कोरोना/ कोरोना से बचाव के लिए आदिवासियों ने किया प्राकृतिक संसाधनों का उपयोग

बस्तर- 


आदिवासी समुदाय सदैव से ही प्रकृति पूजक रहा है। ऐसे में
छत्तीसगढ़ के आदिवासी बहुल कांकेर जिले में आदिवासियों ने कोरोना वायरस की दहशत के बीच अपनी सुरक्षा के लिए साल के पत्तों से देसी मास्क बनाया है। आमाबेड़ा इलाके के भर्रीटोला गांव के आदिवासियों ने प्राकृतिक उपायों से खुद को कोरोना वायरस से बचाने के लिए यह तरीका अपनाया है।


सूबे के कांकेर जिले में आदिवासियों ने कोरोना वायरस की दहशत के बीच अपनी सुरक्षा के लिए साल के पत्तों से देशी मास्क बनाया है। आमाबेड़ा इलाके के भर्रीटोला गांव के आदिवासियों ने प्राकृतिक उपायों से खुद को कोरोना वायरस से बचाने के लिए यह तरीका अपनाया है। आदिवासी परिवारों ने साल पेड़ के पत्तों से एक मास्क बनाया है और कोरोना वायरस से बचने के लिए घरों से बाहर नहीं निकल रहे हैं।
आदिवासियों का कहना है कि आमाबेड़ा इलाके में कोरोना वायरस से बचने के लिए मास्क नहीं मिल रहा है और यहां से कांकेर शहर आने जाने की सुविधा नहीं है। इसलिए बस्तर के आदिवासी अंदरूनी इलाकों में देशी मास्क से खुद को सुरक्षा का भरोसा दे रहे हैं।



ये चित्र हैं छतीसगढ के कांकेर के पास के गांव का। इनके पास मास्क नही तो साल के पत्तों से मास्क बनायें और बाँध लिये हैं । दूर-दूर तक स्वास्थ्य सेवायें भी नही हैं । जो मेहनत कर दो जून की रोटी जुटा पाता हैं वो कैसे सामना कर पायेगा इस भारी संकट का? काम नही, घर में रहे तो भूख से  मर जायेंगे ।