नई दिल्ली-
मध्य प्रदेश में सियासी पेंच अभी भी फंसा हुआ है । मुख्यमंत्री कमलनाथ ने असंतुष्ट विधायकों को साधने के लिए नया विकल्प खोल दिया है। इसी बीच ज्योतिरादित्य सिंधिया ने ट्विटर पर अपना इस्तीफा पोस्ट किया।
ज्ञात हो कि सिंधिया का नाम पहले कांग्रेस के पीसीसी चीफ के लिए आया । बाद में राज्यसभा के लिए कयास लगने लगे , इसके बाद में चार इमली में बी-17 बंग्ला उन्होंने मांगा लेकिन वह भी नकुलनाथ को आवंटित कर दिया गया। इसी बीच ट्विटर पर उन्होंने अपना प्रोफाइल से कांग्रेस हटाकर प्रोफाइल में जनसेवक व क्रिकेट प्रेमी लिख दिया। अगस्त 2019 में सिंधिया का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हुआ शायरी के रूप में है-
आंधियों की जिद है,
जहां बिजली गिराने की।
हमारी भी जिद है आशियां बनाने की ।
उसूलों पर आंच आए तो टकराना भी जरूरी है अगर जिंदा हो तो जिंदा नजर आना जरूरी है। इसी बीच 14 फरवरी 2020 को टीकमगढ़ में अतिथि विद्वानों के मामले में उन्होंने कहा था यदि वचन पत्र की मांगे पूरी नहीं हुई तो सड़क पर उतरेंगे और कमलनाथ ने ग्वालियर में इसका जवाब दिया था जिसे सड़क पर उतरना है उतर जाए।
एक्सपर्ट व्यू-
सदन में हो सकता है बहुमत का फैसला सुभाष कश्यप-
संविधान विशेषज्ञ ने कहा कि किस पार्टी के पास बहुमत है इसका फैसला विधानसभा के सदस्य में ही हो सकता है विश्वास या अविश्वास प्रस्ताव, मनी बिल, पॉलिसी मैटर पर सदन सरकार में हार जाते तो उसे इस्तीफा देना होगा। पार्टी व्हिप का उल्लंघन करके वोट करने या स्वेच्छा से पार्टी छोड़ने वाले सदस्य की शिकायत होने पर स्पीकर उसकी सदस्यता समाप्त कर सकता हैं। ऐसे में अयोग्य घोषित होने से पहले जो वोट करेगा वह मान्य होगा दो तिहाई सदस्यों के साथ पार्टी छोड़ने पर दलबदल अधिनियम लागू नहीं होगा और उसके विधायकी बरकरार रहेगी ।
अशोकनगर में कांग्रेस से सामूहिक इस्तीफो का दौर जारी ।