भोपाल-
मध्यप्रदेश में फिलहाल कोरोनावायरस के चलते राज्यसभा चुनाव को टाल दिया गया है। अब कांग्रेस के उम्मीदवार दिग्विजय सिंह और फूल सिंह बरैया की सांसे भी फूलने लग गई हैं। ज्योतिरादित्य सिंधिया के बगावत की कीमत कमलनाथ पहले ही मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देकर चुका चुके हैं। लेकिन अब दिग्विजय सिंह को भी इसकी कीमत चुकानी पड़ सकती है। कांग्रेस में दिग्विजय सिंह के धुर विरोधी गुट ने कांग्रेस के आला कमान को संदेश पहुँचा दिया है कि फूल सिंह बरैया एक बड़े कद के दलित नेता हैं और उनकी राजनीति की मिसाल ग्वालियर-चम्बल संभाग देता आया हैं। ऐसे में क्यों न पार्टी राज्यसभा चुनाव में प्रथम वरियता फूल सिंह बरैया को दे । इससे अनुसूचित जाति और आदिवासी समुदाय को साधने का सियासी फायदा आने वाले उपचुनाव में कांग्रेस को मिल सकता है। कांग्रेस के जिन 22 विधायकों ने इस्तीफा दिया है, उनमें 19 विधायक सिंधिया के दुर्ग ग्वालियर-चंबल संभाग क्षेत्र के हैं। यह पूरा इलाका दलित बहुल माना जाता है। कांग्रेस विधायकों के इस्तीफों से रिक्त हुईं विधानसभा सीटों पर आगे उपचुनाव होने हैं। हालांकि फूल सिंह बरैया का कहना है कि 'मुझे भी सुनने में आया है कि कांग्रेस में ही कुछ लोगों ने कहा है कि मेरे राज्यसभा जाने से मध्यप्रदेश में होने वाले उपचुनावों में दलित-आदिवासी वोटों का फायदा होगा। ऐसे में पार्टी का जो भी निर्णय होगा उसे हम स्वीकार करेंगे, लेकिन मौजूदा राजनीतिक माहौल में हमसे कहीं ज्यादा दिग्विजय सिंह का राज्यसभा जाना जरूरी है।'
वर्तमान में आंकड़ों के लिहाज से कांग्रेस को एक और भाजपा को दो राज्यसभा सीटें मिलने की संभावना है। ऐसे में दिग्विजय के विरोधी गुट ने उन्हें राज्यसभा में जाने से रोकने के लिए कोशिशें तेज कर दी हैं।