नई दिल्ली-
मध्य प्रदेश में चल रहे सियासी संकट के बीच सुप्रीम कोर्ट का एक बड़ा फैसला मध्यप्रदेश सरकार के लिए आया है। अब सूबे की कमलनाथ सरकार को कल फ्लोर टेस्ट से गुजरना होगा। कोर्ट ने फ्लोर टेस्ट की पूरी प्रक्रिया कल शाम 5 बजे तक पूरी करने को भी कहा है। कोर्ट ने कहा कि बहुमत का फैसला विधायकों के हाथ उठवाकर कराया जाए। फ्लोर टेस्ट की वीडियो रिकॉर्डिंग भी की जाए। अगर बागी विधायक विधानसभा आना चाहें, तो कर्नाटक और मध्य प्रदेश के डीजीपी उन्हें सुरक्षा दें।जस्टिस डीवाय चंद्रचूड़ और जस्टिस हेमंत गुप्ता की बेंच में कांग्रेस के वकील दुष्यंत दवे, भाजपा के वकील मुकुल रोहतगी, राज्यपाल के वकील तुषार मेहता, स्पीकर के वकील अभिषेक मनु सिंघवी और बागी विधायकों के वकील मनिंदर सिंह ने पैरवी की हैं। जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा कि हम विधायकों की खरीद-फरोख्त को रोकने के लिए जल्द से जल्द फ्लोर टेस्ट कराना चाहते हैं। इस पर उन्होंने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए स्पीकर की विधायकों से बात करने का सुझाव भी दिया। इसमें सुप्रीम कोर्ट द्वारा पर्यवेक्षक बैठाने की भी बात कही। बुधवार को सुप्रीम कोर्ट में इस मामले पर लंबी बहस चली, लेकिन कोई फैसला नहीं हो पाया। फ्लोर टेस्ट की मांग को लेकर सुनवाई के दौरान मध्य प्रदेश विधानसभा के स्पीकर ने सुप्रीम कोर्ट से कहा कि राज्यपाल के पास केवल तीन शक्तियां हैं- सदन को बुलाना, अवसान करना और उसे भंग करना। इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने स्पीकर से बागी विधायकों को लेकर सवाल किया था।फ्लोर टेस्ट की मांग को लेकर सुनवाई के दौरान मध्य प्रदेश विधानसभा के स्पीकर ने सुप्रीम कोर्ट से कहा कि राज्यपाल के पास केवल तीन शक्तियां हैं- सदन को बुलाना, अवसान करना और उसे भंग करना। इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने स्पीकर से बागी विधायकों को लेकर सवाल किया था।