◆ कोरोना वॉरियर्सः किसी के घर में न छाए अंधेरा... 6 माह की बेटी को गोद में लेकर ड्यूटी करती भोपाल के कोलार क्षेत्र में स्थित दानिश कुंज बिजली सब स्टेशन पर तैनात प्रगति तायड़े
◆ सुबह 8 बजे लेकर शाम 4 बजे तक बेटी को संभालने के साथ ही बखूबी निभाती हैं अपनी जिम्मेदारी
◆ऑफिस आते वक्त गरीबों के लिए घर से खाना भी बनाकर लाती है प्रगति तायड़े
युवा काफिला, भोपाल-
कोरोना वायरस से जंग में सम्पूर्ण विश्व पूरी ईमानदारी के साथ अपने कामों में जुटा हुआ है। कोरोना से निपटने के लिए डॉक्टर्स, नर्स, पुलिस, प्रशासन, मीडिया, नगर निगम सहित सम्पूर्ण आवश्यक सेवा में कार्यरत कर्मचारी जी जान से जुटे हुए हैं। आम लोगों से जुड़ी सर्वाधिक आवश्यक सेवाओं में बिजली है। बिजली की आपूर्ति बिना किसी रुकावट केे सुचारू रूप से जारी रहे, इसके लिए प्रदेश के लाखों कर्मचारी रात-दिन अपने काम को कर रहें हैं । ऐसे ही एक जज्बे और हौसले को सलाम करती तस्वीर आई हैं मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल से जहां तमाम कठिनाईयों से जूझते हुए कोलार के दानिश कुंज बिजली सब स्टेशन पर तैनात प्रगति तायड़े जो कि सब स्टेशन पर टेस्टिंग ऑपरेटर के रूप में पदस्थ कर्मचारी हैं अपने साथ छह माह की बीटिया को गोद में लेकर पूरी मुस्तैदी से अपनी ड्यूटी कर रही है।
6 माह के बेटी को साथ लेकर करती है ड्यूटी-
भोपाल के कोलार सब-स्टेशन में बेटी को गोद में लेकर ड्यूटी कर रही महिला का नाम प्रगति तायड़े हैं। यहां वह टेस्टिंग ऑपरेटर के रूप में पदस्थ हैं। कोरोना संक्रमण काल में उनकी पहचान कोरोना वॉरियर के रूप में है। सुबह आठ बजे से लेकर शाम चार बजे तक प्रगति ड्यूटी पर रहती हैं और इस दौरान मां-बेटी के चेहरे पर मास्क लगा होता है।
संविदा कर्मचारियों का भी हो बीमा -
सब स्टेशन के अंदर काम करते वक्त बिटिया को बिजली उपकरणों से दूर रखकर काम करना बड़ी चुनौती होती हैं। वहीं बिजली यार्ड में जाते समय बच्ची को अन्य कार्यरत कर्मचारी के पास छोड़कर काम पूरा करना भी होता है। हालांकि प्रगति का कहना है कि वो और उनकी महिला साथी सभी मुश्किल हालातों में अपनी ड्यूटी निभा रहे है लेकिन मलाल यह हैं कि उनके जैसे लाखों टेस्टिंग ऑपरेटर आज भी वो संविदा कर्मचारी हैं औऱ बगैर किसी बीमा के इस संक्रमण काल में भी काम कर रहे है। बेटी के साथ काम करना फिलहाल जोखिम भरा तो है। ऐसे में सरकार को चाहिए कि हम सभी संविदा कर्मचारियों का बीमा जरूर होना चाहिए।
जिस समय एक महिला को घर पर रहकर अपनी छोटी सी बच्ची की देखरेख करनी चाहिए उस दौरान भी यह महिला देश हित में अपने कार्य को लेकर कितनी तत्पर हैं यह उनके हौसले को देखकर पता चलता हैं। इस वक्त उनका ड्यूटी पर जाना कितना मुश्किल है यह प्रगति तायडे के अलावा अन्य कोई नहीं समझ सकता।
फिर भी वह राष्ट्रहित में किसी भी इसकी परवाह न करते हुए सेवा दे रही हैं।
ताकि कोई अंधेरे में न रहे-
कोरोना के खिलाफ जारी जंग के बीच प्रगति सुबह आठ बजे दफ्तर पहुंच जाती है। प्रगति तायड़े ने कहा कि मैं नहीं चाहती हूं कि इस संकट के समय में किसी के घर अंधेरा रहे। इस मकसद के साथ वह हर रोज ड्यूटी करती हैं।
रोज गरीबों के लिए लाती है खाना-
टेस्टिंग ऑपरेटर प्रगति ने कहा कि दफ्तर आते समय वह गरीबों के लिए खाना बनाकर भी लाती है। रास्ते में जो भी भूखा-प्यासा दिख जाता है, उनको बांट देती हैं। प्रगति ने कहा कि बेटी को ऑफिस लेकर आना काफी चुनौतीपूर्ण है लेकिन इसे घर में भी नहीं छोड़ सकती हूं।
कर्तव्य को निभा रही हूं-
प्रगति ने कहा कि वह भी डॉक्टर, नर्स, मीडियाकर्मियों और पुलिसकर्मियों की तरह अपने कर्तव्य को निभा रही हैं। सभी लोग विषम परिस्थितियों में भी देश हित के लिए काम कर रहे हैं। ऐसे में मैं कैसे घर बैठ सकती हूं। इस गर्मी के मौसम में लॉक डाउन के दौरान घर रुके लोगों की किसी प्रकार की कोई दिक्कत ना हो। इसलिए मैं ड्यूटी पर जाती हूं।
पति संगपाल शेन्डे और सास का रहता हैं भरपूर सहयोग-
प्रगति लोगों को संदेश देते हुए कहती हैं कि आज के इस कठिन लॉकडाउन के दौर में सभी अपने-अपने घरों में ही रहे । खूब हाथों को साफ सुथरा रखे और फीजिकल डिस्टेंसिंग का पालन करें । हरसंभव मास्क का उपयोग करें । प्रगति के पति संगपाल शेन्डे बैंक में अधिकारी हैं वहीं सास रेखा शेन्डे शासकीय स्कूल में कार्यरत हैं ।