इतिहास लिखने की होड़-
जयचंद्र विद्यालंकार ने 1938 में इतिहास - प्रवेश नाम से भारत का इतिहास लिखा था।
आज इतिहासकारों में " मौर्य प्रशासन " - " मौर्य प्रशासन " लिखने की होड़ लगी है, जबकि अशोक के शिलालेखों में प्रशासन जैसा कोई शब्द नहीं है।
अशोक के शिलालेखों में " अनुसासन " शब्द है। प्रशासन का इस्तेमाल गुप्त राजाओं के शिलालेखों में है।
जयचंद्र विद्यालंकार ने मौर्य प्रशासन लिखने पर आपत्ति की है और अपने इतिहास- ग्रंथ में " मौर्य प्रशासन " की जगह " मौर्य अनुशासन " का इस्तेमाल किया है।
प्रशासन में प्रकृष्टता का भाव है, जबकि अशोक के अनुसासन में धम्म की करुणा और प्रेम की मिठास है।
प्रशासन में प्रकृष्टता के भाव के कारण आधुनिक काल में पुलिस, फौज, कर्फ्यू, मार्शल लाॅ, लाठी चार्ज, अश्रु गैस, इनकाउंटर जैसे जन दमनकारी औजार विकसित हुए।
जबकि सम्राट अशोक ने जिन औजारों से अपनी जनता से नजदीकियाँ बनाई, वह जन दमनकारी नहीं बल्कि धम्म अनुसासन था, प्रशासन कतई नहीं।
अशोक के राजपद का आदर्श था कि हर समय और हर स्थान पर जनता की आवाज सुनने के लिए मुझे बुलाया जा सकता है, मैं सो रहा होऊँ तब भी।
शायद इसीलिए एच. जी. वेल्स ने लिखा कि इतिहास के पृष्ठों को रंगने वाले हजारों राजाओं के नामों के बीच अशोक का नाम सर्वोपरि नक्षत्र के समान दैदीप्यमान है।