जयंती विशेष/ और ऐसे खास बन गई लॉकडाउन के बीच डॉ आंबेडकर जयंती

 


 


 



  • लॉक डाउन के बीच सड़कों की बजाए घरों में गूंजा जयभीम का नारा।

  • परिवारों में दिन भर चलती रहीं बौद्धिक चर्चाएं, शाम को रोशनी से जगमगा उठा देश ।खास बात यह रही कि अंबेडकर जयंती पर पहली बार बड़ी संख्या में परिवारों में बौद्धिक विमर्श हुए,  उनके व्यक्तित्व और कृतित्व पर चर्चा हुई और शाम को दीपों और मोमबत्तियों से पूरा देश जगमगाया।


युवा काफ़िला, भोपाल-


विश्व के महानतम विद्वान, संविधान निर्माता, भारत रत्न डाॅ. भीमराव आंबेडकर की जयंती इस बार कई मायनों में बहुत खास रही। अब तक डाॅ. आंबेडकर के अनुयायी उन्हें याद करने के लिए उनसे जुड़े स्मारकों और उनकी प्रतिमाओं के पास इकट्ठा होकर दिन भर उत्सव मनाते थे। मध्यप्रदेश के महू में उनकी जन्मस्थली से लेकर नागपुर स्थित दीक्षा भूमि सहित दादर स्थित चैत्य भूमि पर लाखों लोग उन्हें नमन करने पहुंचते थे। बड़ी संख्या में गांवों से लेकर शहरों तक में लगी उनकी प्रतिमाओं पर माल्यार्पण किया जाता था, लेकिन इस बार उनकी जयंती मनाने का अंदाज कुछ अलग ही था।


देश इस समय कोरोना महामारी से जूझ रहा है। लाॅकडाउन होने के कारण सख्त नियम हैं। डाॅ. आंबेडकर के अनुयायियों ने संविधान (कानून) सम्मत कार्य किया तथा नियमों के अनुरूप लाॅकडाउन के उद्देश्यों का पूरी तरह पालन करते हुए पूरी तरह घरों में रहें। सुबह से लेकर रात तक बाबा साहेब को अपने-अपने तरीके से याद करने का सिलसिला चलता रहा। खास बात यह रही कि आंबेडकर जयंती पर पहली बार बड़ी संख्या में परिवारों में बौद्धिक विचार विमर्श हुए, वर्चुअल रूप से उनके व्यक्तित्व और कृतित्व पर चर्चा हुई और शाम को दीपों और मोमबत्तियों से पूरा देश जगमग हुआ। डाॅ. आंबेडकर के अनुयायी कहते हैं कि इस बार एक नई और क्रांतिकारी शुरूआत हुई है। रिपोर्ट के आधार पर डाॅ. आंबेडकर के अनुयायी बता रहे हैं कि इस बार का जयंती महोत्सव कैसे अलग और यादगार रहा।


ज्ञान महापर्व के रूप में मनी जयंती- 


     


रजनी गजभिये ,संपादक - युवा काफिला समाचार पत्र


129 वीं जंयती की खास बात यह रही कि इस बार बाबा साहब के अनुयायियों ने बैनर, पोस्टर और दूसरी चीजों पर खर्च करने की बजाए लाॅकडाउन के दौरान जरूरतमंदों की मदद की। बाबा साहब ने कहा था कि मेरी पूजा मत करना, बल्कि मेरे विचारों पर अमल करना। इस बार जयंती पर ऐसा ही हुआ। बौद्धिक चर्चाएं हुईं, सोशल मीडिया पर लेख लिखे गए, निबंध प्रतियोगिताएं हुईं। इतने व्यापक स्तर पर ज्ञान आधारित ऐसी गतिविधियों का कहना इस बात जयंती की सबसे खास बात रही। लाॅकडाउन के दौरान लोग घरों में रहे और उन्होंने अपने टेलेंट को दिखाया। बाबा साहब पर केंद्रित रंगोली, चित्रकला, पोस्टर, गायन, वादन दिन भर सोशल मीडिया पर चलते रहे। हमारे महापुरुषों को याद करने का नया तरीका है यह। कुल बाबा साहब का एक विचार इस बार चरितार्थ होता दिखा कि बुद्धि का विकास मनुष्य का अंतिम लक्ष्य होना चाहिए।  


भोपाल में दानिश कुंज स्थित पंकज पाटिल के परिवार में आंबेडकर जयंती महोत्सव


इस बार पूरी परिवार के लिए यादगार रही जयंती-


आनंद शेन्डे ,व्यवसायी


इस बार पहली बार हुआ है कि बाबा साहब की जयंती घर पर रहकर पूरे परिवार के साथ मनाई है। अब तक जयंती समारोह में मैं पूरे परिवार के साथ भाग नहीं ले पाता था। परिवार में बाबा साहेब के विचारों पर चर्चा का एक अच्छा अनुभव रहा। मेरे परिवार में पत्नी और दो बेटियां हैं। मेरे साथ मेरे बड़े भाई और भाभी और भतीजा भी हैं। परिवार के सभी सदस्यों ने जयंती पर अपने-अपने स्तर पर कोई न कोई तैयारी कर रखी थी। एक के बाद एक सभी ने अपनी गतिविधियों को सामने रखा, तो निश्चित तौर पर जयंती यादगार हो गई। देश, समाज की मौजूदा परिस्थितियों पर बाबा साहेब के दृष्टिकोण से चर्चा हुई। परिवार के सदस्यों ने अत्याधिक बौद्धिकता के साथ अपने विचार रखे। मेरे परिवार में यह एक सुखद अनुभव था।


प्रतियोगिताओं से भरपूर डिजिटल जयंती-


भिलाई से भोवते परिवार बाबासाहेब की 129 वी जयंती के उपलक्ष्य में


भिलाई से जितेंद्र भोवाते ने बताया कि विभिन्न प्रकार के आयोजन किए गए । मेरा परिवार जयंती को सबसे बडे उत्सस के रूप में मनाता है।  साल भर हमें जयंती का इंतजार रहता हैं । इस अवसर पर ऑनलाइन बाबा साहेब के जीवन पर आधारित प्रस्तुति दी गई जिसमें पूजा स्थल की सजावट, घर पर बनी मिठाईयां,रंगोली या अन्य सजावट, पारिवारिक फ़ोटो जयंती तथा सभी प्रतियोगिताओं को बाबा साहेब के जीवन पर आधारित एक - एक घटना का विवरण सुनाना था। पुरस्कारो का विवरण Google Pay, से राशि भेजकर किया।


बहुत अच्छी पहल...


पुण्यशील,सामाजिक कार्यकर्ता


संभवतः डॉ आंबेडकर के निर्वाण (मृत्यु) के बाद यह पहला अवसर है कि बाबा साहेब की 129 वीं जयंती घर-घर में इतनी उत्साहपूर्वक मनाई गई। अब तक भारी जन सैलाब के सथ लाखों-करोड़ों रुपए खर्च कर झांकियां-जूलूस निकालता है, सभा-सेमीनार होते हैं और शाम को वापस अपने घर आ जाते हैं। इस बार डाॅ. आंबेडकर की जयंती अलग अंदाज में मनाई गई। लोगों ने तकनीकों साधनों का भरपूर इस्तेमाल किया। जूम एप, यू-ट्यूब, टीम व्हीवर जैसे विभिन्न एप के माध्यम से ऑनलाइन वीडियो काॅफ्रेंसिंग के माध्यम से सामूहिक बाबा साहेब को याद किया गया। उनके व्यक्तित्व और कार्यो पर चर्चा की गई। आज महामारी और देश के मौजूदा हालातों को बाबा साहेब के नजरिए से देखने की कोशिश की गई। यह सब कुछ इससे पहले बहुत कम देखा गया। बाबा साहेब के विचारों और जयंती मनाने को लेकर समाज के सभी वर्गों का इस तरह आगे आना, बेहद रोमांचक और क्रांतिकारी है। सभी परिवारों द्वारा भारत सरकार के निर्देशों का पूरी तरह से पालन किया गया। फिजिकल डिस्टेंसिंग बनाए रखी। बाबा साहेब द्वारा स्थापित समता, महिला और श्रमिकों के उत्थान में उनकी भूमिका के साथ ही अर्थव्यवस्था को लेकर उनके विचारों को विमर्श हुआ। समाज के लिए यह एक अच्छी पहल है।