मध्यप्रदेश सियासी संकट/ वर्चस्व की लड़ाई में कामयाब होते दिखते सिंधिया

नई दिल्ली-


कहते हैं कि जब तक बच्चा रोता नहीं है, तब तक मां दूध नहीं पिलाती। जी हां कुछ ऐसा ही हाल पिछले कुछ दिनों से मध्यप्रदेश कांग्रेस में भी बना हुआ हैं। अपने वर्चस्व की लड़ाई लड़ रहे ज्योतिरादित्य सिंधिया ने अल्पमत से बनी कमलनाथ सरकार को अपने सियासी दांवपेच फेंक कर घुटनों के बल चलने पर मजबूर कर दिया। साथ ही सूबे की राजनीति में अपने होने का एहसास नेतृत्व तक पहुंचा दिया।सूत्रों के हवाले बड़ी खबर है कि 10 जनपथ में मध्यप्रदेश के नए प्रदेश अध्यक्ष के लिए ज्योतिरादित्य सिंधिया के नाम को हरी झंडी दे दी गई है | दरअसल थोड़ी देर पहले मुख्यमंत्री कमलनाथ सोनिया गांधी से मिलने दिल्ली 10 जनपथ पहंचे थे । जहां उन्होंने प्रदेश के ताजा राजनीतिक घटनाक्रम की जानकारी सोनिया गांधी को दी और ज्योतिरादित्य सिंधिया गुट की तरफ से प्रदेश कांग्रेस में चल रहे सियासी संग्राम से भी उन्हें अवगत कराया । माना जा रहा है कि कांग्रेस की कार्यकारी अध्यक्ष ने कमलनाथ को सलाह दी है कि वर्तमान राजनीतिक घटनाक्रम को देखते हुए सिंधिया के हाथ में संगठन की कमान देना ही एकमात्र हल है । बीजेपी जिस तेजी के साथ में मध्य प्रदेश की कमलनाथ सरकार को डैमेज करने की कोशिश कर रही है उससे निपटने का फिलहाल यही विकल्प है कि ज्योतिरादित्य सिंधिया संगठन की कमान संभाले और कमलनाथ व दिग्विजय सिंह के साथ मिलकर डैमेज कंट्रोल में जुट जाएं । इसलिये इस बात की भी व्यापक संभावना बन रही है कि ज्योतिरादित्य सिंधिया को राज्यसभा के माध्यम से संसद में भेजा जाएगा । अगर ऐसा होता है तो कांग्रेस को पूरी उम्मीद है कि मध्य प्रदेश का ताजा राजनीतिक संकट पूरी तरह से दूर हो जाएगा और बीजेपी अपने मंसूबों में फेल हो जाएगी।