इंदौर- कमलनाथ सरकार ने स्वास्थ्य विभाग के कर्मचारियों को हर महीने 5 से 10 पुरुषों के नसंबदी ऑपरेशन कराने का अनिवार्य टारगेट दिया है। टारगेट पूरा नहीं करने पर नो-वर्क, नो-पे के आधार पर वेतन नहीं दिया जाएगा। इतना ही नहीं कर्मचारियों को अनिवार्य सेवानिवृत्ति देने की बात भी आदेश में कही गई। इससे कर्मचारियों में रोष है। इस पर राजनीति भी शुरू हो गई है। पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कांग्रेस सरकार के इस आदेश की तुलना इमरजेंसी के दौरान संजय गांधी के नसबंदी अभियान से की।
भाजपा का कहना - ऐसा लग रहा है कि मप्र में आपातकाल लगा हो
भाजपा प्रवक्ता रजनीश अग्रवाल का कहना है कि नसबंदी के मामले में ऐसा लग रहा है कि मप्र में आपातकाल लगा हो और संजय गांधी की चौकड़ी अपने नियम बनाकर शासन चलाने का प्रयास कर रही हो। वहीं कांग्रेस प्रवक्ता सैय्यद जाफर का कहना है कि आदेश का मकसद सिर्फ इतना है कि नसबंदी के लक्ष्य को पूरा किया जा सके। वेतन वृद्धि रोकना या नौकरी से निकाल देना मकसद नहीं है।