बौध्द सभ्यता/भारत की सभ्यता और संस्कृति को किसने क्यों और कैसे नष्ट किया है, जाने आप स्वयं

◆ काफी समय तक बुध्द को अंग्रेज समझते थे अफ्रीकन


◆इसका कारण था धम्मलिपि को न समझ पाना


◆ अंग्रेजों ने खोज निकाला सम्राट अशोक का इतिहास



युवा काफिला, भोपाल-


अंग्रेजों के आने तक यह पता नहीं था कि बुद्ध कब और कहाँ जन्मे थे, अठारहवीं सदी तक अधिकतर स्कॉलर्स बुद्ध को अफ्रीकन समझते थे। कुछ शोधकर्ताओं ने तब यह भी दावा किया था कि बुध्द पूर्वी अफ्रीका, या इथियोपिया से हैं।


अंग्रेजों के भारत आने तक ये भी पता नहीं था कि अशोक नाम का कोई महाप्रतापी राजा हुआ है, न ही सिन्धु घाटी की बौद्ध सभ्यता का पता चला था, न हरप्पा न धोलावीरा और न ही धम्म्लिपि (तथाकथित ब्राह्मी लिपि) का अर्थ समझ में आया था.


इसका क्या कारण है? 


आंख खोलकर देखिये कारण आपके सामने है.


पुराने पुराण हों या आज के अखबार, साहित्यिक रचनाएं, फिल्में या न्यूज चेनल्स हों वे दलितों, ट्राइब्स और शूद्रों (ओबीसी) के बारे में कुछ भी लेखन या रिकॉर्ड नहीं करते.


न्यूज चैनल्स आज के हिन्दू ब्राह्मणवादी पुराण हैं, कोरिया का अणुबम, चीन की बुलेट ट्रेन, जापान का भूकंप, अश्वत्थामा की चड्डी का नाड़ा, पांडवों के पैर के निशान, पाताल लोक की नागकन्या, स्वर्गलोक की अप्सरा का श्राप इत्यादि सब इनके न्यूज चेनल्स में नजर आता है. लेकिन सराहनपुर, जंतर मन्तर, भगाणा, ऊना, कैराना ये सब एकदम गायब हो जाता है.


सवर्णो का साहित्य दुनिया जहान में घूम आएगा, दलितों आदिवासियों पर आंसू भी बहा लेगा लेकिन शोषक धर्म से बाहर जाने का विकल्प नहीं देगा। 


हिंदुओं के बच्चों से या SC, ST, OBC के बच्चों से पूछिए क्या उन्हें स्कूल में डॉ अंबेडकर, ज्योतिबा फूले और बिरसा मुंडा पढ़ाया जाता है? वे कॉलेज तक आकर भी इनका साहित्य नहीं पढ़ पाते। 


दूसरी तरफ सूरदास, तुलसीदास जैसे प्रतिगामी और वेदांती पोंगा पंडितों की किताबें साल दर साल पढ़ाई जाती हैं।


उधर सवर्ण हिंदुओं की फिल्में देखिये, वे क्लास स्ट्रगल की लंबी लंबी बातें करेंगे लेकिन वर्णाश्रम धर्म की असली बीमारी पर हाथ तक नहीं रखेंगे।


भारत का इतिहास और इतिहास बोध सहित विज्ञान और भारत की सभ्यता और संस्कृति को किसने क्यों और कैसे नष्ट किया है आप आँख खोलकर अभी देख सकते हैं.


अब सोचिये इस मुल्क के सनातन दुश्मन और देशद्रोही कौन हैं?


- संजय श्रमण