◆ बच्चों को शिक्षा देकर उनका व्यक्तित्व विकास कर रहे हैं
◆ लॉकडाउन के मुश्किल दौर में करते हैं बच्चों का उत्साहवर्धन
युवा काफिला, भोपाल-
कहते हैं कि अगर इंसान में किसी काम के लिए पक्का इरादा, लगन और मेहनत करना का जज़्बा हो तो वह कुछ भी कर सकता है। एक सच्चा कर्मयोगी कभी भी अच्छा काम करना बंद नहीं करता चाहे कितनी भी खराब परिस्थितियां क्यूँ न हो । ऐसा ही एक नाम है भोपाल शहर के डॉ सुधीर वाडिवा का। आज हम आपको इनके दीवानेपन और जुनून के बारे में बताएंगे कि किस तरह डॉ साहब अपनी पत्नी डॉ सिंधु वाड़ीवा के साथ समाज के बच्चों को शिक्षा दीक्षा देकर उनका व्यक्तित्व विकास कर रहे हैं। तो पहले जान लेते हैं कि डॉ सुधीर वाडिवा हैं कौन और फिर जानेगे कि ये क्या करते हैं?
डॉ सुधीर वाडिवा का ताल्लुक बैतुल जिले के आठनेर तहसील के एक कोइतूर गोंड परिवार से है और आपका जन्म महाराष्ट्र के नागपूर में हुआ था। आपका लालन पालन ननिहाल के सानिध्य में हुआ क्यूंकि पिता जी सरकारी नौकरी में थे और यहाँ वहाँ पोस्टिंग के चक्कर में परिवार को साथ नहीं रख पाते थे।
आपकी प्राइमरी और 10वीं तक की शिक्षा दीक्षा नागपूर के एक सरकारी स्कूल में हुई। उसके बाद अपने सोशल वर्क में तिरपुड़े कॉलेज ऑफ सोशल वर्क्स, नागपुर से सर्टिफिकेट(सीएसडबल्यू), बैचेलर(बीएसडबल्यू) और मास्टर डिग्री(एमएसडबल्यू) पूरी की। शिक्षा के बाद आप ने 2002-2004 तक महाराष्ट्र राज्य सरकार की नगर महापालिका में प्रोजेक्ट अधिकारी के रूप में अपनी सेवाएँ दीं।
वर्ष 2004 में आप केंद्रीय श्रमिक शिक्षा बोर्ड, श्रम और रोजगार मंत्रालय, भारत सरकार के अधीन मुंबई में शिक्षा अधिकारी (Education Officer) के रूप में कार्य प्रारंभ किया। आपने केंद्रीय सरकार में अपनी सेवाएँ महाराष्ट्र के मुंबई, हरियाणा के फरीदाबाद, मध्य प्रदेश के इंदौर, राजस्थान के उदयपुर में दीं और संप्रति भोपाल मध्य प्रदेश में इसी विभाग में अपनी सेवाएँ दे रहे हैं। सरकारी सेवा में रहते हुए आपने एलएलबी(2016) और पीएचडी (2013) की डिग्रियाँ भी हासिल कीं।
अपनी सरकारी सेवाओं की व्यस्तता और परिवार की जिम्मेदारियाँ निभाने के साथ साथ डॉ वाडिवा अपनी सामाजिक जिम्मेदारियों के प्रति बहुत संजीदा हैं और कोइतूर समाज के बच्चों को उनके व्यक्तित्व विकास और कौशल विकास के लिए कार्य कर रहे हैं।
विगत कई वर्षों से अपने सीमित संसाधनों के साथ ही उन्होने कोइतूर बच्चों के लिए शिक्षण और प्रशिक्षण का कार्य शुरू किया जो आज तक अनवरत चल रहा है। आपकी पत्नी डॉ सिंधु वाड़ीवा भी इनके साथ कंधा से कंधा मिलाकर चलती रहती है और समाज में अपना योगदान करती हैं। डॉ सुधीर वाडिवा एक कुशल वक्ता, अच्छे समाज सेवक के साथ साथ एक अच्छे इंसान भी हैं जो हमेशा दूसरों के बारे में सोचते रहते हैं।
आज जब कोरोना से निर्मित वातावरण में सब कुछ ठहर सा गया है उसमें भी डॉ सुधीर वाडिवा और डॉ सिंधु वाडिवा का जोश और हौसला कम नहीं हुआ है बल्कि और तेजी से अपने कार्य को अंजाम दे रहे हैं। आपने आधुनिक संचार माध्यमों और सोशल मीडिया का सहारा लिया है और बच्चों को लगातार उत्साहित करते हुए हुए उन्हे ट्रेनिंग देना जारी रखे हुए हैं। गोंडवाना स्टूडेंट यूनियन के बहुत सारे छात्र छात्राएँ डॉ सुधीर वाडिवा के मार्गदर्धन में जीवन के महत्त्वपूर्ण आयामों में पारंगत हो रहे हैं।
काश ऐसे कि कुछ पढे लिखे लोग समाज के प्रति अपनी जिम्मेदारियाँ संभाल लेते तो आज कोइतूर समाज अपने पुराने गौरव और सम्मान को पुनः प्राप्त कर लेता। अपने नौकरी परिवार के साथ साथ सामाजिक जिम्मेदारियों के निर्वहन के लिए गोंड समाज महासभा ने आपको गोंडवाना गौरव सम्मान से सम्मानित किया है। डॉ सुधीर वाडिवा भविष्य में गरीब छात्रों के लिए एक शिक्षण संस्था की नीव भी डाल रहे हैं और जल्दी ही उसकी सेवाएँ समाज के बच्चों को मिलने लगेगी। समाज के अन्य लोगों को भी अपने साथ लाकर इस कार्य में जोड़ रहे हैं । और समाज के बहुत सारे लोग डॉ साहब से बहुत प्रभावित और आशान्वित हैं।
समाज के प्रति उनके लगन, जज़्बे, हिम्मत और हौसले को सलाम और दोनों पति पत्नी को मेरा सादर सेवा जोहार ! आप ऐसे ही समाज के लोगों को दिशा देते रहे और बच्चों का मार्ग प्रशस्त करते रहें !
डॉ सूर्या बाली “सूरज धुर्वे”
भोपाल