विपश्यना साधना -
विपश्यना भारत की एक अत्यंत पुरातन तथा प्राचीन साधनाओं में से एक ध्यान प्रणाली विधि है। जिसका अर्थ जो जैसा है,उसे ठीक वैसा ही देखना-समझना है। लगभग 2500 वर्ष पूर्व भारत में यह पद्धति एक सार्वजनीन रोग के सार्वजनीन इलाज, अर्थात् जीवन जीने की कला, के रूप में सिखाया गया। जिन्हें विपश्यना साधना की जानकारी नहीं है, वे एक बार विपस्सना शिविर जरूर करे ।
शिविर-
विपश्यना दस-दिवसीय आवासी शिविरों में सिखायी जाती है। शिविरार्थी दस दिनों में साधना की रूपरेखा समझते है एवं इस हद तक अभ्यास कर सकते है कि साधना के अच्छे परिणामों का अनुभव कर सकें। शिविर पूर्णतः नि-शुल्क है , यह रहने एवं खाने का भी कोई शुल्क नही लिया जाता है । शिविरों का पूरा खर्च उन साधकों के दान से चलता है जो शिविर से लाभान्वित होकर दान देकर बाद में आने वाले साधकों को लाभान्वित करना चाहते हैं। साधना विधि का सही लाभ मिलें इसलिए आवश्यक है कि साधना का प्रसार शुद्ध रूप में हो। यह विधि व्यापारीकरण से सर्वथा दूर है एवं प्रशिक्षण देने वाले आचार्यों को इससे कोई भी आर्थिक अथवा भौतिक लाभ नहीं मिलता है। शिविरों का संचालन स्वैच्छिक दान से होता है।
शिविर में गंभीरता से काम करना होता है। प्रशिक्षण के तीन सोपान होते हैं-
पहला सोपान—साधक पांचशील पालन करने का व्रत लेते हैं
अर्थात् जीव-हिंसा, चोरी, झूठ बोलना, अब्रह्मचर्य तथा नशे-पते के सेवन से विरत रहना। इन शीलों का पालन करने से मन इतना शांत हो जाता है कि आगे का काम करना सरल हो जाता है।
अगला सोपान— नासिका से आते-जाते हुए अपने नैसर्गिक सांस पर ध्यान केंद्रित कर आनापान नाम की साधना का अभ्यास करना। चौथे दिन तक मन कुछ शांत होता है, एकाग्र होता है एवं विपश्यना के अभ्यास के लायक होता है—अपनी काया के भीतर संवेदनाओं के प्रति सजग रहना, उनके सही स्वभाव को समझना एवं उनके प्रति समता रखना। शिविरार्थी दसवे दिन मंगल-मैत्री का अभ्यास सीखते हैं एवं शिविर-काल में अर्जित पुण्य का भागीदार सभी प्राणियों को बनाया जाता है।
यह साधना मन का व्यायाम है। जैसे शारीरिक व्यायाम से शरीर को स्वस्थ बनाया जाता है वैसे ही विपश्यना से मन को स्वस्थ बनाया जा सकता है।
स्थान-
शिविरों का संचालन कई विपश्यना केंद्रों पर तथा अस्थायी जगहों पर किया जाता है। हर जगह का अपना शिविर कार्यक्रम होता है। बहुंत से स्थानों पर शिविरों के लिए आवेदन शिविर स्थल पर या सम्बंधित कार्यालयों या वेबसाइट पर ऑनलाइन उपलब्ध होते है इनमें उचित दिनांक पर क्लिक करके रजिस्ट्रेशन किया जा सकता है। भारत में बहुत से केंद्र है एवं एशिया/पेसिफिक में अन्य जगहों में कई ,एक- उत्तर अमेरिका में, दस- लेटिन अमेरिका में, तीन- यूरोप में, आठ- ऑस्ट्रेलिया एवं सात न्यूज़ीलेंड में, मध्यपूर्व में एक एवं आफ्रिका में एक केंद्र है। दस दिवसीय शिविर कई बार केंद्रों के बाहर कई जगहों पर स्थानिक साधकों द्वारा आयोजित किये जाते हैं। इन विश्व भर के शिविरों की अल्फाबेटीकल सूचि तथा शिविर स्थलों का ग्राफिकल इंटरफेस विश्व एवं भारत तथा नेपाल के लिए भी उपलब्ध है।
विशेष शिविर एवं संसाधन-
जेलों में भी विपश्यना सिखाई जाती है। उद्योगपति एवं जेष्ठ सरकारी अफसरों के लिए दस दिवसीय एक्जिक्यूटिव कोर्स का आयोजन कई केंद्रों पर किया जाता है। उनकी जानकारी के लिए एक्जिक्यूटिव कोर्स वेबसाईट पर जा सकते है।विपश्यना साधना क्यों है जरुरी -
विपश्यना आत्म-निरीक्षण द्वारा आत्मशुद्धि की साधना है। अपने ही शरीर और चित्तधारा पर पल-पल होनेवाली परिवर्तनशील घटनाओं को तटस्थभाव से निरीक्षण करते हुए चित्तविशोधन का अभ्यास हमें सुखशांति का जीवन जीने में मदद करता है। हम अपने भीतर शांति और सामंजस्य का अनुभव कर सकते हैं।
हमारे विचार, विकार, भावनाएं, संवेदनाएं जिन वैज्ञानिक नियमों के अनुसार चलते हैं, वे स्पष्ट होते हैं। अपने प्रत्यक्ष अनुभव से हम जानते हैं कि कैसे विकार बनते हैं, कैसे बंधन बंधते हैं और कैसे इनसे छुटकारा पाया जा सकता है। हम सजग, सचेत, संयमित एवं शांतिपूर्ण बनते हैं।
निरंतर अभ्यास से ही अच्छे परिणाम आते हैं। सारी समस्याओं का समाधान दस दिन में ही हो जायेगा ऐसी उम्मीद नहीं करनी चाहिए। दस दिन में साधना की रूपरेखा समझ में आती है जिससे की विपश्यना जीवन में उतारने का काम शुरू हो सके। जितना जितना अभ्यास बढ़ेगा, उतना उतना दुखों से छुटकारा मिलता चला जाएगा और उतना उतना साधक परममुक्ति के अंतिम लक्ष्य के करीब चलता जायेगा। दस दिन में ही ऐसे अच्छे परिणाम जरूर आयेंगे जिससे जीवन में प्रत्यक्ष लाभ मिलना शुरू हो जायेगा।
सभी गंभीरतापूर्वक अनुशासन का पालन करने वाले लोगों का विपश्यना शिविर में स्वागत है, जिससे कि वे स्वयं अनुभूति के आधार साधना को परख सके एवं उससे लाभान्वित हो। जो भी गंभीरता से विपश्यना को अजमायेगा वह जीवन में सुख-शांति पाने के लिए एक प्रभावशाली तकनिक प्राप्त कर लेगा।
भोपाल केरवा डैम के पास स्थित 'धम्मपाल केंद्र’ में विपस्सना शिविर चलते रहते हैं।