कोरोना हेल्प/ कोरोना से बचाव के लिए मास्क बनाने में लगे बौद्ध भिक्षु

कोरोना हेल्प- 


अभी कुछ साल ही हुए जब थाईलैंड की खाड़ी के दक्षिण में बहनेवाली चाओ फ्राया नदी प्लास्टिक अवशिष्टों से बुरी तरह प्रदूषित हो रही थी ।नदी को प्रदूषण से बचाने और प्लास्टिक कचरे के निपटान के लिए बैंकॉक के दक्षिण में स्थित वाट चाक डाएंग बौध्द विहार ने अनोखी तरकीब ढूंढ निकाली । नदी को प्रदूषण से मुक्त कर लोकोपकारी हित के लिए अनुकूल बनाना और उसे पुनः प्रदुषित न होने देने के लिए वैकल्पिक उपाय करना उनका दूरगामी लक्ष्य था ।फिर क्या हुआ कि वहां भिक्षु इस प्लास्टिक को रिसाइकल कर इसी प्लास्टिक से भिक्षुओं के लिए चीवर बनाने लगे ।


इन भिक्षुओं की प्रेरणा महान शास्ता तथागत का संदेश और थाईलैंड से 500 किमी दूर सिसाकेट प्रान्त का मिलियन बॉटल टेम्पल था जो वाट पा महा चेदि काएव के रूप में जाना जाता है तथा लाखों बेकार पड़ी बोतलों से तैयार किया गया है ।यह बौध्द विहार भी दुनिया मे रिसाइक्लिंग का बेहतरीन और अनुठा उदाहरण है ।



अब वाट चाएंग विहार के भिक्षु नई मुहिम पर है-अपने देशवासियों को कोरोना के संक्रमण से बचाने मेडिकेटेड मास्क बनाने में ।देश पर संकट है तो,अपने देशवासियों को इस महामारी से बचाने के लिए योगदान देने में ।उनके पास कोई समपत्ति तो है नहीं ,अतः दान में मिले अथवा रिसाइक्लिंग से तैयार किये गए चीवर से ,कोरोना से बचाव के लिए मास्क तैयार करने में,वे जुट गए है और दिनरात इस काम मे सैकड़ों भिक्षु लगे हैं ।


Chak dayeng temple सारी दुनिया मे पर्यावरण सचेतनता हेतु छेड़ी गई अपनी विशिष्ट मुहिम के लिए प्रख्यात है जहां प्रतिमाह 15 टन बेकार की प्लास्टिक बोतलों को जमा कर रिसाइकिल किया जाता है ।इनसे चीवर बनाये जाते हैं ।


पिछले माह से विहाराधिपति भिक्खु प्राणोम धम्मालंकारों द्वारा लोगों को कोरोना से बचाने के लिए चीवर के काषाय कपड़ों से फेस मास्क बनाने की मुहिम आरम्भ की गई है ।


तथागत ने अपने जीवन पर्यंत अपने भिक्खुओं से कहा है भिक्खुओं, समस्त संसार पर करुणा की अनुकम्पा करने और बहुजनों के हित-सुख के लिए चारिका करो और यह लोकसेवा भी निर्वाण की ओर ही अभिमुख करती है ।अपने महान शास्ता के आदेश का अनुसरण करने हेतु भिक्षुओं ने अब कमर कस ली है ।अपना सब कुछ त्याग चुके इन भिक्षुओं के लिए संसार पर अनुकंपा कर उनके सुख के लिए ही जीने का परम लक्ष्य है।


थाईलैंड के मेकांग क्षेत्र में ही देश के सर्वाधिक कोरोना पीड़ित पाए गए है ऐसे में अपने घर से बेघर हुए और सांसारिक लगावों का परित्याग कर चुके इन बौध्द भिक्षुओं का परिश्रम दुनिया के लिए जनसेवा की नई मिसाल कायम कर रहा है ।


लेखक-अजय सूर्यवंशीबालाघाट