(महिला विशेष)-
महिलो के आजादी के मायने ना जाने कितने बार बदल जाते हैं हमारे देश में, जहा महिलाओ को कई अधिकार और स्वतन्त्रा से जीने का हक मिला, हर क्षेत्र में अपनी कामयाबी की उड़ान भरते हुए आगे बढ़ते जा रही हैं वही दूसरी और अपनी सुरक्षा को लेके हम डर के घेरे से बाहर ही नही निकल पा रहे हैं।
आए दिनों महिलोओ के ख़िलाफ़ कई अपराधिक मामले सामने आते हैं। इन मामलो के आंकड़े दिन प्रति दिन बढ़ते ही जा रहे हैं।
राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो द्वारा जारी ताज़ा आंकड़ों के अनुसार महिलाओं के खिलाफ अपराध के मामले दोगुने से भी अधिक हुए हैं।
पिछले दशक के आंकड़ों पर आधारित इंडियास्पेंड के विश्लेषण के मुताबिक पिछले दशक में महिलाओं के खिलाफ अपराध के कम से कम 2.24 मिलियन मामले दर्ज करे गये हैं : हर घंटे महिलाओं के खिलाफ अपराध के 26 मामले या दर दो मिनट में एक शिकायत दर्ज होती है। ये तो सिर्फ वे आंकड़े हैं जिनकी शिकायतदर्ज की गई हैं। जबकि ऐसे कितने ही मामलेहोगे जिनकी शिकायत दर्ज नही होती हैं।
किसी भी महिला पर प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रुप से शारीरिक या मानसिक रुप से चोट पहुंचाना ही “महिलाओं के खिलाफ अपराध” कहलाता है। विशेष रुप से महिलाओं के खिलाफ किया गया अपराध एवं जिसमें पीड़ित केवल महिलाएं ही बनती हैं । उसे ही “महिलाओं के खिलाफ अपराध” के रुप में वर्गीकृत किया गया है।
मानसिक प्रताना से लेकर बलात्कार कर हत्या करने जैसी भयानक घटनाओ का होना इन अपराधो में बना हुआ हैं।
हर बात में आज की महिलाये जागरूक बानी हे, अपने से जुड़े हर छोटे बड़े मुद्दो को वो जाने और समझने लगी हैं जहा कौन से कपडे पहने जाए कौन से नही ...कौन-सा करियर अपने लिए चुना जाए कोनसा नही सब वो खुद देसीडे करती हैं। गॉवो से शहर अकेले पड़ने आने लगी हैं, घरेलु कामकाजी महिलोओ से ऑफिसो में हर तरह के कामो को बड़ी निडरता से करने लगी हैं। इस सबके बावजूद महिलाओं को अपनी सुरक्षा को लेकर बड़ी आसक्ति हो जाती हे, क्योकि वो सिर्फ लडकिया हैं आशय हैं, कोई हादसा हुआ की सुरक्षा व्यवस्था के ऊपर हम हावी हो जाते हैं। कई बार मोर्चे निकले गए,कई बार नारे बाज़ी करते हुए हम शोषित या पीड़िता के हुक के लिए सामने आते हैं। तब सभी एक जुड़ होकर ऐसे मामलो में आवाज उठाते हैं। मेरा आशय हैं की क्यों हम आने वाली परिस्थियों में अपनी सुरक्षा स्वयं सुनिशित करे? हमारा जागृत रहना ही हमे अपनी सुरक्षा के प्रति जागृत बनता हैं।