◆ प्रत्येक वर्ष 18 मई को मनाया जाता है अंतर्राष्ट्रीय संग्रहालय दिवस
◆ प्रत्येक वर्ष कुछ अलग थीम पर बनाया जाता है
युवा काफिला भोपाल-
हर साल 18 मई को दुनिया भर में अंतर्राष्ट्रीय संग्रहालय दिवस मनाया जाता है। इंटरनेशनल काउंसिल ऑफ म्यूजियम (आईकॉम) की अडवाइजरी कमेटी हर साल इस कार्यक्रम के लिए एक थीम तय करती है। लौंडा उनके कारण चुकी संपूर्ण विश्व बंद की कगार पर है । हालांकि यह कार्यक्रम किसी हफ्ते के आखिरी दिन, पूरे एक हफ्ते या पूरे एक महीने तक भी चलता है, लेकिन इस वर्ष कोविड-19 के चलते हैंं कार्यक्रम स्थगित किए गए हैं। इस दिन सभी संग्रहालय में निशुल्क प्रवेश दिया जाता हैं।
विश्व अंतर्राष्ट्रीय संग्रहालय दिवस का इतिहास
1977 में इंटरनैशनल काउंसिल ऑफ म्यूजियम (आईकॉम) ने अंतरराष्ट्रीय संग्रहालय दिवस की शुरुआत की। 1977 से फिर 18 मई को अंतरराष्ट्रीय संग्रहालय दिवस मनाया जाने लगा। हर साल दुनिया भर के संग्रहालय अपने-अपने देशों के अंदर इसका आयोजन करते हैं। वे कार्यक्रम के दौरान संग्रहालय के महत्व को लेकर जागरूकता फैलाते हैं। 2009 में 90 से ज्यादा देशों के 20,000 संग्रहालयों ने अंतरराष्ट्रीय संग्रहालय दिवस में हिस्सा लिया। 2010 में 98 देश, 2011 में 100 देश और 2012 में 129 देशों के करीब 30,000 संग्रहालय ने हिस्सा लिया।
क्या होता है इस दिन?
कई संगठन ऐसे हैं जो इस दिन संग्रहालयों का मुफ्त ट्रिप आयोजित करते हैं। लोग अपने दोस्त, परिवार और रिश्तेदारों के साथ भी संग्रहालयों का दौरा करते हैं।
संग्रहालय का महत्व
हमारे सांस्कृतिक धरोहर को सुरक्षित रखने और उनके प्रचार-प्रसार में संग्रहालय अहम भूमिका निभाता है। हमारे धार्मिक, सांस्कृतिक और ऐतिहासिक महत्व की चीजों और सामग्रियों को संग्रहालय इकट्ठा करता है और उनको सुरक्षित रखता है। इसमें कोई शक नहीं कि संग्रहालय प्राचीन कलाकृतियों, नक्काशियों, मूर्तिकला, अन्य चीज, इतिहास आदि का भंडारगृह है।
राजधानी के कुछ खास संग्रहालय
राज्य संग्रहालय भोपाल का उद्घाटन 2 नवम्बर, 2005 को म.प्र. के मुख्यमंत्री ने किया। यह श्यामला हिल्स पर पर स्थित है। संग्रहालय का समय प्रातः 10.30 बजे से सायः 5.30 बजे तक होता है तथा यह प्रत्येक सोमवार एवं शासकीय अवकाश के दिन संग्रहालय बन्द रहता है।
राज्य संग्रहालय भोपाल की स्थापना वर्ष 1909 में नवाब सुल्तान जहां बेगम ने की थी पूर्व में किसका नाम एडवर्ड संग्रहालय था । यह संग्रहालय वर्तमान में अजायबघर के नाम से जाना जाता था, जो कि वर्तमान में यह स्थान केंद्रीय ग्रंथालय भवन के नाम से जाना जाता है। इस भव्य भवन में 17 विथिकाएं हैं जोकि अलग-अलग विषयों के ऊपर बनी हुई है थीम दीर्घा प्रागेतिहासिक जीवाश्म दीर्घा उत्खनित सामग्री दीर्घा धातु प्रतिमा दीर्घा अभिलेख दीर्घा प्रतिमा दीर्घा रॉयल कलेक्शन तथा टेक्सटाइल दीर्घा साथी स्वतंत्रता संग्राम दीर्घा डाक टिकट ऑटोग्राफ दीर्घा पांडुलिपि दीर्घा लघु रंग चित्र दीर्घा मुद्रा दीर्घा अस्त्र-शस्त्र दीर्घा बाघ गुफा मध्यकालीन दस्तावेज दीर्घा तथा दुर्लभ वाद्य यंत्र दीर्घा है। थीम वीथी अर्थात सार वीथी में ईसा पूर्व की द्वितीय शताब्दी से लेकर 13 वी शताब्दी तक की कलाकृतियां प्रदर्शित की गई है।
राष्ट्रीय मानव संग्रहालय
इंदिरा गांधी राष्ट्रीय मानव संग्रहालय (IGRMS) भोपाल स्थित एक मानव विज्ञान संग्रहालय है। इसका उद्देश्य भारत के विशेष सन्दर्भ में मानव तथा संस्कृति के विकास के इतिहास को प्रदर्शित करना है। यह अनोखा संग्रहालय शामला की पहाडियों पर 200 एकड़ क्षेत्र में फैला हुआ है, जहाँ 32 पारंपरिक एवं प्रागैतिहासिक चित्रित शैलाश्रय भी हैं। यह भारत ही नहीं अपितु एशिया में में मानव जीवन को लेकर बनाया गया विशालतम संग्रहालय है। इसमें भारतीय प्ररिप्रेक्ष्य में मानव जीवन के कालक्रम को दिखाया गया है। इस संग्रहालय में भारत के विभिन्न राज्यों की जनजातीय संस्कृति की झलक देखी जा सकती है। यह संग्रहालय जिस स्थान पर बना है, उसे प्रागैतिहासिक काल से संबंधित माना जाता है।
संग्रहालय खोलने का समय
संग्रहालय खोलने का समय: मार्च से अगस्त 11.00 से 18.30 और सितंबर से फरवरी 10.00 से 17.30 तक।
सोमवार और राष्ट्रीय छुट्टियों को छोड़कर हर दिन खुलता है।
सम्राट अशोक का है सांची से पुराना रिश्ता
साँची पुरातत्व संग्रहालय साँची का पुरातात्विक स्थल के पास एक संग्रहालय है। इसमें विभिन्न अवशेष हैं जो पास के बौद्ध परिसर में पाए गए थे। एक महत्वपूर्ण पर्यटक आकर्षण के रूप में सांची संग्रहालय भारतीय समृद्ध धार्मिक और स्थापत्य विरासत का साक्षी है। कई दुर्लभ और प्राचीन वस्तुओं का प्रदर्शन इस संग्रहालय का दौरा करने योग्य बनाता है।
भारत में तीसरी, दूसरी और पहली शताब्दी ईसा पूर्व काल की सबसे पुरानी पत्थर की मूर्तियों की एक बड़ी संख्या साँची संग्रहालय में एकत्र की गई है। उन सभी को सांची से ही इकट्ठा किया गया है। संग्रहालय में सम्राट अशोक और बौद्ध सभ्यता के कई सदियों पुरानी कस्केट और बर्तनों को देखा जा सकता है। भिक्षुओं द्वारा उपयोग की जाने वाली कुछ धातु वस्तुओं को भी संग्रहालय में रखा गया है। टोरना या सजावटी गेटवे के हिस्सों संग्रहालय में संरक्षित हैं। बाद में प्रसिद्ध अशोक शेर स्तम्भ जिसे भारत के राष्ट्रीय प्रतीक के रूप में अपनाया गया था, संग्रहालय में भी रखा है।