मध्यप्रदेश मंत्रीमंडल गठन/ टल सकता है मंत्रिमंडल गठन, संख्या को लेकर फंसा पेंच

◆ मध्यप्रदेश में टल सकता है मंत्रिमंडल गठन


संख्या को लेकर फंसा पेंच


युवा काफिला,भोपाल- 


कोरोना संक्रमण के चलते मध्यप्रदेश में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान का मंत्रिमंडल गठन नहीं हो पाया। मध्यप्रदेश मंत्रीमंडल गठन के संबंध में ज्योतिरादित्य सिंधिया के लगातार भाजपा के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह और फिर राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा से मिलने के कारण मंत्रिमंडल विस्तार का मामला गरमा गया था।  जल्द ही अपने मंत्रिमंडल का गठन करने की खबरे आ रही थी लेकिन शिवराज की टीम में कितने मंत्री बनेंगे इसको लेकर उलझने बढ़ती जा रही है| इस बीच सूत्रों के हवाले से खबर है कि अभी दो दिन और मंत्रिमंडल गठन पर फैसला टल सकता है| 20 अप्रैल के बाद कैबिनेट का गठन होगा|


प्रदेश में कोरोना की स्तिथि को देखते हुए मुख्यमंत्री शिवराज के साथ पार्टी अध्यक्ष वीडी शर्मा और संगठन महामंत्री सुहास भगत चाहते हैं कि मंत्रिमंडल छोटा हो| लेकिन ज्योतिरादित्य सिंधिया अपने ज्यादातर समर्थकों को मंत्री बनाने पर अड़े हुए हैं| हालही में सिंधिया ने केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह से मुलाक़ात की थी, जिसके बाद सिंधिया शुक्रवार को राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्ढा से मिले और अपनी बात रखी| अब फैसला केंद्रीय नेतृत्व पर है| मंत्रिमंडल को लेकर चल रही अटकलों के बीच खबर है कि फिलहाल दो दिन और कैबिनेट का गठन पर फैसला नहीं होगा| 20 अप्रैल तक इसे टाला जा रहा है| लॉक डाउन के चलते फैसला टाला जा रहा है, केंद्र सरकार इस दिन कुछ राहतों की घोषणा कर सकती है| इसके बाद ही मंत्री शपथ लेंगे|


कमलनाथ सरकार में मंत्री रहे सिंधिया समर्थकों के फिर मंत्री बनने के चांस बढ़ गए हैं| सिंधिया इसको लेकर जोर लगा रहे हैं| सिंधिया की मांग पर अमल हुआ तो तुलसी सिलावट के साथ गोविंद सिंह राजपूत, प्रद्युम्न सिंह तोमर, इमरती देवी, महेंद्र सिंह सिसोदिया और प्रभुराम चौधरी को शामिल किया जा सकता है| इसके साथ ही कांग्रेस से भाजपा में शामिल हुए दिग्गज नेताओं बिसाहूलाल सिंह, एंदल सिंह कंसाना और राज्य वर्धन दत्तीगांव के साथ हरदीप सिंह डंग को लेकर भी भाजपा विचार कर सकती है वहीं कई वर्षों से भाजपा के विधायकों को मंत्री पद न मिलने से असंतोष और अंतर्कलह बढ़ने की संभावना से भी इंकार नहीं किया जा सकता ,ऐसे में पार्टी हाईकमान उन्हें कोरोना महामारी की समाप्ति के बाद का आश्वासन देकर शाँत कर सकते हैं, फिर भी उपचुनाव के समय जनताजनार्दन क्या समर्थन करती है यह देखने वाली बात होगी ।