मध्यप्रदेश का सियासी गणित / ऑपरेशन लोटस की खास बात

सागर -


होली के दिन मध्यप्रदेश की राजनीति में न जाने कितने रंग देखने को मिले। पार्टी से नाराज चल रहे कांग्रेस नेता ज्योतिरादित्य सिंधिया ने इस्तीफा दे दिया। सिंधिया के पार्टी से इस्तीफा देने के बाद मध्यप्रदेश के छह राज्य मंत्रियों सहित 19 कांग्रेस विधायकों ने भी विधानसभा से इस्तीफा दे दिया। वहीं, तीन ने बाद में इस्तीफा दिया। सिंधिया के इस कदम ने कमलनाथ सरकार को संकट में डाल दिया है। वहीं प्रदेश के मुख्यमंत्री कमलनाथ ने कहा कि चिंता की कोई बात नहीं है, हम अपना बहुमत साबित करेंगे। वहीं स्थिति और खराब न हो जाए, इसके लिए कांग्रेस ने अपने बाकी विधायकों को बुधवार सुबह जयपुर भेजने का फैसला किया है। वहीं भारतीय जनता पार्टी भी अपने विधायकों को गुरुग्राम ले गई है। ज्योतिरादित्य सिंधिया के कांग्रेस छोडऩे और उनके गुट के विधायकों के विधानसभा सदस्यता से इस्तीफे के बाद कमलनाथ सरकार अल्पमत में आ गई है। ऐसे में अब मध्यप्रदेश की सियासत में 5 समीकरण बन रहे हैं। जो आगे की राजनीति की दिशा तय करेंगे।



भोपाल पहुंचे बाबरिया-हरीश रावत और वासनिक
मध्य प्रदेश कांग्रेस के प्रभारी दीपक बाबरिया, मुकुल वासनिक और हरीश रावत भी देर रात भोपाल पहुंचे। तीनों नेताओं ने मप्र के नेताओं से बात की और डैमेज कंट्रोल पर चर्चा की। कहा जा रहा है कि दोनों नेता सोनिया गांधी का संदेश लेकर आए हैं। इनके आने के बाद पूरे हालात पर आलाकमान की सख्त निगाह है।
सज्जन सिंह वर्मा पहुंचे बेंगलुरु-
सिंधिया खेमे के विधायकों के इस्तीफों के बाद प्रदेश की कांग्रेस सरकार को संकट से उबारने के लिए मुख्यमंत्री कमलनाथ के विश्वासपात्र मंत्री सज्जन सिंह वर्मा बागी विधायकों से संपर्क करने के लिए मंगलवार रात को बेंगलुरु पहुंच गए। बेंगलुरु में सिंधिया खेमे के विधायक कर्नाटक के मुख्यमंत्री येदियुरप्पा के बेटे की देख-रेख में ठहरे हैं। जहां वर्मा इन विधायकों से मुलाकात करने की कोशिश करेंगे।


अब तक - 


मध्य प्रदेश में जारी सियासी घटनाक्रम में ज्योतिरादित्य सिंधिया ने मंगलवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह से मुलाकात के बाद कांग्रेस की प्राथमिक सदस्यता से इस्तीफा दे दिया। इसके बाद सिंधिया खेमे के 22 कांग्रेस विधायकों ने इस्तीफे दे दिए, जिससे प्रदेश में कमलनाथ के नेतृत्व वाली 15 महीने पुरानी कांग्रेस सरकार गिरने के कगार पर पहुंच गई है। राज्य के कई मंत्रियों सहित 19 विधायकों ने ईमेल के जरिए राजभवन को इस्तीफे भेजे। बाद में कांग्रेस के तीन अन्य विधायकों ने इस्तीफे दिए। हालांकि सिंधिया के इस्तीफे के बाद कांग्रेस ने कहा कि पार्टी विरोधी गतिविधियों के कारण सिंधिया को निष्कासित किया गया है।



सीटों का गणित- 
मध्य प्रदेश विधानसभा में 230 सीटें हैं,। जिनमें से 2 सीटें खाली हैं। कांग्रेस के 114, बीजेपी के 107, निर्दलीय 4, बसपा के 2 और सपा के 1 विधायक हैं। अगर 22 विधायकों के इस्तीफे स्वीकार कर लिए गए। तो विधानसभा में सदस्यों की प्रभावी संख्या 206 और बहुमत के लिए जादुई आंकड़ा सिर्फ 104 का रह जाएगा। ऐसे में, कांग्रेस के पास 92 और भाजपा के 107 विधायक होंगे। निर्दलीयों, बसपा और सपा के विधायकों के समर्थन के बावजूद कांग्रेस बहुमत के आंकड़े से दूर रह जाएगी।



भाजपा ने सभी विधायकों घर नहीं जाने दिया, सीधे एयरपोर्ट भेजा-
मध्य प्रदेश में दिनभर चले सियासी घटनाक्रम के बाद मंगलवार शाम को भाजपा ने सत्ता के लिए मोर्चाबंदी शुरू कर दी। भोपाल में विधायक दल की बैठक के बाद सभी विधायकों को दिल्ली रवाना कर दिया गया। विधायकों को पार्टी दफ्तर से सीधे एयरपोर्ट भेजा गया और उन्हें सामान लेने के लिए घर जाने की इजाजत भी नहीं दी गई। पार्टी कार्यालय में एक-एक विधायक की स्कूल के बच्चों की तरह गिनती की गई। उनके आई कार्ड चेक किए गए। कुछ के पीछे दूसरे नेताओं को लगाया गया।


8-8 के ग्रुप में बंटे भाजपा विधायक-


नजर रखने के लिए भाजपा ने 105 विधायकों को 8-8 के ग्रुप में बांट दिया। हर ग्रुप पर नजर रखने के लिए एक ग्रुप लीडर बनाया गया है। दिल्ली पहुंचने पर विधायकों को अलग-अलग बसों से दिल्ली, मनेसर या गुरुग्राम में रखा जाएगा। सूत्रों के मुताबिक, फ्लोर टेस्ट होने की स्थिति में ही विधायक वापस लौटेंगे। अगर ऐसा नहीं होता है तो विधायकों को 26 मार्च को ही भोपाल लाया जाएगा, जब राज्यसभा चुनाव होने हैं।