इतिहास/सम्राट अशोक खोजी प्रवृत्ति के पर्सनैलिटी थे - डॉ राजेन्द्र प्रसाद

युवा काफिला, पटना-


गौतम बुद्ध का समय था। तब सुजाता के गाँव का नाम सेनानी गाम था। सेनानी गाम बोध गया से पूरब निलंजना नदी के तट पर था। सबसे पहले सम्राट अशोक ने सेनानी गाम की तहकीकात कराई। सुजाता की स्मृति में स्तूप बनवाए और स्तंभ खड़ा किए।


                               ( चित्र -1)


सातवीं सदी में ह्वेनसांग सेनानी गाम पधारे। तब गाँव जंगल में तब्दील हो गया था। लिखा कि जंगल के मध्य में एक स्तूप है। स्तूप के दक्षिण में तालाब है। स्तूप के सामने स्तंभ है। फिलहाल सेनानी गाम का नाम बकरौर है। बकरौर में सुजाता का वह स्तूप मिल गया, जिसे ह्वेनसांग ने देखा था। ( चित्र  -1)


वह धम्म पाषाण स्तंभ भी मिल गया, जिसे सम्राट अशोक ने सुजाता की स्मृति में खड़ा करवाए थे। फिलहाल सुजाता - स्तूप के सामने खड़ा वह अशोक - स्तंभ महाबोधि मंदिर में मौजूद है।                           .     ( चित्र - 2 )


बौद्ध धम्म में सुजाता का काफी सम्मान था और आज भी है। ह्वेनसांग ने उन्हें ग्वाल - कन्या बतलाया है। बौद्ध शिल्प - कला में भी सुजाता को जगह मिली। बुद्ध के साथ सुजाता का उत्कीर्णन अजंता की गुफा सं. 11 में है।                               (चित्र -3 )


सम्राट अशोक खोजी प्रवृत्ति के पर्सनैलिटी थे। हर बौद्ध स्थल खोज निकाले थे।


बुद्ध का जन्म - स्थल, महापरिनिर्वाण - स्थल, बोधि - स्थल, धम्म चक्क पवत्तन - स्थल, सुजाता का ग्राम - स्थल ....सभी कुछ उन्होंने खोज डाले थे।


यदि इन बौद्ध - स्थलों पर अशोक ने स्तंभ और स्तूप नहीं बनवाए होते तो सब कुछ मिट्टी में दफन हो गए होते, कोई निशानी नहीं मिलती और कोई ट्रेस नहीं मिलता।