एक के बाद एक सभी ने अपनी गतिविधियों को सामने रखा, तो निश्चित तौर पर पूर्णिमा यादगार हो गई। देश और समाज की मौजूदा परिस्थितियों पर भगवान बुद्ध के दृष्टिकोण से चर्चा हुई। परिवार के सदस्यों ने अत्याधिक बौद्धिकता के साथ अपने विचार रखे। मेरे परिवार में यह एक सुखद अनुभव था।
डिजिटल बुध्द पूर्णिमा
डॉ वृतांत और डॉ कृतिका मंडल
वृतांत मानवटकर और कृतिका मंडल ने बताया कि बुध्द विश्व के सर्वप्रथम वैज्ञानिक थे और मेरा परिवार पूर्णिमा को सबसे बडे उत्सव के रूप में मनाता है। साल भर हमें बुध्द पूर्णिमा का इंतजार रहता हैं । चूंकि हम दोनों जेएनयू से पढ़े शिक्षित युवा हैं और हमारा बौद्धकारों म्युजिकल ग्रुप भी जिसके माध्यम से हम टेक्नोलॉजी के द्वारा महाकारुणिक गोतम बुध्द की शिक्षाओं को जन-जन तक पहुँचाते हैं। त्रिगुणी पावन पूर्णिमा के अवसर पर हमनें फेसबुक/इंस्टाग्राम के माध्यम से ऑनलाइन आकर उनके विचारों पर कार्यक्रम द्वारा संगीतमय प्रस्तुति दी। बोधकारो फेसबूक पेज एवं यूट्यूब चैनल पर हैं, जिसके माध्यम से प्रबुद्ध भारत की परिकल्पना को कला के माध्यम से पुनः प्रप्ति की ओर एक उल्लेखनीय योगदान हैं।
Link:
https://m.youtube.com/channel/UC3JzzYMTlfujJlR97ZNdiEg
बहुत अच्छी पहल...
मुकेश बागड़े , वरिष्ठ पत्रकार सौंसर (छिंदवाड़ा)
संभवतः आजादी के बाद यह पहला अवसर है जब भगवान बुध्द की त्रिगुणी पावन पूर्णिमा घर-घर में इतनी उत्साहपूर्वक मनाई गई। अब तक भारी जन सैलाब के सथ लाखों-करोड़ों रुपए खर्च कर झांकियां-जूलूस, बैनर-पोस्टर और धूम-धड़ाके साथ जुलूस निकालता था, सभा-सेमीनार होते और शाम को वापस अपने घर आ जाते हैं। इस बार बुध्द पूर्णिमा को सही मायने में अलग अंदाज से मनाया गया। लोगों ने तकनीकों साधनों का भरपूर इस्तेमाल किया। डॉ आंबेडकर नवयुवक मंडल सौंसर द्वारा सभी जरूरतमंदो को पायस (खीर) वितरित की गई । चूंकि भगवान बुध्द पृथ्वी पर एकमात्र ऐसे माहामानव हैं जिनका जन्म, बोधी प्राप्ति और महापरिनिर्वाण एक ही दिन अर्थात वैशाख पूर्णिमा के दिन हुआ इसलिए इसे त्रिगुणी पावन पूर्णिमा कहा जाता हैं।
ऑनलाइन पूर्णिमा
इंजी आर.के.दादोरिया, सहायक प्राध्यापक
इंजी राजकुमार दादोरिया ने बताया कि जूम एप, यू-ट्यूब, टीम व्हीवर जैसे विभिन्न एप के माध्यम से ऑनलाइन वीडियो काॅफ्रेंसिंग के माध्यम से सामूहिक को याद किया गया। उनके व्यक्तित्व और कार्यो पर चर्चा की गई। आज महामारी और देश के मौजूदा हालातों को भगवान बुद्ध के नजरिए से देखने की कोशिश की गई। यह सब कुछ इससे पहले बहुत कम देखा गया था। बुद्ध एक शिक्षक थे जिन्होंने अपने जीवन के 45 वर्षों तक लोगों को शिक्षित ही किया और अपने ज्ञान रूपी दीपक से संपूर्ण विश्व को प्रज्वलित किया।
घरों में ही रहे
चंद्रमणी खोब्रागडे, वित्त विभाग भोपाल
सभी परिवारों द्वारा भारत सरकार के निर्देशों का पूरी तरह से पालन किया गया। फिजिकल डिस्टेंसिंग बनाए रखी। बाबा साहेब द्वारा स्थापित समता, महिला और श्रमिकों के उत्थान में उनकी भूमिका के साथ ही अर्थव्यवस्था को लेकर उनके विचारों को विमर्श हुआ। समाज के लिए यह एक अच्छी पहल है।
उमराव कठाने भोपाल सपरिवार
ईशान सातनकर दमुआ (छिंदवाड़ा)
बुद्धभूमि महाविहार द्वारा अब तक 5000 परिवारों को मदद
पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह एवं बौद्ध धम्म गुरु भंते सागर, पूर्व मंत्री पी सी शर्मा द्वारा बुद्ध पूर्णिमा के उपलक्ष्य पर बुद्ध विहार चूनाभट्टी पहुँच कर भगवान बुद्ध की वंदना की। इस पावन अवसर पर गरीबो को राशन वितरित किया।
सोशल डिस्टेन्सिंग का पूर्णतः ध्यान रखा गया