बेरोजगारी दर/ लॉक डाउन के दौरान ऐतिहासिक बेरोजगारी दर

◆ बेरोजगारी दर 40 साल के उच्चतम स्तर पर 


◆ कोरोना संकट की वजह से बेरोजगारी का बना नया        ऐतिहासिक रिकॉर्ड


◆ CMIE के अनुसार, 3 मई को खत्म हफ्ते में बेरोजगारी 27.11%


◆ पूरे अप्रैल महीने के दौरान 23.52 फीसदी रही बेरोजगारी



युवा काफिला, भोपाल-


कोरोना वायरस (कोविड 19) महामारी दौरान भारत में ही नहीं बल्कि विश्व के सभी देशों में बेरोजगारी दर बढ़ी है। लॉकडाउन के कारण भारत में 11.4 करोड़ लोग बेरोजगार हो चुके हैं। सेंटर फॉर मॉनिटरिंग इंडियन इकोनॉमी (CMIE) द्वारा जारी ताजा डेटा से पता चलता है कि देश में अप्रैल माह के भीतर 11.4 करोड़ से ज्यादा नौकरी जा चुकी हैं। इसमें सबसे ज्यादा छोटे व्यापारी और दैनिक मजदूर हैं। इसके अलावा तीन मई को समाप्त सप्ताह तक देश की बेरोजगारी दर 27.1 प्रतिशत है जो कि अब तक सबसे अधिक है।


मुंबई थिंक टैंक ने कहा कि ग्रामीण क्षेत्रों में बेरोजगारी दर 26.69 प्रतिशत हैं वहीं शहरी  क्षेत्रों में बेरोजगारी दर 26.69 प्रतिशत रही। 


केंद्रीय सांख्यिकी कार्यालय के 12 मई के विश्लेषण से पता चलता है कि भारत में औद्योगिक उत्पादन 16.7 फीसदी तक सिकुड़ गया जो आर्थिक गतिविधियों का एक महत्वपूर्ण मापक है। इससे यह भी संकेत मिलता है कि राष्ट्रव्यापी बंदी के चलते अर्थव्यवस्था को खासा नुकसान हुआ है। 24 मार्च से लागू हुए देशव्यापी लॉकडाउन के बाद दुकानें, कारखानें और अन्य सेवाएं जैसे पर्यटन, भोजनालय, पब्लिक ट्रांसपोर्ट बंद हो गई, जिससे बड़ी संख्या में लोगों को नौकरी से हाथ धोना पड़ा। इसी बीच लाखों की तादाद में प्रवासी मजदूर अपने गृह नगर की तरफ से निकल पड़े हैं।


लॉकडाउन के चलते आर्थिक गतिविधियां ठहर सी गई और दिल्ली,कोलकाता, चेन्नई तथा मुंबई जैसे बड़े महानगरीय व्यवस्था से बड़ी संख्या में प्रवासी मजदूरों के पलायन से उधोगपतियों की कमर टूट गई। 

सरकार ने अब तक इस संकट से निपटने के लिए 1.70 लाख करोड़ रुपये के राजकोषीय प्रोत्साहन की घोषणा की है, वहीं पीएम मोदी द्वारा 20 लाख करोड़ का आर्थिक पैकेज देंने की घोषणा की गई। जिसका बड़ा हिस्सा उधोगो के आय और उन्हें सहायता मुहैया कराने के लिए है। सीएमआईई की साप्ताहिक श्रृंखला के आंकड़ों के मुताबिक भारत में कोविड-19 महामारी की शुरुआत के बाद से बेरोजगारी में लगातार बढ़ोतरी हो रही है और यह 29 मार्च को समाप्त सप्ताह के दौरान 23.81 प्रतिशत थी। 


CMIE के विश्लेषण के अनुसार अप्रैल में मासिक बेरोजगारी की दर 23.52 प्रतिशत थी। आंकड़ों पर गौर करें तो अप्रैल के अंत में दक्षिण भारत में पुदुचेरी में सबसे अधिक 75.8 प्रतिशत बेरोजगारी थी। इसके बाद पड़ोसी राज्य तमिलनाडु में 49.8 प्रतिशत, झारखंड में 47.1 प्रतिशत और बिहार में 46.6 प्रतिशत बेरोजगारी थी। सीएमआईई के मुताबिक महाराष्ट्र में बेरोजगारी दर 20.9 प्रतिशत थी, जबकि हरियाणा में 43.2 प्रतिशत, उत्तर प्रदेश में 21.5 प्रतिशत और कर्नाटक में 29.8 प्रतिशत थी। सीएमआईई के मुताबिक पहाड़ी राज्यों में बेरोजगारी की दर काफी कम रही है। हिमाचल प्रदेश में यह दर 2.2 प्रतिशत, सिक्किम में 2.3 प्रतिशत और उत्तराखंड में 6.5 प्रतिशत रही।


भविष्य में बेरोजगारी बढ़ेगी




श्रम भागीदारी रेट 21 अप्रैल के हफ्ते के 35.4 फीसदी के मुकाबले 3 मई के हफ्ते में बढ़कर 36.2 फीसदी तक पहुंच गया है. बेरोजगारी दर रिकॉर्ड स्तर पर पहुंचने का मतलब है कि रोजगार की बेहद तंगी है और हर चार में से एक आदमी को काम नहीं मिल रहा। इस आंकड़े के आगे और बढ़ने की भी आशंका जाहिर की गई है। करीब 2,800 आईटी कंपनियों के संगठन नैस्कॉम ने भी छंटनी की चेतावनी दी है।