मप्र सियासत/ नरेंद्र सिंह तोमर केंद्र से आ सकते हैं मध्यप्रदेश सम्भालने

 


भोपाल-


मध्य प्रदेश में कमलनाथ के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार को सत्ता से बाहर हुए तीन दिन हो गए हैं। कांग्रेस के सभी 22 बागियों ने बीजेपी ज्वॉइन कर ली है. ये वही बागी हैं जिनकी वजह से कमलनाथ को सीएम पद से इस्तीफा देना पड़ा था।


 


नरेंद्र सिंह तोमर प्रदेश सरकार में मंत्री रह चुके हैं और दो बार बीजेपी के प्रदेशाध्यक्ष की कमान भी संभाल चुके हैं। कांग्रेस से बगावत करने वाले विधायकों में ज्यादातर ग्वालियर-चंबल के हैं और होने वाले उपचुनाव में 19 से 20 के आसपास सीटे ग्वालियर चम्बल संभाग की हैं और नरेंद्र सिंह तोमर इसी इलाके से आते हैं। मोदी-शाह के तोमर करीबी भी माने जाते हैं, ऐसे में तोमर के नाम को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है। कमलनाथ को सत्ता से बाहर करने का सियासी गणित बैठाने का काम केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर का ही रहा है और उन्हीं के घर पर लगातार बैठकें हुईं। संभव है कि मोदी सरकार में लंबे समय से केंद्रीय मंत्री की बागडोर संभाल रहे नरेंद्र सिंह तोमर को भी मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री बनने का मौका दिया जाए। जो भी हो बीजेपी सरकार के सामने 25 सीटों पर उपचुनाव लड़ने की चुनौती होगी। मौजूदा समय में शिवराज समर्थक विधायकों का संख्याबल अधिक है, लेकिन उनकी राह में रोड़ा अटकाने वाले कई नेताओं की लाइन लम्बी हैं । जिनमें कैलाश विजयवर्गीय और नरोत्तम मिश्रा से शिवराज की पटरी बैठने जैसा कुछ भी नहीं हैं और इनके आपसी रिश्ते जगजाहिर हैं। हालांकि बीजेपी के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष राकेश सिंह और प्रभात झा भी दम भर रहे हैं। बीजेपी ने न तो सरकार बनाने का राज्यपाल के पास प्रस्ताव पेश किया है और न ही अभी तक विधायक दल की बैठक कर किसी को नेता चुना है। गौरतलब हैं कि शिवराज सिंह चौहान, कमलनाथ सरकार को सत्ता से बाहर करने के बाद से सुकून महसूस कर रहे हैं। लेकिन विधायक दल के नेता के चुनाव में हो रही देरी से उनकी बेचैनी बढ़ रही है।