14 अप्रैल का दिन भारत के वंचित तबकों की जिंदगी में खास मायने रखता है। 1891 में इसी दिन संविधान निर्माता भारत रत्न डाॅ. भीमराव आंबेडकर का जन्म हुआ था।
पूरे देश और विदेशों में उनके अनुयायी हर साल उनकी जयंती बड़े उत्साह और उमंग के साथ मनाते है। डाॅ.आंबेडकर के परिनिर्वाण (मृत्यु) हो जाने के बाद संभवतः यह पहला अवसर होगी कि इस साल उनकी 129वीं जयंती पर ‘जय भीम’ का नारा आकाश में गुंजायमान नहीं होगा, लेकिन घर-घर में जरूर गूजेंगा। दरअसल कोरोना वायरस संक्रमण के कारण पूरे देश में लाॅकडाउन के कारण इस बार आंबेडकर जयंती पर हर साल जैसा नजारा नहीं होगा, लेकिन उनके अनुयायी इस बार जयंती को एकदम अलग तरीके से मनाकर एक नई शुरूआत करने जा रहे हैं।
बौद्धों के धम्मगुरु भिक्षु शाक्यपुत्र सागर ने अपील की हैं कि सभी भारतीयों को विश्वरत्न डॉ भीमराव आंबेडकर की 129 जयंती घरों में ही रहकर हर्षोल्लास के साथ मनानी चाहिए। वर्तमान की परिस्थितियों को देखते हुए बुध्द के बताए गए दया,करुणा और मैत्री के मार्ग का अनुसरण करते हुए बाबा आंबेडकर की जयंती के अवसर पर सभी अनुयायी कम से कम 5 जरूरतमंद और गरीब परिवारों की सहायता राशन और मास्क सहित सैनिटाइजर बांटकर कर सकता हैं । ध्यान रहे सहायता करते समय सोशल डिस्टेंसिंग सहित फिजिकल डिस्टेंसिंग का विशेष ख्याल रखे । वैसे बहुजन समाज के अनेक संगठनों और बुद्धिजीवियों ने सोशल मीडिया के माध्यम से जयंती को मनाने के तरीके लोगों से साझा किए हैं। इन संदेशों में कहा गया है कि –
- इस बार डॉक्टर भीमराव आंबेडकर की 129वीं जयंती ऐसे समय आ रही हैं जब देश कोरोनावायरस की चपेट में है। इस अभूतपूर्व समय में हमारे सबसे बड़े आदर्श बाबा साहेब का जन्मदिन भी कुछ अभूतपूर्व तरीके से मनायें।
- पूरे विश्व में बाबा साहेब का आदर और सम्मान ज्ञान के प्रतीक पुरुष के रूप में है, इसलिए इस बार उनके जन्मदिन को भी हमको इसी भावना के अनुसार मनाना चाहिए।
इसमें कोई संदेह नहीं है कि डाॅ. आंबेडकर के अनुयायी और पूरा बहुजन समाज अपने अधिकारों, ज्ञान और अपने समाज के प्रति जागृत हो रहा है। इस जागृति की यह गति और तेज कर इसे पूर्णताः की ओर ले जाना उनके स्वप्नों को साकार करने जैसा है।
इसमें कोई संदेह नहीं है कि डाॅ. आंबेडकर के अनुयायी और पूरा बहुजन समाज अपने अधिकारों, ज्ञान और अपने समाज के प्रति जागृत हो रहा है। इस जागृति की यह गति और तेज कर इसे पूर्णताः की ओर ले जाना उनके स्वप्नों को साकार करने जैसा है।
भारतीय बौद्धों की धार्मिक संस्था दी बुद्धभूमि धम्मदूत महासंघ के धम्मगुरु भन्ते शाक्यपुत्र सागर ने सम्पूर्ण जनता से अपील की हैं कि डॉ आंबेडकर जयंती कुछ इस प्रकार मनाएं -
- लॉकडाउन के इस समय में हम अपने घरों में हैं, इसलिए कम से कम इतना करें कि सुबह घर के सभी सदस्य तैयार हो जाएं।
- साफ-सुथरे शुभ्र (हो सके तो सफेद) कपड़े पहनें।
बाबा साहेब की प्रतिमा या फोटो के सामने कैंडल जलाएं। - उनके किए गए कार्यो की जानकारी परिवार को देकर उन्हें याद करें। साथ ही सामाजिक समता की स्थापना तथा महिलाओं और श्रमिक वर्ग सहित संपूर्ण भारत के विकास में उनके योगदान याद करें।
- यह याद करें कि एक अकेले व्यक्ति के संघर्ष ने किस तरह करोड़ों लोगों को जीने का नया रास्ता दिखाया। उनके इस पर हम चल रहे हैं।
- हम यह याद रखें कि बाबा साहेब सिर्फ संविधान निर्माता नहीं थे। वे वास्तविक रूप में अपने आप में एक महाशक्ति थे।
- डाॅ. आंबडेकर अप्रतिम बौद्धिक क्षमता के धनी थे। उनके समय में उनके समान बौद्धिक क्षमता वाला कोई नेता नजर नहीं आता।
- दूसरी बात हम यह करें कि अपने बच्चों को बताएं। बाबा साहेब के बारे में जो भी आपके पास में पढ़ने की सामग्री उपलब्ध हो, उनकी किताबों हों, किताबों के अंश हों, उसे अवश्य अवश्य पढ़ें।
ये करें-
- ज्ञान के युग पुरुष का जन्मदिन हम ज्ञान प्राप्त करके मनाएं।
- अपने आप को बौद्धिक रूप से इतना तैयार करें कि आप बाबा साहब के विचारों के संबंध में भ्रमित न हो पाएं।
- घरों के बाहर पंचशील का ध्वज लगाएं और लाइटिंग भी करें।
- बाबा साहब को पढ़ने पर हम भ्रम से बचे रहेंगे।
जो भी आप पढ़ें, समझे उसे आपस में जरूर साझा करें। तब आपको महामानव की महाशक्ति का अहसास होगा।
ये न करें-
- हम यह भी याद रखें कि हम किसी प्रकार की आतिशबाजी ना करें।
- घरों से कतई बाहर न निकले और प्रशासन को सहयोग करें ।