खजुराहो/ जलाशय को लेकर जल की बात विषय पर दो दिवसीय कार्यशाला का आयोजन

खजुराहो -
पर्यटन नगरी खजुराहो में ' जल की बात जलाशय ' के तहत खजुराहो स्थित प्रेम सागर तालाब के घाट पर दो दिवसीय मंथन एवं चिंतन कार्यक्रम में देश के जाने माने जल योद्धा  उमा शंकर पांडे सहित देश के जानेे-माने जल योद्धा कर रहे हैं। 



पहली बार उत्तर प्रदेश के बुंदेलखंड के बांदा से सटे एक छोटे से गांव जखनी का नाम जल संरक्षण के लिए चर्चा में आया। नीति आयोग की रिपोर्ट में सामूहिक रूप से जल संरक्षण के कार्य को आज पूरे भारत में एक मॉडल के रूप में देखा जा रहा है। नीति आयोग द्वारा जखनी के इस पहल को अपनी जल संरक्षण रिपोर्ट वाटर मैनेजमेंट 2019 की रिपोर्ट में शामिल ही नहीं किया, बल्कि देश के लिए सफल उदाहरण और श्रेष्ठ मॉडल कहा है जो इस बात का प्रमाण है कि अगर समाज चाहे तो गांव को किस तरह से थोड़ी सी समझ के साथ हर तरह से समृद्ध बना सकता है। काम और कला के तीर्थ खजुराहो में प्रेम सागर तालाब के तट पर आयोजित जल की बात जलाशय पर भूजल संकल्प की जानकारी देते हुए सुधीर शर्मा ने कहा कि - बांदा जनपद के अधिकांश गांव में पानी के लिए हाहाकार मची रहती है । उसी जिले के जखनी गांव के किसानों,  नौजवानों ने  जल योद्धा उमा शंकर पांडे के नेतृत्व में सरकार की तरफ नहीं देखा , फावड़ा उठाया श्रम किया , समय दिया अपने खेत में परंपरागत तरीकों से मेढ बंदी की, गांव में सब ने मिलकर जल रोका गांव के पानी को जगाया गांव को पानीदार बनाया। 


जल संरक्षण के इस सामूहिक प्रयास में ना तो सरकार से कोई अनुदान लिया और न ही मशीन, वैज्ञानिक, तकनीकी का इस्तेमाल किया अपने गांव को देश का पहला जल ग्राम बनाया साथ ही देश के 1050 ग्रामों को जन्म देने की प्रेरणा दी। 
हम छतरपुर जिले के कुछ गांव को क्यों न जखनी जैसा बना ले ??? वर्षां बूंदो को खेत में मेढ-बंदी से पकड़ने को लेकर तालाब के माध्यम से सहेजना अगर किसी को सीखना है तो जखनी के इन किसानों से सीखे, जिन्होंने समग्रता के साथ प्रकृति के मानकों को गांव की धरती पर सजा के रख दिया। 
 पानी, किसानी, पलायन को गांव के परंपरागत तरीकों से भगाने से पकड़ा, जिस बुंदेलखंड की चर्चाएं भुखमरी, अशिक्षा, गरीबी, जल संकट जैसे विभिन्न विषयों पर पूरे देश में होती हो और सरकार के हजारों करोड़ों रुपए खर्च करने के बाद समाधान न निकले वहीं पर जखनी गांव के किसानों ने पानी और पलायन पर जो कार्य बगैर सरकार की सहायता के परंपरागत संसाधनों से देश दुनिया के सामने रखा है ,जिसे नीति आयोग, जलशक्ति मंत्रालय के सामने सराहनीय उदाहरण प्रस्तुत किया है।


ऐसे में सोचना होगा पैसे से नहीं समाज की सहभागिता से एवं परंपरागत तरीकों से ही जल संरक्षण संभव है, ऋषि कुल आश्रम के सचिव डॉक्टर शिवपूजन अवस्थी ने कहा कि जखनी जैसे उदाहरणों को हमें आगे करना होगा बुंदेलखंड के हजारों गांवों को जखनी जल ग्राम बनाना पड़ेगा, इसी उद्देश्य परंपरागत जल संरक्षण की दिशा में हम सब बैठ रहे हैं ।
 देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी ने 8 जून 2019 को देश के सभी गांव के ग्राम पंचायत,  प्रधान व सरपंचों को लिखे अपने पत्र में कहा कि अधिक से अधिक खेतों में मेड़बंदी कर जल संरक्षण करें, मेड़बंदी यज्ञ के परिणाम स्वरुप जिसे सूखा बुंदेलखंड कहते हैं गत वर्ष जखनी गांव के किसानों ने 21000 क्विंटल बासमती धान तथा 15000 क्विंटल गेहूं पैद किया ,गांव के कुओं का जलस्तर मई और जून माह में 15 से 20 फिट  पर रहता है ,ग्राम जखनी संस्थापक के संयोजक जल योद्धा उमाशंकर पाण्डेय का एक ही मंत्र है,खेत के उपर मेढ,  मेड के उपर पेड,जल की बात जलाशय मे, खेती की बात खेत पर,मेड से पानी खेत पर, घर का पानी घर मे ,गांव का पानी तलाब मे। 
उनकी इस परांपरागत जल संरक्षण विधि को देखने समझने के लिये देश विदेश के जल सेवक आ रहे है यहाॅ तक की जलशक्ति सचिव भारत सरकार यू0पी0 सिंह इस परंपरागत समूहिक जल संरक्षण को देखने जखनी गांव आये और देश के लिये एक माडल माना। जिला प्रशासन बांदा ने सम्पूर्ण जिले मे इस माडल पर काम शुरू कर दिया है। 
तेलांगना, महराष्ट्र, विहार, मध्यप्रदेश, छत्तीसगठ के किसान लगातार संम्पर्क कर रहे है। जखनी गांव के किसान समृद्ध शाली हुए, तालाब जिंदा हुए कुओ खेतों तालाबों ने पानी पिया प्यासे नहीं है ,जखनी गांव के किसी भी किसान ने आर्थिक अभाव के कारण आत्महत्या नहीं की, सिंचाई खर्च कम हुआ पलायन रूका, तालाबों ने रोजगार दिया पशु, पक्षी, जीव जंतु, पेड़ पौधों को बढ़ने का अवसर मिला मेड़बंदी से मिट्टी उपजाऊ हुई ,भूजल बड़ा, मिट्टी में पलने वाले जीव जंतुओं को भोजन मिला, खेती जैविक हुए, अहिंसात्मक कृषि बढी मिट्टी का स्वास्थ्य ठीक हुआ, मिट्टी की गुणवत्ता में सुधार हुआ जलवायु परिवर्तन रोकने में गांव का सामूहिक प्रयास सार्थक रहा। जखनी गांव में स्वरोजगार दुग्ध सहकारी समिति गठित है । कृषि विश्वविद्यालय बांदा तथा रिजर्व बैंक ने स्वरोजगार के लिए  जखनी गांव को गोद ले रखा है । जखनी गांव की तर्ज पर भारत सरकार के जल मंत्रालय ने 2016 मे जल क्रांति अभियान के अंतर्गत प्रत्येक जिले में 2 ग्राम को जल ग्राम के रूप में चिन्हित किया है  जखनी गांव ही वह गांव है जिसने 2005 मे देश में महात्मा गांधी रोजगार योजना में मजदूरों की मजदूरी का भुगतान सीधे मजदूर के खाते में बैंक से शुरू किया था, जिससे कि सहज थी जागरूकता का अंदाजा लगाया जा सकता है। 
जल ग्राम समिति जखनी ने अब तक ना तो कोई सरकारी गैर सरकारी अनुदान लिया ना ही कोई पुरूषकार ,ऐसा ही प्रयोग अन्य जगह हो इसी विषय पर समुदायिक जल संरक्षण को लेकर 14 मार्च को खजुराहो के प्रेम सागर तालाब के तट पर जल की बात जलाशय पर एक कार्यक्रम रखा गया है ।
 जल संकल्प जिसमें गंगा एक्शन प्रोग्राम के प्रथम निदेशक बंगाल सरकार के पूर्व प्रमुख सचिव मा, प्रमोद अग्रवाल वरिष्ठ पत्रकार टिललन रिछारिया ,लोकेश शर्मा पर्यावरणविद ,संजीव बघेल चित्रकूट को आमंत्रित किया गया है ।
खजुराहो के प्रेम सागर तालाब के तट पर ' जल की बात जलाशय ' मैं इस अनूठे जल संकल्प अनुष्ठान में बेचैन नदियां ,डूबते तालाब विषय पर चर्चा होगी ।