21 वीं सदी में बहुजन क्रांति का आगाज/ 2 अप्रैल भारत बन्द में 13 शहीदों को शत शत नमन

2 अप्रैल भारत बन्द के शहीद विशेष- 


2 अप्रैल भारत बन्द के बाद मेरे मन में ख्याल आया कि इस विषय पर एक पुस्तक तैयार की जाये। उसके बाद मैं अपनी टीम के साथ "2 अप्रैल भारत बन्द" के नाम से डोक्यूमैंटशन तैयार करने में लग गया। जहां भी कोई घटनाक्रम घटित हुआ या जिस भी साथी को चोट लगी या जो साथी इस दौरान गोलियों का शिकार हुए उन सबको लिपिबद्ध करना सुरु कर दिया।


भारत बन्द के दौरान शहीदों के परिवार व जेल में यातनाएं झेल रहे साथियो से मिलना सुरु किया।एक दिन दिल्ली में शहीदों की याद में किये गए कार्यक्रम में आये नौजवानों से जानकारी मांगी तो एक साथी ने कहा कि चोट मुझे भी लगी थी आप ये बात पूछकर क्या करोगे? मैंने जवाब दिया कि मैं पुस्तक के रूप में ऐतिहासिक दस्तावेज तैयार करना चाहता हूँ। ताकि आने वाले समय में समाज "2 अप्रैल भारत बन्द" के बारे जानकारी लेना चाहे तो पता चल जाये ये बहुत बड़ा आंदोलन था। जिसमें बहुजन समाज अपनी जातियों की दीवारें तोड़कर एक हो गया तथा सरकार को घूटने टेकने के लिए मजबूर कर दिया।


मेरी बात सुनकर एक युवक झिड़ककर बोला कौन पूछता है इतिहास को? ये क्या काम आएगा ? जब मुझे चोट लगी तो तुम कहा थे? मेरी उस टाइम किसी ने जात भी नही पूछी। अब क्या फायदा लिखने का ? इतने सारे प्रश्न सुनकर मैं स्तब्द्ध रह गया। मैं सोचने लगा कि 2 अप्रैल को हमने भी प्रोटेस्ट किया था तथा अपनी अहम भूमिका निभाई थी। ये घटना हमारे साथ भी घट सकती थी, हम भी मारे जा सकते थे, लेकिन इस भाई को मेरे ऊपर इतना गुस्सा क्यों आ रहा है। उसने मुझे अपने बारे में कुछ भी जानकारी नहीं दी। मैं अपना समय बचाते हुए 2 अप्रैल में शामिल अन्य लोगों से चर्चा करने में व्यस्त हो गया ताकि मुझे और भी जानकारी मिल सके।


आज "2 अप्रैल भारत बन्द" एक रिपोर्ट के नाम से ये पुस्तक प्रकाशित हो चुकी है और पाठक इस पुस्तक को पढ़कर मुझे इसकी जानकारी भी दे रहे हैं।


कल रात 11 बजे मेरे पास kuk की छात्रा प्रवीनवती का फोन आया। उसने कहा कि भाई मुझे एक लड़का मिला था, जो 2 अप्रैल को घायल हुआ था। उसको मैंने ये पुस्तक भेंट की तो वो बोला कि  मनीकुमार ने मेरे से जानकारी ली और मेरा नाम अपनी डायरी से काट दिया। इसलिए इस पुस्तक में हमारा कोई जिक्र नहीं आया। आगे प्रवीन बोली भाई साब आपने ऐसा क्यों किया ? तब मैंने प्रवीन को वो सारी बातें बताई उस नौजवान ने अपने बारे में कुछ बताने से पहले ही मेरी समीक्षा करनी सुरु कर दी। और जो उसने बोला, वो सारी बातें प्रवीन को बताई। और प्रवीन को कहा कि उस भाई को ये सारी बातें चर्चा करना जो आपको मैंने बताई है।


साथियों हमें कभी भी इतने नखरे में नहीं रहना चाहिये। 2 अप्रैल एक बड़ा आंदोलन था और उसमें हमारे साथ भी कुछ भी हो सकता था। इस पुस्तक का पहला संस्करण खत्म होने वाला है जैसे ही इसका दूसरा संस्करण आएगा उसमें जो घटनाएं और जो साथी जेल गए हैं वो छूट गए हैं उनको शामिल करने की मेरी तैयारी चल रही है। इस बात को मेरे साथी दिमाग से निकाल दें कि इतिहास कोई नहीं पढ़ता, इतिहास पढ़े जाते हैं। हमारे पुरखों ने देश, समाज और अपने अस्तित्व को बचाने के लिए बहुत सी लड़ाइयां लड़ी हैं लेकिन उसका हमारे पास कोई एतिहासिक प्रमाण नहीं है, केवल मौखिक बातें रही जो कुछ दिन बाद भुला दी गयी। "2 अप्रैल भारत बन्द" पुस्तक इस मकसद से लिखी गयी है कि इस आंदोलन पे जब भी कोई चर्चा करे तो हमारे हाथ में इसका सबूत हो। इतनी सारी जानकारी इकट्ठा मिलना बहुत मुश्किल होता है" अगर सारी जानकारी एक जगह मिल जाये, इतना सा मकसद है।


 मेरा निवेदन है तमाम साथियो से कि जो जानकारी इस पुस्तक में आने से छुट गयी है उस बारे में मेरे नंबर पे व्हाट्सअप करें और मुझे अवश्य अवगत कराएं या मेरे पास कोरियर करें ताकि द्वितीय संस्करण में शामिल की जा सके।


मैं आपका आभारी रहूंगा
मिलिंद कुमार बौद्ध
(मनी कुमार)
9812320049