नई दिल्ली-
मध्यप्रदेश का सियासी संकट जारी हैं। सबसे महत्वपूर्ण बात यह हैं कि आज यानी 10 मार्च को उनके पिता माधवराव सिंधिया की 75वीं की जयंती है। यदि इतिहास दोहराया जाता हैं तो हमें यह भी याद रखना चाहिए कि 1993 में जब मध्यप्रदेश में दिग्विजय सिंह की सरकार थी तब माधवराव सिंधिया ने पार्टी में उपेक्षित होकर कांग्रेस को अलविदा कह दिया था और अपनी अलग पार्टी मध्य प्रदेश विकास कांग्रेस बनाई थी। हालांकि बाद में वे कांग्रेस में वापस लौट गए थे। वहीं 1967 में जब मध्यप्रदेश में डीपी मिश्रा की सरकार थी तब कांग्रेस से उपेक्षित होकर राजमाता विजयराजे सिंधिया कांग्रेस छोड़कर जनसंघ से जुड़ गई थीं और जनसंघ के टिकट पर गुना लोकसभा सीट से चुनाव भी जीती थीं। मौजूदा सियासी हलचल के बीच अब यह सवाल उठने लगे हैं कि क्या ज्योतिरादित्य सिंधिया भी अपने पिता और दादी की तरह कुछ नया ऐलान करेंगे?
अभी तक सूत्रों के हवाले से खबर हैं कि जो बातें सामने आ रहीं हैं उसके अनुसार आज ही ज्योतिरादित्य सिंधिया भारतीय जनता पार्टी ज्वॉइन कर सकते हैं। अभी ज्योतिरादित्य अपने दिल्ली निवास से बाहर खुद ड्राइव करते हुए निकले हैं। वो कहां किससे मिलने जा रहे हैं इसकी जानकारी किसी के पास नही है। ज्ञात हो कि 2018 के विधानसभा चुनाव में मुख्यमंत्री पद के प्रबल दावेदार होने के बावजूद मुख्यमंत्री बनने से चूक जाने के बाद से ज्योतिरादित्य सिंधिया बाद में प्रदेश अध्यक्ष बनना चाहते थे, लेकिन दिग्विजय सिंह के रोड़े अटकाने के कारण नहीं बन पाए। फिर उन्हें लगा कि पार्टी आगे राज्यसभा भेजेगी, मगर इस राह में भी दिग्विजय सिंह ने मुश्किलें खड़ीं कर दीं। पार्टी में लगातार उपेक्षा होते देख सिंधिया ने बीजेपी के कुछ नेताओं से भी संपर्क बढ़ाना शुरू कर दिया। इसी सिलसिले में बीते 21 जनवरी को शिवराज सिंह चौहान और सिंधिया की करीब एक घंटे तक मुलाकात चली थी। उसी दौरान सिंधिया के बीजेपी से नजदीकियां बढ़ने की चर्चा चली थी।
ऐसे में देखने वाली बात यह है कि कहीं सिंधिया भी भाजपा के लिए अजित पवार ना साबित हो जाए।